डॉ. मालविका अय्यर Success Story: हादसे में दोनों हाथ गंवाने के बाद भी नहीं मानी हार, खुद लिखी अपनी सफलता की कहानी
अगर कोई व्यक्ति कुछ करने की ठान ले तो उसे कोई भी परिस्थिति कभी हरा नहीं सकती। जिस व्यक्ति के अंदर कुछ कर दिखाने का जज्बा होता है वो हर स्थिति को अपने अनुकूल बना लेता है। कुछ ऐसा ही किया है डॉ. मालविका अय्यर ने। जिन्होंने एक हादसे में अपने दोनों हाथ खो दिए लेकिन फिर भी हार नहीं मानी और आज वो एक अंतरराष्ट्रीय मोटिवेशनल स्पीकर हैं।
मालविका का जन्म तमिलनाडू के कुमबाकोनम में हुआ था। लेकिन उनका पालन-पोषण राजस्थान के बीकानेर में हुआ था। मात्र 13 साल की उम्र में एक भयानक हादसे ने उनकी जिंदगी को पूरी तरह से बदल कर रख दिया। जब मालविका 13 साल की थीं तो उस समय बीकानेर में उनके घर के पास ही सरकारी गोला-बारूद का डिपो था। उन्हें इस बात की भनक नहीं थी कि उस वक़्त कुछ समय पहले ही उस डिपो में आग लगी थी, जिसकी वजह से कई विस्फोटक पदार्थ आसपास में बिखरे हुए थे। वह किसी काम से बाहर आई और अनजाने में वह एक ग्रेनेड उठा कर ले आई। जैसे ही वो कुछ समझ पाती, तब तक ग्रेनेड फट गया और मालविका बुरी तरह से घायल हो गई ।
इस दर्दनाक हादसे के बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टर्स ने उनकी जान तो बचा ली। लेकिन हादसे की वजह से उन्होंने अपने दोनों हाथ गंवा दिए। लगभग दो साल तक इलाज कराने के लिए उन्हें चेन्नई के एक हॉस्पिटल में रहना पड़ा था। इस हादसे के साथ वो आम इंसान से एक दिव्यांग बन चुकी थी, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। भयानक हादसे के बाद मालविका ने दोबारा जिंदगी शुरू करने की ठानी। मालविका ने चेन्नई में SSLC एग्जामिनेशन में बतैार प्राइवेट कैंडिडेट हिस्सा लिया। दोनों हाथ खो चुकी मालविका ने पेपर लिखने के लिए एक दूसरे शख्स का सहारा लिया था। उन्होंने एग्जाम में काफी अच्छे अंक भी प्राप्त किए।
मालविका ने अपनी जिंदगी को नए सिरे से शुरु करने का सोचा। उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र में ऑनर्स की डिग्री प्राप्त की। जिसके बाद उन्होंने पीएचडी की डिग्री प्राप्त की। जिसके बाद मालविका अब डॉ. मालविका बन चुकी थीं। आज लोग उन्हें मोटिवेशनल (Motivational) स्पीच देने के लिए बुलाते हैं। मालविका अपनी बातों के जरिए दिव्यांगों के प्रति लोगों के नजरिए को बदलने में लगी हुई हैं। वो लोगों को प्रेरित करती हैं। उनका यही मकसद है कि हमारे समाज में आम इंसानों की तरह ही दिव्यांगों को भी अपनाया जाए। मालविका को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने नारी शक्ति पुरस्कार से सम्मानित भी किया था।
मालविका इस हादसे पर कहती हैं कि - मैंने कई लोगों को देखा है, जो अपनी जिंदगी से काफी ज्यादा परेशान रहते हैं, उन्हें लगता हैं कि उनकी जिंदगी में ही सबसे ज्यादा तकलीफ हैं। यह सोच नाकारात्मकता की निशानी है। इससे बचना चाहिए।
डॉ. मालविका अय्यर ने आज अपने हौसले के जरिए पूरी दुनिया में अपनी पहचान बनाई हैं। उनकी सफलता की कहानी (Success Story) सभी के लिए एक प्रेरणास्त्रोत (Inspiration) है। यदि आप भी डॉ. मालविका अय्यर की तरह अपनी एक अलग पहचान बनाना चाहते हैं एवं अपने करियर में सफलता प्राप्त करना चाहते हैं तो आप हमारी लाईफ टाईम मेंबरशिप कों ज्वॉइन कर सकते हैं। यहां आपको करियर और बिज़नेस से जुड़ी हर जानकारी दी जाएगी। अधिक जानकारी के लिए हमारी वेबसाइट https://www.badabusiness.com/life-time-membership?ref_code=ArticlesLeads पर Visit करें।