छत्रपति शिवाजी महाराज से सीखिए लीडरशिप के गुण
भारतीय इतिहास में ऐसे कई महान राजा हुए हैं, जिनके जीवन को पढ़कर हम वर्तमान में कई सीख ले सकते हैं। उनमें से एक महान शासक थे छत्रपति शिवाजी महाराज। शिवाजी महाराज का जन्म 19 फरवरी 1630 में शिवनेरी किले में हुआ था। शिवाजी को 12 साल की उम्र में ही अपने पिता से पूना की जागीर प्राप्त हो चुकी थी। अपने कुशल नेतृत्व के कारण ही शिवाजी महाराज ने एक जागीरदार से एक स्वतंत्र शासक तक की यात्रा पूरी की।
आज छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती के अवसर पर जानिये उनके ऐसे ही कुछ गुणों के बारे में, जो आज भी लीडरशिप के लिए बहुत ज़रूरी हैं –
प्रबंध कौशल
शिवाजी महाराज को हराने के लिए औरंगज़ेब ने राजा जयसिंह के नेतृत्व में सेना भेजी। उस सेना ने पुरंदर के किले को घेर लिया। शिवाजी जानते थे कि यदि यह युद्ध हुआ, तो उन्हीं का ज्यादा नुकसान होगा। ऐसे में उन्होंने पुरंदर की संधि कर ली और अपने 23 किले मुगलों को सौंप दिए। बाद में धीरे-धीरे वे किले उन्होंने पुनः जीत लिये। जिस प्रकार शिवाजी ने अपने फायदे और नुकसान का अनुमान लगाकर फैसला लिया, उसी प्रकार प्रत्येक लीडर को कोई भी कदम उठाने से पहले उसके फायदे और नुकसान का अनुमान लगाकर ही फैसला लेना चाहिए।
धैर्य
शिवाजी महाराज के जीवन की कई ऐसी घटनाएं हैं, जिनमें उन्होंने धैर्य के साथ कई बड़े युद्ध जीते हैं। चाहे औरंगज़ेब की कैद से बच निकलना हो या अफ़ज़ल खान के साथ युद्ध, उन्होंने सदैव धैर्य के साथ सही समय का इंतज़ार किया। आज कई लोग स्टार्टअप शुरू करते ही उससे मुनाफा कमाने की सोचते हैं और मन मुताबिक परिणाम ना मिलने पर निराश हो जाते हैं। किसी भी कार्य का परिणाम तुरंत नहीं मिलता, इसके लिए हमें धैर्य के साथ निरंतर कार्य करते रहना पड़ता है।
दूरदर्शिता
छत्रपति शिवाजी महाराज एक दूरदर्शी इंसान थे। शिवाजी महाराज ने अपनी दूरदर्शिता से यह अनुमान लगा लिया था कि आने वाले समय में विदेशी शक्तियां समुद्र के रास्ते ही आक्रमण करेंगी। इसी को ध्यान में रखते हुए उन्होंने पूर्ण विकसित नौसेना की स्थापना की थी। किसी भी काम या बिज़नेस में दूरदर्शिता बहुत ज़रूरी होती है, इसी के द्वारा हम कई निर्णय लेते हैं।
नेतृत्व कौशल
औरंगज़ेब ने पुरे भारत पर शासन कर लिया था, लेकिन वह छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्य को अपने अधीन नहीं कर पाया था। शिवाजी महाराज की नेतृत्व क्षमता अद्भुत थी। चाहे आदिल शाह के जागीरदार के रूप में हो या एक स्वतंत्र शासक के रूप में उन्होंने अपने चुनिंदा योद्धाओं को नेतृत्व प्रदान कर बड़ी से बड़ी सेना को छकाया और हराया। वे हमेशा अपने लोगों की सेवा और सहायता के लिए तत्पर रहते थे, यही कारण था कि उनकी प्रजा उन्हें बहुत सम्मान देती थी।
व्यक्तित्व
जब मराठा योद्धाओं ने कल्याण किले पर आक्रमण किया, तब वहां का सूबेदार अपने परिवार को वहीं छोड़कर भाग गया। शिवाजी महाराज के एक सामंत ने सूबेदार के परिवार की महिलाओं को छत्रपति के सामने उपहार स्वरुप पेश किया। इससे शिवाजी महाराज उस सामंत पर गुस्सा हुए और उन महिलाओं को ससम्मान वापस पहुंचा दिया। लीडर का चरित्र और उसका व्यक्तित्व यदि अच्छा होता है, तो उसका सभी ओर सम्मान होता है।
आज के समय में यदि कोई लीडरशिप के गुण सीखना चाहता है, तो उसे छत्रपति शिवाजी के पूरे जीवन को पढ़ लेना चाहिए। शिवाजी महाराज एक बहुत अच्छे लीडर थे और उनका पूरा जीवन लीडरशिप जैसे कई गुण सीखने के लिए एक बहुत अच्छी केस स्टडी है।
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