हर एक स्टार्टअप कंपनी का सपना होता कि वो स्केल करे और IPO बनकर अपनी कंपनी को शेयर मार्केट में लिस्टेड बनाए। एक IPO कंपनी के तौर पर लिस्ट होना काफी मुश्किल काम माना जाता है।

लेकिन यहां पर सवाल ये उठता है कि आखिर आईपीओ (IPO) है क्या? ये किस तरह से काम करता है और कैसे एक स्टार्टअप कंपनी IPO बनकर अपने बिजनेस को सफलता की ऊंचाइयों तक पहुंचा सकती है।

IPO की फुल फॉर्म क्या है? (IPO full form)

आईपीओ (IPO) की फुल फॉर्म इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग (Initial Public Offering) है।

IPO को Hindi में प्रारंभिक सार्वजनिक पेशकश कहते है

I (आई)= Initial (इनिशियल) = प्रारंभिक

P (पी)= Public (पब्लिक) = सार्वजनिक

O (ओ)= Offerings (ऑफरिंग) = पेशकश

क्या होता है IPO?

इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग (IPO) एक प्रक्रिया है जिसमें एक निजी कंपनी पहली बार अपने स्वामित्व के कुछ अंश जनता को जारी करके सार्वजनिक कंपनी में बदल जाती है।

कोई भी प्राइवेट कंपनी को कुछ शेयरहोल्डर्स आपस में मिलकर चलाते हैं लेकिन जब इन कंपनीज को पूंजी की ज़रूरत होती है तब कंपनीज खुद को शेयर बाज़ार में लिस्ट कराती हैं जिसका सबसे कारगर तरीका IPO जारी करना रहता है। शेयर मार्केट में लिस्ट होने के लिए कंपनीज जो IPO लाती हैं उसमें निवेशकों के साथ साथ आम जनता भी उस कंपनी के शेयर्स को खरीद सकती है। जिसके बाद सिर्फ कंपनी का मालिक और निवेशक ही नहीं बल्कि वो सभी मालिक होते हैं जो कम्पनी के शेयर्स को खरीदते हैं। ये शेयर्स BSE और NSE जैसे स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्ट होते हैं जिन्हें आसानी से खरीदा और बेचा जा सकता है।

IPO के प्रकार:

  1. फिक्स्ड प्राइज ऑफरिंग
  2. बुक बिल्डिंग ऑफरिंग

IPO के दो प्रकार होते हैं पहला होता है फिक्स्ड प्राइज ऑफरिंग (Fixed Price Offering) और दूसरा होता है बुक बिल्डिंग ऑफरिंग (Book Building Offering)।

इन दोनों में क्या अंतर होता है:

1. फिक्स्ड प्राइज ऑफरिंग (Fixed Price Offering)

फिक्स्ड प्राइज ऑफरिंग के तहत जो भी कंपनी IPO ला रही होती है वो अपने शेयर्स की कीमतों को पहले से ही तय कर लेती और वो कीमतें पहले से ही शेयर खरीदने वाले लोगों को पता होती हैं। उन्हीं कीमतों के आधार पर उस कंपनी के IPO शेयर्स को खरीदा जाता है।

2. बुक बिल्डिंग ऑफरिंग (Book Building Offering)

बुक बिल्डिंग ऑफरिंग में कंपनी शेयर्स के दाम फिक्स रखने की बजाय अपने शेयर्स की एक प्राइस रेंज को तय करती है। इसके बाद में निवेशकों में डिमांड को देखते हुए शेयर्स की कीमतों को तय किया जाता है। ज्यादातर कंपनीज इसी सिस्टम के तहत अपने IPO को लॉन्च करती हैं।

आईपीओ का महत्व:

आईपीओ कंपनियों को वित्तीय और व्यावसायिक वृद्धि के लिए महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करता है।

  1. पूंजी प्राप्ति: आईपीओ के माध्यम से कंपनियां अपने विस्तार, विकास, या ऋण के पुनर्भुगतान के लिए आवश्यक धन जुटा सकती हैं।
  2. सार्वजनिक प्रोफ़ाइल: सार्वजनिक होने से कंपनी की प्रतिष्ठा और ब्रांड की पहचान में वृद्धि होती है।
  3. नकदीकरण: संस्थापक, प्रारंभिक निवेशक, और कर्मचारी अपने शेयर बेचकर लाभ कमा सकते हैं।
  4. विस्तार के अवसर: जुटाई गई पूंजी का उपयोग अनुसंधान और विकास, नए उत्पादों, या नए बाजारों में प्रवेश के लिए किया जा सकता है।
  5. भविष्य की फंडिंग: एक बार सार्वजनिक होने के बाद, कंपनी के लिए भविष्य में अतिरिक्त पूंजी जुटाना आसान हो जाता है।

स्टार्टअप से IPO तक का सफ़र

एक स्टार्टअप कंपनी को IPO बनने तक के सफ़र में बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। सबसे पहले तो उस स्टार्टअप का सफ़ल होना ही एक बड़ी बात होती है उसके बाद जब वो कंपनी को IPO बनाने की ओर कदम उठाते हैं तो उन्हें बहुत सी कठिनाइयों का झेलना पड़ता है। इसीलिए बड़ा बिजनेस प्राइवेट लिमिटेड के “आइडिया टू आईपीओ” प्रोग्राम के तहत 100 MSME कंपनीज को चुना जायेगा और उन्हें IPO लेवल ले जाने के लिए हर तरह से गाइड किया जायेगा और सपोर्ट दिया जाएगा। किसी भी कंपनी को IPO बनने के करोड़ों के रेवेन्यू या फिर इन्वेस्टमेंट की जरूरत नहीं होती है, एक छोटे बजट की MSME कम्पनी भी IPO बन सकती है।

इस प्रोग्राम के तहत Business Coach Dr Vivek Bindra और कई एक्सपर्ट्स के साथ इन सभी कंपनीज को आने वाले अगले लगभग 3 साल तक फंडिंग, टेक और मार्केटिंग से जुड़े सभी तरह के सपोर्ट उपलब्ध करवाएंगे और उनके IPO बनने तक का पूरा रोडमैप तैयार करेंगे।


Read English Article: What is IPO: A Thorough Guide to Initial Public Offering