नई दिल्ली: देश की अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे कोरोना वायरस के प्रकोप से उबर रही है. इसके साफ़ संकेत देश के आयात और निर्यात में बढ़ोतरी से मिले है. केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने बताया है की देश में निर्यात के साथ-साथ आयात में सकारात्मक संकेत देखे जा रहे हैं. इस वर्ष अप्रैल में कोरोना महामारी के कारण निर्यात में तेज गिरावट आने के बाद यह अब गत वर्ष के स्तर पर पहुंच रहा है.
विभिन्न निर्यात संवर्धन परिषदों (ईपीसी) के पदाधिकारियों को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पूंजीगत माल का आयात कम न होना सकारात्मक संकेत है और आयात में कमी मुख्य रूप से कच्चे तेल, सोना और उर्वरक में देखी गई है. उन्होंने कहा कि व्यापार घाटे में तेजी से कमी आ रही है और लचीली पूर्ति श्रृंखला तथा निर्यातकों के परिश्रम और धीरज के कारण विश्व व्यापार में हमारी हिस्सेदारी बढ़ी है.
पीयूष गोयल ने कहा कि हम अधिक विश्वसनीय और बेहतर व्यापार के आंकड़े तैयार करने का प्रयास कर रहे हैं, जिससे देश बेहतर योजना तैयार कर सके और इनके अनुरूप नीति बनाई जा सकें. उन्होंने आगे कहा कि 24 केंद्रित निर्माण क्षेत्रों की पहचान की गई है. इन क्षेत्रों में विस्तार करने,संचालन को बढ़ाने, गुणवत्ता में सुधार करने और विश्व व्यापार और मूल्य श्रृंखला में भारत की भागीदारी बढ़ाने की क्षमता है. इन क्षेत्रों में आयात का विकल्प बनने और निर्यात को बढ़ावा देने की भी क्षमता है.
उन्होंने कहा कि भारत को दुनिया भर में वैश्विक मूल्य श्रृंखला में एक भरोसेमंद और लचीले भागीदार के रूप मे देखा जाता है. जबकि मर्चन्डाइज़ एक्सपोर्ट ऑफ इंडिया योजना (एमईआईएस) में हाल ही में हुए बदलाव के मुद्दे पर पीयूष गोयल ने कहा कि 2 करोड़ रुपए की अधिकतम सीमा से इस योजना के अंतर्गत छूट का दावा करने वाले 98 प्रतिशत निर्यातक प्रभावित नहीं होंगे. सरकार ने पहले ही एमईआईएस योजना के स्थान पर शुल्क में छूट या निर्यात होने वाले उत्पाद पर कर (आरओडीटीईपी) योजना की घोषणा की है. इसके अंतर्गत अधिकतम मूल्य तय करने के लिये एक समिति भी गठित की गई है. यह नई योजना निर्यातक द्वारा पहले ही खर्च किए गए एम्बेडेड टैक्स और शुल्क को वापस दिलाकर फायदा पहुंचाएगी.