IT हार्डवेयर इंडस्ट्री के लिए सरकार ने लिया अहम फैसला, डोमेस्टिक मैन्युफैक्चरिंग बढ़ाने में करेगी मदद

Business Ideas | Representational Image (Photo Credits: Pixabay)

नई दिल्ली: मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार लगातार फैसले ले रही है. इसी क्रम में बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आईटी हार्डवेयर के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना को मंजूरी दी है. पीएलआई योजना (Production Linked Incentive Scheme) में आईटी हार्डवेयर की मूल्य श्रृंखला में घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने और बड़े पैमाने पर निवेश आकर्षित करने के लिए उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहन का प्रस्ताव दिया गया है. प्रस्तावित योजना के टारगेट लक्षित क्षेत्र में लैपटॉप, टैबलेट, ऑल-इन-वन पीसी और सर्वर शामिल हैं. कोविड-19 की मार से उबर रहा देश का मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर, औद्योगिक उत्पादन में हुई मामूली बढ़ोतरी

पीएलआई (PLI) योजना के तहत पात्र कंपनियों को चार वर्षों की अवधि के लिए लक्षित क्षेत्र के अंतर्गत और भारत में निर्मित उत्पादों के लिए कुल वृद्धिशील बिक्री (Incremental Sales) (बेस ईयर 2019-20) पर 4 प्रतिशत से 2 प्रतिशत / 1 प्रतिशत की प्रोत्साहन राशि देने का प्रस्ताव किया गया है.

इस योजना से लैपटॉप, टैबलेट, ऑल-इन-वन पीसी और सर्वर समेत आईटी हार्डवेयर निर्माण से जुड़ी 5 प्रमुख वैश्विक कंपनियों और 10 घरेलू कंपनियों को लाभ मिलने की संभावना है. यह आत्मनिर्भर भारत के तहत विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण क्षेत्र है क्योंकि वर्तमान में इन वस्तुओं के लिए आयात निर्भरता बहुत अधिक है.

प्रस्तावित योजना की 4 वर्षों के लिए कुल लागत लगभग 7,350 करोड़ रुपये है, जिसमें 7,325 करोड़ रुपये का प्रोत्साहन परिव्यय (Incentive Outlay) और 25 करोड़ रुपये का प्रशासनिक शुल्क शामिल हैं.

यह योजना देश में इलेक्ट्रॉनिक्स इकोसिस्टम के विकास को बढ़ावा देगी. भारत, वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं के साथ एकीकरण के कारण इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम डिजाइन और विनिर्माण (ईएसडीएम) के क्षेत्र में एक वैश्विक केंद्र के रूप में उभरेगा और आईटी हार्डवेयर निर्यात के लिए एक गंतव्य स्थल बन जायेगा. इस योजना के तहत 4 वर्षों में रोजगार के 1,80,000 से अधिक (प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष) अवसरों के सृजन की संभावना है. यह योजना आईटी हार्डवेयर के लिए घरेलू मूल्यवर्धन को प्रोत्साहन प्रदान करेगी, जिसके 2025 तक बढ़कर 20-25 प्रतिशत होने की उम्मीद है.

25 फरवरी 2019 को अधिसूचित राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स नीति, 2019 का विज़न भारत को इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम डिजाइन और विनिर्माण (ईएसडीएम) के लिए एक वैश्विक हब के रूप में स्थापित करना है. इसके लिए चिपसेट सहित मुख्य घटकों को विकसित करने के लिए देश की क्षमताओं को प्रोत्साहन दिया जा रहा है और उद्योग को विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए उपयुक्त माहौल तैयार किया जा रहा है.

वर्तमान में भारत में लैपटॉप और टैबलेट की मांग मुख्यतः आयात के माध्यम से पूरी की जाती है, जो 2019-20 में क्रमशः 4.21 बिलियन डॉलर और 0.41 बिलियन डॉलर थी. विश्व स्तर पर आईटी हार्डवेयर के बाजार में 6-7 कंपनियों का वर्चस्व है, जिनकी दुनिया के बाजार में लगभग 70 प्रतिशत हिस्सेदारी है.

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