मोदी सरकार डीलरों को भी MSME का दर्जा देने का बना रही प्लान, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने दी जानकारी
केंद्र की मोदी सरकार डीलरों को सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों (MSME) का दर्जा देने पर विचार कर रही है. सरकार के इस कदम के बाद डीलर भी एमएसएमई को मिलने वाले लाभ के पात्र हो सकेंगे. केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग तथा एमएसएमई मंत्री नितिन गडकरी ने इस बारे में जानकारी दी है. बता दें कि मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर से जुड़े सूक्ष्म, लघु एवं मझोले (Micro, Small और Medium) उद्यमों को विभिन्न सरकारी योजनाओं के तहत फायदा और सब्सिडी हासिल करने के लिए अपना रजिस्ट्रेशन कराना होता है. रजिस्टर एमएसएमई को शुल्क सब्सिडी और कर तथा पूंजीगत सब्सिडी का लाभ मिलता है. पंजीकरण से उन्हें सरकारी ऋणदाताओं तक पहुंच बनाने में मदद मिलती है और वे कम ब्याज दर पर आसान लोन प्राप्त कर सकते हैं. गडकरी ने मंगलवार को कहा, ‘‘जहां तक एमएसएमई की बात है, अब हम डीलरों को भी एमएसएमई का दर्जा देने पर विचार कर रहे हैं. इस पर विचार चल रहा है, इससे उन्हें भी MSME को मिलने वाले लाभ मिल सकेंगे.’’
इस दौरान मंत्री ने बड़े उद्योगों से अपील की कि वे एमएसएमई के जो बकाये पैसे है उसे वक्त पर दें. वैसे यह पहला मौका नहीं है जब गडकरी द्वारा ये अपील की गयी है, इससे पहले भी वे बड़े उद्योगों से ये बात कह चुके हैं. उन्होंने कहा, ‘‘हम वित्त मंत्रालय से आग्रह कर रहे हैं कि जो उद्योग आयकर को ध्यान में रखते हुये अपने प्रौद्योगिकी केंद्र, प्रशिक्षण केंद्र, अनुसंधान केंद्र बनाना चाहते हैं, क्या हम उन्हें कुछ और समर्थन देने की स्थिति में हैं. इससे उन्हें और शोध और नवोन्मेषण के लिए प्रेरित किया जा सकेगा.’’
आत्मनिर्भर भारत का जिक्र करते हुए गडकरी ने कहा कि यदि हमें प्रधानमंत्री के उद्देश को हासिल करना है तो हमें इम्पोर्ट को कम करने और देश में आटोमोबाइल तथा मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र को बढ़ावा देने की जरूरत है. मंत्री ने उद्योगों से औद्योगिकी शंकुल विकसित करने, टेक्नोलॉजी सेंटर उभारने, ओपन रिसर्च स्कूल बनाने और नई तकनीक सीखने की भी अपील की. उन्होंने गुणवत्ता से समझौता किए बगैर अनुसंधान और लागत में कमी लाने की जरूरत पर भी जोर दिया.