आज के समय में भारत में अधिकतर लोग सामान खरीदने के लिए ई-कॉमर्स प्लेटफार्म का इस्तेमाल कर रहे हैं। मोबाइल फ़ोन्स और इंटरनेट डाटा में हो रहे निरंतर विकास से भारत में ई-कॉमर्स इंडस्ट्री बढ़ती जा रही है, यही कारण है कि आज ई-कॉमर्स से जुड़े कई सारे नए नए ऐप्स मार्केट में आ गए हैं।
सदियों पहले सामान का लेन देन किया जाता था, जिसे वस्तु विनिमय कहा जाता है, फिर उसके बाद करेंसी के बदले सामान ख़रीदा बेचा जाने लगा। धीरे-धीरे सामान के लेन देन की प्रक्रिया में विकास होता गया और आज इंटरनेट के माध्यम से खरीदा बेचा जाने लगा, जिसे ई-कॉमर्स कहा जाता है।
जानिये दुनिया और भारत में कैसे हुआ ई-कॉमर्स का विकास –
कैसे हुआ ई-कॉमर्स का विकास?
दुनिया धीरे-धीरे नई टेक्नोलॉजी की तरफ बढ़ रही थी, जिसमें कंप्यूटर बनना और उसमें धीरे-धीरे विकास हो रहा था। इसके विकास के साथ-साथ ई- कॉमर्स की संभावनाएं भी बढ़ रही थी। जानिये इससे जुड़े कुछ महत्वपूर्ण कदम :
- 1981 में यूके की थॉमसन हॉलिडेज़ ने बिज़नेस टू बिज़नेस (B2B) के लिए पहला ऑनलाइन शॉपिंग सिस्टम लॉन्च किया।
- 1983 में एक क्रांतिकारी काम हुआ, जब इंटरनेट लॉन्च हुआ। इसके पहले तक कई सारे नेटवर्क थे, लेकिन इंटरनेट के आने से कम्युनिकेशन के नए प्रोटोकॉल स्थापित हुए।
- 1989 में सिकोइया डाटा कारपोरेशन ने Compumarket नाम से पहला इंटरनेट बेस्ड ई-कॉमर्स सिस्टम शुरू किया था, जिसमें क्रेडिट कार्ड के इस्तेमाल से पेमेंट की सुविधा भी दी गयी थी।
- 1990, 12 मार्च को World Wide Web लॉन्च किया गया और टिम बर्नर्स ली को इसका पिता कहा गया।
- 1995 में ई-कॉमर्स से जुड़ी दो बड़ी कम्पनियों अमेज़न और eBay की स्थापना हुई।
- 4 अप्रैल 1999, हांग्जो, चीन में जैक मा ने 17 दोस्तों और छात्रों के साथ Alibaba.com की स्थापना की।
उसके बाद से विश्वस्तर पर ई-कॉमर्स में कई सारे विकास हो रहे हैं।
भारत में ई-कॉमर्स का विकास
भारत में आज बड़े स्तर पर ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसके पीछे का सबसे बड़ा कारण भारत में मोबाइल और उसके डाटा में हुआ विकास है। दिसंबर 2022 तक भारत में 70 करोड़ से ज्यादा इंटरनेट यूज़र्स हैं, जो कि भारत की आबादी का लगभग आधा हिस्सा हैं। आज भारत ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल करने में दुनिया में छठे नंबर पर आता है। जानिये भारत में हुए ई-कॉमर्स के विकास की कहानी –
- 1995 में 15 अगस्त के दिन भारत में आम लोगों के लिए इंटरनेट लांच हुआ, जो उस समय एक लक्ज़री का साधन हुआ करता था।
- 1999 में भारत में Fabmart.com के नाम पहला ई-कॉमर्स प्लेटफार्म लॉन्च हुआ था, जिसकी स्थापना के. वैथीश्वरन ने की थी, इसीलिए इन्हें भारत में ई-कॉमर्स का जनक कहा जाता है।
- तब तक भारत में ई-कॉमर्स को भी एक लक्ज़री माना जाता था। 2002 में भारत सरकार ने लोगों की सुविधा के लिए ट्रेन की टिकट रिज़र्वेशन के लिए IRCTC लांच की।
- उसके बाद भारत में 2007 में फ्लिपकार्ट, 2010 में Zomato और 2013 में जानी मानी ई-कॉमर्स वेबसाइट अमेज़न लॉन्च हुई।
- उस समय तक ई-कॉमर्स में पेमेंट करने के लिए नेट बैंकिंग, डेबिट और क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल किया जाता था। तब भारत में पहला ऑनलाइन पेमेंट ऐप Phonepe लॉन्च हुआ और 2020 में भारत सरकार ने भी अपना ऐप BHIM launch किया।
आज भारत में ई-कॉमर्स तेजी से लोगों के बीच लोकप्रिय हो रहा है। आज शहरी ही नहीं ग्रामीण क्षेत्रों में भी ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल किया जा रहा है। लेकिन इसके साथ ही लोगों को इससे जुड़ी जानकारियां देनी भी ज़रूरी है, ताकि लोग ऑनलाइन ठगी का शिकार ना हो सकें।
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