भारतीय अर्थव्यवस्था को समृद्ध बनाने में महिलाएं कई मोर्चों पर सार्थक भूमिकाएं निभा रही हैं. हाल ही में हुई एक स्टडी में यह बात सामने आई है कि अगर भारत में महिला उद्यमिता को बढ़ावा दिया जाए तो यह देश में जीडीपी ग्रोथ को गति दे सकता है. देश आत्मनिर्भर बनने और $5 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था प्राप्त करने के रास्ते पर है. एक रिपोर्ट ने सुझाव दिया है कि महिला उद्यमिता और महिलाओं के समर्थन वाले छोटे व्यवसाय पर एक बड़ा जोर भारत की जीडीपी को गति दे सकता है.
ग्लोबल एलायंस फॉर मास एंटरप्रेन्योरशिप (GAME) और सत्व की जॉइंट स्टडी के अनुसार, महिला-स्वामित्व वाले उद्यम पूरे देश में सभी उद्यमों के केवल 20 प्रतिशत का प्रतिनिधित्व करते हैं. ये उद्यम कुल कार्यबल का 10 प्रतिशत हिस्सा रखते हैं. स्टडी से पता चला कि महिला उद्यमिता रोजगार को मजबूत करने के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर प्रस्तुत करती है और भारत के सकल घरेलू उत्पाद पर एक सकारात्मक प्रभाव पैदा कर सकती है; लेकिन महिलाओं के स्वामित्व वाले व्यवसायों की वृद्धि को अधिक से अधिक बढ़ावा देने की आवश्यकता है.
स्टडी जो बेंगलुरु के आसपास केंद्रित है, बताती है कि सेल्स और मार्केटिंग चैनलों को बढ़ाने और महिलाओं के फाइनेंस को तैयार करने की तत्काल जरूरत है ताकि वे अपने व्यवसायों के लिए पूंजी का उपयोग कर सकें. स्टडी में कहा गया है कि, "क्षेत्र में महिला उद्यमियों को जबरदस्त चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, नए बाजार प्लेटफॉर्म्स, सहकर्मी-समर्थन नेटवर्क और पूंजी का संयोजन महिला उद्यमियों को आगे लेकर जाएगा."
स्टडी के अनुसार, कुल 53 प्रतिशत प्रतिभागियों की मासिक आय 50,000 रुपये से कम थी, जबकि 84 प्रतिशत महिला उद्यमी पूंजीगत जरूरतों के लिए निजी बचत का उपयोग करती हैं और दोस्तों और परिवार पर भरोसा भी करती हैं. इस बीच, लगभग 97 प्रतिशत महिला उद्यमियों ने पांच से कम कर्मचारियों या श्रमिकों को काम पर रखा है. स्टडी से पता चलता है कि 67 प्रतिशत उद्यमी पांच वर्षों से अपने बिजनेस चला रहे थे और COVID-19 के कारण उनके रेवेन्यू में 60-80 प्रतिशत की कमी आई है.