किसी भी बिज़नेस की सफलता बहुत हद तक एक अच्छी टीम पर निर्भर करती है। यही कारण है कि टीम हायरिंग के लिए अलग से एचआर डिपार्टमेंट होता है। एचआर डिपार्टमेंट में ऐसे लोग होते हैं, जो अच्छे लोगों को बिज़नेस के लिए हायर करते हैं। लेकिन अगर आप एक एंटरप्रन्योर है और खुद का स्टार्टअप कर रहे हैं, तो आपके लिए अच्छे लोगों को हायर करना बहुत ज़रूरी हो जाता है।

अपने स्टार्टअप के लिए अच्छी टीम को हायर करने से पहले एक अच्छी टीम को डेवलप करने के स्टेज जान लेना चाहिए। जानिये अच्छी टीम बनाने के क्या क्या स्टेज होते हैं –

टीम डेवलपमेंट के 5 स्टेज

टीम डेवलपमेंट का मॉडल ऑहियो यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर ब्रूस टकमैन ने 1965 में "टकमैन स्टेजेस ऑफ ग्रुप डेवलपमेंट" के नाम से इंट्रोड्यूस किया था। शुरुआत में इसमें 4 स्टेज बताई गयी थी, लेकिन 1977 में टकमैन ने इसमें पांचवां स्टेज ऐड किया था। जानिए टीम डेवलपमेंट के ये 5 स्टेजेस –

फॉर्मिंग :

यह टीम डेवलपमेंट का सबसे पहला स्टेज है, इसमें नई टीम का फॉर्मेशन होता है। टीम मेंबर्स अपने काम को लेकर एक्साइटेड रहते हैं, काम में अपना बेस्ट देते हैं। टीम के दूसरे मेंबर्स की रिस्पेक्ट करने के साथ ही उन लोगों की स्ट्रेंथ और वीकनेस जानने की कोशिश करते हैं। यह समय लीडर्स के लिए सबसे अच्छा होता है, क्योंकि इसी समय में वे लोग सभी के साथ अपना विज़न और मिशन सेट करते हैं। इसके साथ ही सभी टीम मेंबर्स के केपीआई भी सेट किये जाते हैं।

स्टॉर्मिंग :

इस स्टेज में सभी मेंबर्स के टार्गेट्स क्लियर होते हैं और इन्हें अचीव करने के लिए हर मेंबर अपने स्तर पर इनोवेटिव आइडियाज अपनाता है। इसके परिणाम स्वरुप मेंबर्स में कन्फ्लिक्ट्स भी हो सकते हैं। ऐसे में लीडर्स की जिम्मेदारियां बढ़ जाती है, उनकी कोशिश रहती है कि मेंबर्स के बीच आ रहे कन्फ्लिक्ट्स को सॉल्व करे। साथ ही यह भी कोशिश रहती है कि प्रोजेक्ट ट्रैक पर रहे। इसके लिए अच्छा काम करने वाले टीम मेंबर्स को पब्लिकली प्रोत्साहित करे। इस स्टेज में टीम मेंबर्स की प्रोडक्टिविटी बढ़ाने के लिए बिज़नेस के बड़े गोल को छोटे छोटे गोल्स में बाँट दिए जाएँ।

नॉर्मिंग :

इस प्रोसेस में सभी टीम मेंबर्स एक दूसरे का पर्सपेक्टिव समझ जाते हैं और एक दूसरे के काम करने एक तरीके को भी जान लेते हैं। इसलिए एक दूसरे के बीच कन्फ्लिक्ट्स कम होने लगते हैं। एक लीडर के रूप में आपको सिर्फ तभी हस्तक्षेप करना होता है, जहाँ ज़रूरी हो। आपका प्राइमरी फोकस टीम में स्टेबिलिटी को इनकरेज करना होना चाहिए।

परफॉर्मिंग :

अब तक सभी टीम मेंबर्स एक दूसरे के काम के तरीके को समझ चुके हैं। अब इंडिविजुअल और टीम के रूप में प्रोग्रेस पर ध्यान देने की ज़रूरत है। यही वह समय होता है, जब प्रोडक्टिविटी को बढ़ाने के लिए हर टीम मेंबर के काम का मूल्यांकन किया जाए। यहाँ यह ध्यान रखना ज़रूरी है कि टीम मेंबर्स के आइडियाज आदि को आप प्रोत्साहित करें और उनके अचीवमेंट को सेलिब्रेट करें।

एड्जॉर्निंग :

पहले सिर्फ ये 4 स्टेज ही हुआ थी, पांचवीं स्टेज के रूप में एड्जॉर्निंग को बाद में जोड़ा गया। हो सकता है आपकी टीम से कोई मेंबर या कई मेंबर छोड़ कर जा रहे हों, ऐसे में उस मेंबर के काम को और बिज़नेस की ग्रोथ में उसके कंट्रीब्यूशन को रिकॉग्नाइज करना ज़रूरी है। इसके साथ ही आप उस मेंबर की रिप्लेसमेंट देखते हैं और जब नया मेंबर जुड़ता है, तो इसके साथ भी यह पूरी प्रोसेस फिर से शुरू होती है।

टीम डेवलपमेंट की इन 5 स्टेजेस के बारे में पता ना होने के कारण कई बार नए स्टार्टअप अच्छी टीम नहीं बना पाते हैं। परिणामस्वरूप या तो स्टार्टअप बंद हो जाते हैं या एक अच्छी स्टेबल टीम नहीं बना पाते हैं।


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