किसी भी बिज़नेस में कैश फ्लो का बहुत गहरा असर पड़ता है। अक्सर बिज़नेस में यह शब्द कई बार सुनाई देता है। कैश फ्लो अगर पॉजीटीव हो तो यह बिज़नेस में सकारात्मक प्रभाव डालता है लेकिन अगर नेगेटिव हो तो इसकी वजह से अधिकांश बिज़नेस बंद हो जाते हैं। किसी भी बिज़नेस में प्रोडक्ट बेचने के बदले पैसे आते हैं लेकिन उससे पहले प्रोडक्ट को बनाने के मैटेरियल में पैसे खर्च हो जाते हैं । हर कारोबार में रोज़ाना की कोई न कोई ज़रूरत होती है जिसमें पैसे खर्च होते हैं । इस तरह की ज़रूरतों को जिस रकम से पूरा किया जाता है उसे ही कैश फ्लो कहा जाता है। कई बार बिज़नेस में खर्चे इतने ज्यादा बढ़ जाते हैं कि पैसा आता है और टिकता नहीं। कई बार लोगों को समझ नहीं आता कि पैसा कब आया और कब चला गया। इन्हीं सब को कैश फ्लो की कैटेगरी में रखा जाता है। बिज़नेस (Business) को बढ़ाने और कम करने में कैश फ्लो की अहम भूमिका होती है। तो आज के इस लेख में जानते हैं कि कैसे कैश फ्लो आपके बिज़नेस पर बड़ा असर डालता है।
बिज़नेस के पैसों पर डालता है असर
किसी भी बिजनेस में कैश दो तरीके के होते हैं इनकमिंग कैश और आउटगोइंग कैश। बिजनेस में सभी सोर्स से आने वाले पैसे इनकमिंग कैश होते हैं। इसमें प्रोडक्ट बेचने के बदले मिलने वाली रकम, सर्विस देने के बदले मिलने वाली रकम के साथ-साथ उधारी की मिली रकम भी शामिल होती है। वहीं दूसरी ओर बिजनेस में किसी भी तरह की खर्च की जाने वाली रकम को आउटगोइंग कैश कहते हैं। इसमें रेंट, बिज़नेस लोन पर ब्याज दर और किसी भी तरह की उधारी चुकाने के लिए दी जाने वाली रकम शामिल है। सकारात्मक कैश फ्लो तब होता है जब कारोबार में ख़र्च से ज्यादा मुनाफा होता है। वहीं नकारात्मक कैश फ्लो तब होता है जब कारोबार में खर्च ज्यादा होता है और मुनाफा कम होता है।बिज़नेस कोच (Business Coach) की मदद से आप अपने बिज़नेस को सही दिशा दे सकते हैं। बिज़नेस में सकारात्मक कैश फ्लो जितना अधिक से अधिक हो उतना ही बेहतर होता है। कारोबार में पॉजिटिव कैश फ्लो यह बताता है कि कारोबार में लाभ हो रहा है।
नेगेटिव कैश फ्लो से करें बचाव
किसी भी बिजनेस में नेगेटिव कैश फ्लो का होना बहुत खतरनाक होता है। नेगेटिव कैश फ्लो का मतलब है कि कारोबार में सिर्फ पैसा लगाया जा रहा है मुनाफा नहीं हो रहा है। ऐसी स्थिति में कारोबार की रणनीति पर ध्यान देने की जरूरत होती है। अगर कोई नई मशीनरी की जरूरत हो तो उसे बिज़नेस लोन के जरिए ख़रीद लेना चाहिए लेकिन किसी भी कंडिशन में कारोबार का नेगेटिव कैश फ्लो नहीं होना चाहिए। आज बाज़ार में कई तरह के कोर्स (Business Coaching) मौजूद है जिनकी मदद से बिज़नेस में होने वाली गलतियों से बचा जा सकता है ।
कंपनी में इन्वेस्ट करते समय ध्यान रखें यह बातें
किसी भी बिज़नस में पॉजिटिव कैश फ्लो उस बिज़नस की मजबूती को बताता है। कैश फ्लो एक स्टेटमेंट है जो किसी व्यक्ति संस्था या कंपनी के कैश फ्लो के पैटर्न को बताता है। कैश फ्लो स्टेटमेंट एक फाइनेंसियल स्टेटमेंट होता है जो कंपनी में आए हुए कैश और कंपनी द्वारा खर्च किये पैसों की जानकारी देता है। साथ ही यह बताता है कि उस समय के दौरान कंपनी की कैश पोजीशन में क्या बदलाव आया है। इसलिए कंपनी में निवेश करते समय उसका कैश फ्लो जरूर देखना चाहिए।
किसी भी कंपनी का फंडामेंटल एनालिसिस करते समय आपको अनेक फैक्टर्स देखने होते हैं | कैश फ्लो स्टेटमेंट भी उनमें से एक महत्वपूर्ण फैक्टर है। इसलिए आपको बैलेंस शीट, इनकम स्टेटमेंट के साथ-साथ कैश फ्लो स्टेटमेंट पर भी बहुत ज्यादा ध्यान देना चाहिए। तभी आप एक अच्छी फंडामेंटली स्ट्रांग कंपनी का चयन कर पाएंगे।किसी भी कंपनी में निवेश करने से पहले उसके कैश फ्लो स्टेटमेंट को पढ़ना बहुत जरूरी है। हमेशा ऐसी कंपनी में ही निवेश करना चाहिए जिसका कैश फ़्लो पॉजिटिव हो क्योंकि नेगेटिव कैश फ्लो कंपनी के भविष्य के लिए सही नहीं होता है।
लेख के बारे में आप अपनी टिप्पणी को कमेंट सेक्शन में कमेंट करके दर्ज करा सकते हैं। इसके अलावा आप अगर एक व्यापारी हैं और अपने व्यापार में कठिन और मुश्किल परेशानियों का सामना कर रहे हैं और चाहते हैं कि स्टार्टअप बिज़नेस को आगे बढ़ाने में आपको एक पर्सनल बिज़नेस कोच का अच्छा मार्गदर्शन मिले तो आपको PSC (Problem Solving Course) का चुनाव जरूर करना चाहिए जिससे आप अपने बिज़नेस में एक अच्छी हैंडहोल्डिंग पा सकते हैं और अपने बिज़नेस को चार गुना बढ़ा सकते हैं ।