MSME सेक्टर को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनने के लिए टेक्नोलॉजी पर देना पड़ेगा अधिक बल
नई दिल्ली: देश के सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उपक्रम (एमएसएमई) को अपनी वैश्विक प्रतिस्पर्धी क्षमता बढ़ाने के लिए टेक्नोलॉजी को अपनाना होगा और मूल्यवर्धन पर अधिक जोर देना होगा. एमएसएमई राज्यमंत्री प्रताप चंद्र सारंगी ने सोमवार को उद्योग मंडल एसोचैम के एक वेबिनार को संबोधित करते हुए कहा कि एमएसएमई क्षेत्र को अंतरराष्ट्रीय बाजार में आगे बढ़ने के लिए तीन महत्वपूर्ण कारकों- पूंजी की लागत, बिजली की लागत और लॉजिस्टिक लागत को कम करने पर ध्यान केंद्रित करना होगा. MSME Startup Ideas आपको बिज़नेस में दिलाएंगे अपार सफलता
एसोचैम ने सारंगी के हवाले से बयान में कहा, ‘‘हम निर्यात कारोबार को मजबूत करने की नीति पर काम कर रहे हैं. सरकार ऐसे उत्पादों के देश में उत्पादन पर भी ध्यान दे रही है जिनका अभी आयात किया जाता है.’’ उन्होंने कहा कि उनका मंत्रालय इन उपक्रमों को वैश्विक बनाने और कुल कारोबारी वातावरण में सुधार के लिए कदम उठा रहा है.
उल्लेखनीय है कि एमएसएमई क्षेत्र की देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 30 प्रतिशत हिस्सेदारी है. इसके अलावा निर्यात में उसका 48 प्रतिशत का हिस्सा है और एमएसएमई ने 11 करोड़ रोजगार का सृजन किया है. केंद्र सरकार का लक्ष्य जीडीपी में एमएसएमई की हिस्सेदारी बढ़ाकर 40 प्रतिशत और निर्यात में 60 प्रतिशत करने का है. इसके अलावा सरकार एमएसएमई क्षेत्र में पांच करोड़ नए रोजगार के अवसरों का भी सृजन करने की योजना बना रही है.
केंद्रीय सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उपक्रम (एमएसएमई) मंत्री नितिन गडकरी के मुताबिक केंद्र सरकार के लिए सबसे महत्वपूर्ण एजेंडा ग्रामीण, कृषि, आदिवासी क्षेत्रों तथा 115 आकांक्षी जिलों में एमएसएमई का विकास करने का है. यह ऐसा क्षेत्र है जिसका जीडीपी में योगदान काफी कम है.