कभी बेचते थे पानी पुरी, आज खेल रहे हैं क्रिकेट। जानिए यशस्वी जायसवाल की संघर्ष से सफलता तक की कहानी

Yashasvi Jaiswal: Inspiring Story of A Cricket Player.

कहा जाता है कि जीवन में सफल होने के लिए संघर्षों की भट्टी में तपना पड़ता है, क्योंकि सोना भी आग में तपकर ही कुंदन बनता है। राजस्थान रॉयल्स की ओर से IPL खेल रहे यशस्वी जायसवाल का जीवन भी संघर्षों से भरा रहा है। जीवन के सभी संघर्षों को पार कर वे आज IPL में क्रिकेट खेल रहे हैं।

यशस्वी जायसवाल

जन्म: 28 दिसंबर 2001, भदोही, उत्तर प्रदेश
पिता का नाम: भूपेंद्र कुमार जायसवाल
माता का नाम: कंचन जायसवाल
टीम: राजस्थान रॉयल्स

 

यशस्वी एक निम्नवर्गीय परिवार से आते हैं, उनके पिता की अपने गाँव में छोटी सी हार्डवेयर की दुकान है और माँ ग्रहणी। यशस्वी क्रिकेट खेलने के लिए सबसे पहले गाँव छोड़कर मुंबई आये और यहाँ पर सभी संघर्षों का सामना करते हुए आज वे IPL में झंडे गाड़ रहे हैं।

जानिये यशस्वी जायसवाल की संघर्ष से सफलता तक की कहानी –

कौन है यशस्वी जायसवाल?

यशस्वी का जन्म 28 दिसंबर 2001 को उत्तरप्रदेश के भदोही के सुरियावां में एक निम्नवर्गीय परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम भूपेंद्र कुमार और माता का नाम कंचन जायसवाल है। यशस्वी छह भाई बहनों में चौथे भाई हैं। यशस्वी के पिता की गाँव में ही एक छोटी सी हार्डवेयर की दुकान है, जिससे होने वाली आमदनी इतने बड़े परिवार के लिए पर्याप्त नहीं थी। यशस्वी का ध्यान बचपन से ही क्रिकेट खेलने में था, इसलिए उन्होंने सिर्फ 10वीं तक की पढ़ाई की है।

संघर्षों से भरा रहा जीवन

यशस्वी को उनके गाँव में क्रिकेट के लिए कोई सुविधाएँ नहीं थी। इसके चलते वे 10 साल की उम्र में मुंबई आ गए और आजाद मैदान में क्रिकेट की ट्रेनिंग लेने लगे। वहां शुरुआत में वे दादर में रहते थे, जो आजाद मैदान से दूर था। इसलिए वे कालबादेवी में शिफ्ट हो गए। यहाँ वे निम्न श्रेणी का काम करने की शर्त पर एक डेयरी में रहने लगे।

वे क्रिकेट के चलते वहां ज्यादा काम नहीं कर पाते थे, जिसके चलते दुकानदार ने उन्हें बाहर निकाल दिया। बाद में वे ग्राउंड्समैन के साथ टेंट में रहने लगे। उनके पिता उन्हें थोड़े बहुत पैसे भेजते थे, जो पूरे नहीं पड़ते थे। कई बार उन्हें भूखा सोना पड़ता था और कई बार वे पेट भरने के लिए पानी पुरी भी बेचा करते थे।

इनका रहा यशस्वी के जीवन में महत्वपूर्ण स्थान

3 साल तक यशस्वी का जीवन ऐसे ही संघर्षों में बीतता रहा। एक दिन उन्हें नेट प्रैक्टिस करते हुए उनके कोच ज्वाला सिंह ने देख लिया। यशस्वी की परेशानियों को देखते हुए ज्याला सिंह इनके क़ानूनी गार्डियन बन गए। अब यशस्वी का सारा खर्चा ज्वाला सिंह वहन कर रहे थे। इसके साथ ही यशस्वी का हर तरह से साथ भी दे रहे थे।

ऐसे हुआ यशस्वी का IPL में सेलेक्शन

2019 में यशस्वी ने मुंबई की और से रणजी ट्रॉफी खेलना शुरू किया। दिसंबर 2019 में उनका 2020 के अंडर-19 विश्वकप में नाम आया। 2020 और 2021 में हुए IPL में इन्हें 2.40 करोड़ में राजस्थान रॉयल्स ने ख़रीदा और 2022 एवं 2023 में इसी टीम ने इन्हें 4 करोड़ में ख़रीदा। आज यशस्वी की नेट वर्थ 12 करोड़ के लगभग है।

यदि इंसान अपने सपनों को पूरा करने के लिए पुरे डेडिकेशन के साथ काम करे, तो जीवन की कोई बाधा उसके और उसके लक्ष्य के आड़े नहीं आ सकती, यह बात यशस्वी ने साबित कर दी है।

Share Now

Related Articles

IAS अंकिता चौधरी ने UPSC की तैयारी के लिए सोशल मीडिया से बनाई दूरी, फिर 14वीं रैंक हासिल कर बनीं असिस्टेंट डिप्टी कमिश्नर

लालटेन की रोशनी में करते थे तैयारी, पिता का अंतिम स्ंस्कार के लिए लेने पड़े थे उधार पैसे, कुछ ऐसी है IAS रमेश घोलप की कहानी

एक्सीडेंट होने के बाद भी दिया मेन्स का पेपर, पहले ही अटेम्प्ट में बने आईपीएस अधिकारी। जानिये सफीन हसन की सफलता की कहानी

जानिए कैसे Infosys के ऑफिस में पानी पिलाने वाले दादा साहेब भगत ने देखते ही देखते खुद की दो कंपनियां खड़ी कर दीं

नितिन शर्मा के आविष्कार से दुनिया में बचाया जा सकता है 10,000 Billion लीटर पीने का पानी

50 हजार से शुरू किया था बिजनेस, आज 11,400 करोड़ के मालिक हैं रामेश्वर राव

रिटायरमेंट की उम्र में नौकरी छोड़ शुरू किया खुद का बिजनेस, अब कमाते हैं करोड़ों जानिए भाऊसाहेब नवले की प्रेरक कहानी

जयंती कनानी: 6000 की जॉब करने से लेकर भारत के पहले क्रिप्टो अरबपति बनने तक की सफलता की कहानी

Share Now