नौकरी ना मिलने पर शुरू की खेती, आज किसानों और स्टूडेंट्स के लिए बन चुके हैं मिसाल

Success Story of UP Farmer Kamlesh Mishra.

जहां एक तरफ युवाओं को पढ़ाई करने के बाद नौकरी के लिए संघर्ष करना पड़ता है तो वहीं दूसरी ओर किसान भी खेती में आने वाले उतार चढ़ाव और परेशानियों से जूझते नज़र आते हैं।

लेकिन उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले में रहने वाले कमलेश मिश्रा ने कुछ ऐसा किया है जिससे वो युवाओं और किसानों दोनों के लिए प्रेरणा बन चुके हैं। पढ़ाई करने के बाद भी जब इन्हें नौकरी नहीं मिली तो फिर इन्होंने खेती करना चुना जिसके कारण आज वो ना सिर्फ अच्छी आमदनी कमा रहे हैं बल्कि लोगों के लिए मिसाल भी बन चुके हैं।

कौन है कमलेश मिश्रा?

कमलेश मिश्रा उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले में रहते हैं, दूसरे युवाओं की तरह पढ़ाई करके उनका भी नौकरी करके करियर बनाने का सपना था। इसके लिए उन्होंने बीकॉम की पढ़ाई की और फिर नौकरी के लिए अप्लाई किया, लेकिन बहुत सी कोशिशों के बाद भी उन्हें कोई नौकरी नहीं मिली और यहीं से उनके जीवन में एक नया मोड़ आया।

नौकरी ना मिलने के बाद कमलेश मिश्रा ने खेती करने का फैसला किया, उन्होंने खेती करना शुरू तो किया लेकिन उनका तरीका पारंपरिक खेती से हटकर था। अपनी पढ़ाई और नॉलेज का इस्तेमाल करके उन्होंने पॉलीहाउस तकनीक से खेती करना शुरू किया। कमलेश ने टीवी और इंटरनेट पर बहुत सी जगह देखा और सुना था कि पॉलीहाउस में बेमौसमी सब्जियों को आसानी से उगाया जा सकता है और मार्केट में उन सब्जियों की डिमांड काफी ज्यादा होती जो आमतौर पर उस मौसम में उपलब्ध नहीं होती हैं।

कमलेश मिश्रा और पॉलीहाउस

शुरुआत में कमलेश मिश्रा को इस पॉलीहाउस तकनीक के साथ खेती करने में काफी सारी समस्याओं का सामना करना पड़ा, उनके आस पास मौजूद किसानों ने उन्हें इस तकनीक से खेती करने के लिए मना भी किया कहा कि इसमें खर्चा बहुत ज्यादा है और मुनाफा होना मुश्किल है। लेकिन कमलेश को अपने लिए फैसले पर पूरा भरोसा था।

पॉलीहाउस तकनीक से सब्जियों की खेती करने के लिए उन्हें सबसे पहले एक पॉलीहाउस बनाने की ज़रूरत थी जिसके लिए पहले उन्होंने राजस्थान जाकर वहां के किसानों के साथ उनकी पॉलीहाउस पर रिसर्च और काम करने के तरीके को समझा, फिर उद्यान विभाग जाकर सरकारी योजनाओं की जानकारी हासिल की।

जिसके बाद उन्होंने पॉलीहाउस तैयार किया जो कि 43 लाख में बनकर तैयार हुआ, इसके लिए कमलेश ने सरकारी योजनाओं का फायदा उठाया और इस प्रोजेक्ट के उन्हें सरकार की तरफ 50 प्रतिशत की सब्सिडी हासिल की। आज उनके मुनाफे की बात करें तो उन्होंने एक साल में 5 लाख की लागत लगाकर 30 लाख का मुनाफा हासिल किया है।

आज कमलेश मिश्रा खेती करने वाले किसानों के लिए एक मिसाल बन चुके हैं और उन युवाओं के लिए भी एक ऐसा उदाहरण बनकर उभरे हैं जिसने ये साबित किया है कि अगर आपमें काबिलियत है तो खेती करके भी अच्छी आमदनी की जा सकती है।

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