जीवन में संघर्ष और चुनौतियों के आगे हार न मानने वाले ही इतिहास रचते हैं। इस बात का प्रत्यक्ष उदाहरण हैं गिरीश मातृभूतम जो सॉफ्टवेयर की दिग्गज कंपनी फ्रेशवर्क्स इंक के संस्थापक और सीईओ हैं।
गिरीश ने पैसे उधार लेकर अपने बिज़नेस की शुरुआत चेन्नई में की थी। अब उनकी यह कंपनी अमेरिका की प्रसिद्ध कंपनियों में से एक बन गई है। उन्होंने साल 2021 में न्यूयार्क स्टॉक एक्सचेंज में ब्लॉकबस्टर आईपीओ के ज़रिये एक मिलियन डॉलर जुटाया और अपने 500 कर्मचारियों को रातों रात करोड़पति भी बना दिया था। इसके बाद इन्होंने काफी सुर्खियां बटोरी थी।
लेकिन चेन्नई के एक छोटे से गांव से निकलकर अमेरिका में अपनी कंपनी स्थापित करने का सफर उनके लिए आसान नहीं था। आइए जानते हैं उनके जीवन के इस प्रेरक सफर के बारे में।
संघर्ष में बीता बचपन:
तमिलनाडु के त्रिची टाउन के एक मध्यवर्गीय परिवार में जन्में गिरीश मातृभूतम ने बचपन से ही काफी संघर्ष किया। उनके पिता सामान्य सरकारी कर्मचारी थे। बचपन में वे पढ़ाई में औसत ही थे, लेकिन फिर भी स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद वे चैन्नई इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने गए। वहां भी वे एक औसत छात्र थे।
इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद साल 1992 में उन्होंने एमबीए करने का फैसला किया। लेकिन उनके घर की आर्थिक स्थिती ठीक नहीं थी, फिर भी उन्होंने अपने आगे की पढ़ाई के लिए अपने पिता से पैसे मांगे। ये वो समय था जो किसी भी पिता के लिए सबसे कठिन समय होता है। पैसों की कमी के चलते उनके पिता ने एक रिश्तेदार से कर्ज लिया। इसी समय ने गिरीश को झकझोर दिया। मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो इस घटना ने गिरीश को समय से पहले ही परिपक्व और आत्मनिर्भर बनने के लिए मजबूर किया। यही वो समय था जब उन्होंने पैसे के महत्व को समझा और कुछ बड़ा करने का फैसला किया।
नौकरी छोड़ शुरू किया बिज़नेस:
गिरीश मातृभूतम ने कई स्टार्टअप्स शुरू किये और असफलताओं का भी अनुभव लिया। अपने सफल वेंचर की स्थापना से पहले उन्होंने अमेरिका में HCL और ZOHO सहित कई कंपनियों में काम किया।
ZOHO में नौ साल तक अच्छी सैलरी वाली और आरामदायक नौकरी के बाद वे एक वेबसाइट पर आए एक कमेंट ने उनके जीवन को एक नया मोड़ दिया। दरअसल इसी से उन्हें एक आईटी हेल्पडेस्क प्रोडक्ट बनाने का आइडिया आया।
साल 2010 में उन्होंने अपने दोस्त कलीग शान कृष्णासामी के साथ मिलकर चेन्नई में फ्रेशवर्क्स (फ्रेशडेस्क के रूप में) की शुरुआत की। इस स्टार्टअप की शुरूआत के लिए उन्होंने रिस्क लेकर नौकरी छोड़ी और अपना सारा समय स्टार्टअप को दिया।
8 साल में ही बन गई करोड़ों की कंपनी:
गिरीश मातृभूतम ने लगातार मेहनत से अपनी कंपनी को सफलता दिलाई। फ्रेशवर्क्स को पहली फंडिंग साल 2011 में मिली। Accel ने इसमें 10 लाख डॉलर निवेश किया। उसी साल कंपनी को अपना पहले कस्टमर भी मिला।
इसके बाद फ्रेशवर्क्स ने अपने प्रॉडक्ट रेंज का विस्तार करते हुए सेल्स और सीआरएम को भी जोड़ा। 2021 में इसका सलाना रिकरिंग रेवेन्यू 49 फीसदी बढ़त के साथ 30 करोड़ डॉलर को पार कर गया।
साथ ही उन्होंने स्टार्टअप्स में निवेश के लिए एक फंड भी बनाया। उनकी कंपनी का रेवन्यू 8 साल के अंदर 0 से 100 मिलिन डॉलर पार कर गया। इसके बाद अगले डेढ़ साल में ये कंपनी 200 मिलियन डॉलर की बन गई। आज इस कंपनी का मुख्यालय कैलिफोर्निया में है। इसके अलावा भारत, ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन और जर्मनी में भी इसके ऑफिस हैं।
फ्रेशवर्क्स के पास आज 50,000 से अधिक ग्राहकों के साथ 95000 करोड़ की वैल्यूएशन है। इसके ग्राहकों में होंडा, बॉस, सिटिजन एडवाइस, तोशिबा और सिस्को जैसे ब्रॉन्ड शामिल हैं।
कर्मचारियों को बना दिया था करोड़पति:
गिरीश मातृभूतम ने न केवल खुद सफलता पाई बल्कि अपनी कंपनी में काम करने वाले कर्मचारियों को भी करोड़पति बना दिया था। फ्रेशवर्क्स के पब्लिक होने से कंपनी के 500 कर्मचारी रातों रात करोड़पति बन गए। फ्रेशवर्क्स में दो-तिहाई कर्मचारी शेयरहोल्डर हैं।
यही नहीं गिरिश तमिल सुपरस्टार रजनीकांत के भी जर्बदस्त फैन हैं। रजनीतकांत के प्रति उनकी दीवानगी इसी से समझ सकते हैं कि रजनीकांत की कोई नई फिल्म रिलीज होती है तो वह अपने कर्मचारियों के लिए चेन्नई में पूरा हॉल बुक करा लेते हैं।
गिरिश की कंपनी का बिजनेस मॉडल अपमार्केट सेल्स और उनके प्रोडक्ट पर आधारित है। सेल्स मॉडल पर इस कंपनी ने बहुत अच्छा काम किया है। इस कंपनी के ऑफिस आज दुनिया के कोने-कोने में फैले हैं जिनमें पेरिस, नीदरलैंड्स और फ्रांस जैसे देश शामिल हैं।
फ्रेशवर्क्स में स्टीडव्यू कैपिटल, एस्सेल, कैपिटल जी, सिकोया कैपिटल, टाइगर ग्लोबल मैनेजमेंट जैसी कंपनियों ने बड़े पैमाने पर निवेश किया है।
गिरिश मातृभूतम ने अपनी मेहनत और लगन से सफलता की कहानी लिखी है। आज वे लाखों लोगों के लिए प्रेरणास्त्रोत बन गए हैं।