दिव्यांक तुरखिया और भाविन तुरखिया Success Story: 16 साल की उम्र में इन दोनों भाइयों ने मिलकर खड़ी कर दी करोड़ों की कंपनी, जानें इनकी सफलता की कहानी

हमें फल की चिंता किए बिना ही अपना काम करते रहना चाहिए क्योंकि किस्मत कब पलट जाए यह कोई नहीं कह सकता। इस बात का प्रत्यक्ष प्रमाण है दो भाई दिव्यांक तुरखिया और भाविन तुरखिया इन दोनों भाइयों को भारतीय ऐड टेक जगत की सबसे बड़ी हस्ती के रूप में देखा जाता है। इन भाइयों ने अपने डेढ़ दशक के कैरियर में लगभग एक दर्जन कंपनियां खड़ी कर दी हैं। जिनमे से पांच कंपनियों को बेचकर आज ये दोनों भाई भारत के सबसे अमीर लोगों की सूची में शामिल हैं। दस-दस हज़ार करोड़ की निजी सम्पति के मालिक इन भाइयों की सफलता की कहानी बेहद प्रेरणादायक है। लेकिन यहां तक पहुंचने के लिए इन दोनों भाइयों को काफी मेहनत करनी पड़ी। आइए जानते हैं उनकी सफलता की कहानी-

दिव्यांक तुरखिया (Divank Turakhiya) और भाविन तुरखिया (Bhavin Turakhiya) दोनों भाई Media Dot Net Startup के फाउंडर्स हैं। दोनों भाइयों का जन्म मुंबई में हुआ था। मुंबई के जुहू और अंधेरी इलाके में पले-बढ़े इन दोनों भाइयों ने मात्र 7-8 वर्ष की उम्र में ही कंप्यूटर प्रोग्रामिंग सीखनी शुरू कर दी थी। साल 1995 में जब भारत में इंटरनेट का आगमन हुआ था। उसी समय इन दोनों भाइयों को अच्छी खासी कंप्यूटर और इंटरनेट की जानकारी हो गई थी। जिस उम्र में बच्चे पढ़ाई और खेल पर ध्यान लगाते हैं उस उम्र में इन दोनों भाइयों ने अपनी कंपनी खड़ी कर दी थी। उस समय उन दोनों भाईयों की उम्र 14 और 16 वर्ष थी।

दिव्यांक को शुरु से ही कंप्यूटर से खासा लगाव था। उनके पिता पेशे से चार्टर्ड अकाउंटेंट हैं और मां समाजसेविका हैं। दिव्यांक के परिवार में उन दिनों एक कम्प्यूटर खरीदना आसान नहीं था। उनका परिवार खर्च नहीं उठा सकता था। इसलिए वो अपने अमीर दोस्तों के कम्प्यूटर से ही सीखा करते थे। 9 वर्ष की उम्र में ही दिव्यांक ने बेसिक्स में प्रोग्रामिंग शुरू कर दी। उनकी रुचि लगातार इसमें बढ़ती चली गई।

दिव्यांक ने बहुत ही छोटी उम्र में तकनीक की बारीकियों को ऐसे सिख लिया था, जिसे सीखने में एक आम युवा को सालों लग जाते हैं। खास बात यह है कि इसे सीखने के लिए उन्होंने किताबों की मदद ली। उनके पिता के शौक के चलते घर में किताबें थी। किताबें पढ़ने के शौकीन दिव्यांक बताते हैं कि उनके पिता की रुचि किताबों में थी इसलिए उनके घर में ही किताबों की लाइब्रेरी बनी हुई थी। इसी वजह से उनके घर पर हर विषय की किताबें उपलब्ध थीं। दिव्यांक को अलग-अलग विषयों की किताबें पढ़ना पसंद था। वो किताबों को पढ़कर जानकारी एकत्र किया करते थे। इन्हीं को पढ़ने के बाद वे अपनी जानकारी को प्रायोगिक तौर पर इस्तेमाल में लेते और सीखते थे। उन्होंने महज 13 वर्ष की उम्र में अपने भाई भाविन के साथ मिलकर एक स्टॉक मार्केट सिमुलेशन गेम तैयार किया जो स्टॉक मार्केट की कीमतों पर नजर रख सकती थी।

भारत में इंटरनेट के आ जाने के बाद आने वाले भविष्य में वेब होस्टिंग बिजनेस में बेहतर और अच्छी खासी संभावनाएं को देखते हुए इन दोनों भाइयों ने Website Hosting में अपना हाथ बढ़ाया। जिसके लिए उन्होंने अपने पिताजी से 35000 रुपये का कर्ज लिया। दोनों भाइयों ने मात्र 16 और 18 वर्ष की आयु में ही 1998 में अपने घर से ही Directi Group Startup की शुरुआत की थी।  यह उनकी पहली Web hosting की शुरुआत थी।

Directi Group Startup शुरू करने के बाद मात्र 4 वर्ष में दोनों भाइयों ने अपनी कड़ी मेहनत और लगन के दम पर कंपनी को सलाना 10 लाख रुपये के टर्नओवर तक पहुंचा दिया| इन्टरनेट में लगातार बढ़ती सम्भावनाओं को देखते हुए जल्दी ही वो लोग डोमेन नेम बेचने के बिजनेस में भी उतर गये। जिसके बाद कंपनी का टर्नओवर सालाना लगभग 1 करोड़ डॉलर तक पहुंच गया| अब उन्होंने अपने व्यापार को और बढ़ाने के लिए वर्ष 2005 में Skenzo नामक एक और कंपनी का Startup किया जो अनयूज्ड डोमेन खरीदकर उन्हें अधिक कीमत पर बेच देती थी|

दोनो भाइयों ने अपनी इस कंपनी के जरिये कई ऑनलाइन प्रोजेक्टों में हाथ आजमाये जो काफी सफल रहे क्योंकि उनकी कंपनी ऑनलाइन एडवर्टाइजिंग मार्केट में भी अच्छी पकड़ बना चुकी थी| इसके बाद वर्ष 2010 में दोनों भाइयों ने Skenzo को Media Dot Net में तब्दील कर दिया जिसका सलाना टर्नओवर वर्ष 2015 तक 23.2 करोड़ डॉलर से भी अधिक का हो चुका था|

साल 2016 में जब Media Dot Net का वार्षिक टर्नओवर 25 करोड़ डॉलर तक पहुंच चुका था तब इसे चीन की Miteno Communication Technology ने पूरे 90 करोड़ डॉलर (लगभग 6 हजार करोड़ रूपए) में खरीद लिया। जिसके कारण वो दोनों भाई वर्ष 2016 में भारत के सबसे युवा अरबपति बन गए। वो लोग आज भी Media Dot Net को चीनी कंपनी के सहायक के तौर पर चला रहे हैं और कई बड़ी कंपनी में बतौर शेयर पार्टनर के तौर पर काम कर रहे है और अपना इन्वेस्टमेंट कर रहे हैं।

पिता से पैसे उधार लेकर इन दोनों भाइयों ने आज 14 सौ कर्मचारी वाली कंपनी खड़ी कर दी, जिसकी नेटवर्थ 400 मिलियन डॉलर से अधिक है। इन दोनों भाइयों ने अपनी नई सोच और मेहनत के दम पर अपनी सफलता की कहानी (Success Story) लिखी है। इनकी यह कहानी सभी के लिए प्रेरणास्त्रोत (Inspiration) है।

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