Story of Pabiben Rabari: कभी घरों में पानी भरकर करती थीं गुजारा,अब हैं करोड़ों की मालकिन

Story of Pabiben Rabari: लगन और सही नीयत के साथ अगर काम किया जाए तो सफलता सिर झुकाकर हमारे सामने खड़ी हो जाएगी. एक ऐसी ही शख्सियत हैं गुजरात के कच्छ जिले के छोटे से गांव भदरोई की रहने वाली पाबिबेन रबारी. जिन्होंने अपने हुनर के बल पर 20 लाख रुपए सालाना के टर्नओवर का बिज़नेस खड़ा कर दिया है.आइये जानते हैं पाबिबेन रबारी के जीवन की कहानी.

पाबीबेन (Pabiben Rabari) का जीवन काफी संघर्षों से भरा रहा। बचपन में ही पाबिबेन रबारी के पिता का देहांत हो गया, और घर की सारी जिम्मेदारी उनकी मां के कंधों पर आ गई। ऐसे में परिवार का खर्च चलाने के लिए पाबीबेन रबारी (Pabiben Rabari Struggle) ने अपनी मां की मदद करनी शुरू कर दी. उन्होंने लगभग एक साल तक एक रुपए में लोगों के घरों में पानी भरने का काम किया. घर की आर्थिकी स्थिति ख़राब होने के कारण पाबिबेन को चौथी के बाद पढने का मौका नहीं मिला.

दिनभर काम करने के बाद जैसे ही पाबिबेन रबारी (Pabiben Rabari Story) को समय मिलता था वो अपनी मां से कढ़ाई का काम सीखना शुरू कर देती थीं. बता दें कि पारंपरिक कढाई बुनाई में काफी बारीक काम होता है. 1998 में पाबिबेन रबारी को एक पारंपरिक कला संस्था के साथ काम करने का मौका मिला. जहां उन्होंने इस कला को ''हरी-जरी'' नाम दिया और धीरे-धीरे पाबिबेन रबारी ने 'हरी-जरी' नाम की कढ़ाई करने में महारत हासिल की. पाबिबेन ने काफी लंबे समय इस संस्था के साथ काम किया, जहां उन्हें 300 रूपये तनख्वाह मिलती थी.

पाबिबेन जैसे अपने कला को लेकर आगे बढ़ ही रही थी कि तभी उनकी शादी हो गई. इस दौरान उनकी शादी में कुछ विदेशी लोग भी आए, जिन्हें हाथ से बनाए खास तरह के बैग भेंट में दिये गये. विदेशी लोगों को पाबिबेन का ये भेट बेहद ही पसंद आया. विदेशी लोगों ने पाबिबेन के इस बैग को 'पाबिबैग' का नाम दे दिया. विदेशियों की इस तारीफ के बाद पाबिबेन के ससुराल वालों ने भी उनका साथ दिया. इसके बाद गांव की महिलाओं के साथ मिलकर पाबिबेन ने अपनी फर्म बनाई जिसका नाम रखा "पाबिबेन डॉट कॉम" रखा. उनके इस फर्म को पहला आर्डर 70 हज़ार का मिला. जबकि आज कपनी का सालाना टर्नओवर 20 लाख रूपये तक पहुंच चुका है.

पाबिबेन के बैग को बॉलीवुड फिल्म “लक बाय चांस” में भी यूज़ किया गया है.जर्मनी, अमेरिका, लंदन जैसे कई शहरों में इनके पाबिबैग की मांग है.सरकार ने भी 2016 में जानकी देवी बजाज पुरूसकार से पाबिबेन रबारी को सम्मानित किया. आज देशभर में पाबिबेन डॉट कॉम जाना पहचाना नाम है.

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