जन्म के समय गर्दन टूटी, हौंसला नहीं! जानिए Edelweiss Mutual Fund की CEO राधिका गुप्ता की संघर्ष से सफलता की कहानी

Success Story of Radhika Gupta in Hindi

हर इंसान में कोई ना कोई कमी जरूर होती है। चाहे वो मानसिक हो या शारीरिक। ये इंसान के ऊपर निर्भर करता है कि वो उन कमियों के साथ ही जियेगा या उन कमियों को दूर कर अपनी सफलता का रास्ता बनाएगा। आज की कहानी भी एक ऐसी इंसान की है, जिसने अपनी शारीरिक क्षमताओं को अपनी सफलता की राह में कभी आड़े नहीं आने दिया।

आज हम बात कर रहे हैं, Edelweiss Mutual Fund की सीईओ और एमडी राधिका गुप्ता की। जन्म के समय ही कुछ परेशानियों के कारण राधिका की गर्दन टूट गयी थी, जिसके चलते स्कूल कॉलेज में उनके सहपाठी उनका मजाक उड़ाते। लेकिन फिर भी उन्होंने इस कमी को कभी भी अपने बुलंद हौसले के आड़े नहीं आने दिया।

जानिये राधिका गुप्ता की संघर्ष से सफलता की कहानी –

जन्म: 1983, पाकिस्तान
पिता: योगेश गुप्ता
माता: आरती गुप्ता
पद: Edelweiss Mutual Fund के CEO और MD
वर्तमान स्थिति: 1 लाख करोड़ रुपये की नेटवर्थ

जन्म के समय टूट गयी थी गर्दन

राधिका का जन्म 1983 में योगेश गुप्ता और आरती गुप्ता के यहाँ हुआ था। राधिका के पिता योगेश एक राजनायिक थे। यही कारण है कि राधिका का जन्म पाकिस्तान में हुआ था। जन्म के समय कुछ परेशानियों के चलते राधिका की गर्दन टूट गयी थी, जिसके चलते स्कूल और कॉलेज के बच्चे हमेशा उनका मजाक उड़ाते थे। राधिका की स्कूली शिक्षा भारत के अलावा पाकिस्तान, नाइजीरिया, अमेरिका में हुई।

अपनी जिंदगी खत्म करना चाहती थी राधिका

अपनी स्कूली शिक्षा खत्म करने के बाद राधिका ने अमेरिका से कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई की। पढ़ाई पूरी होने के बाद भी राधिका का संघर्ष जारी रहा। उस समय वे नौकरी हासिल करने का प्रयास कर रही थी। उन्होंने 7 कम्पनियों में इंटरव्यू दिया, लेकिन उन्हें सफलता हाथ नहीं लगी। 

इसके चलते वे डिप्रेशन में चली गयी और उन्होंने अपनी जिंदगी खत्म का फैसला कर लिया। इसके लिए वे खिड़की से छलांग लगाने ही वाली थी कि उनके दोस्तों ने राधिका को बचाया और उन्हें मनोचिकित्सक के पास ले गए।

इस तरह से पाई नौकरी

राधिका का इलाज शुरू हो गया। तभी उन्हें एक जॉब का ऑफर आया और उन्होंने मनोचिकित्सक से बात की और वे इंटरव्यू देने गयी। इंटरव्यू प्रोसेस को पूरा करने के बाद उन्हें मैकिन्से में नौकरी मिल गयी, जिसके बाद उनके जीवन में खुशियों ने दस्तक देना शुरू कर दिया। 

उनका जीवन सही हुआ ही था कि 2008 में वैश्विक संकट आ गया और उन्हें वापस भारत आना पड़ा। 25 साल की उम्र में राधिका ने अपने पति नलिन मोनिज़ के साथ एसेट मैनेजमेंट कंपनी "फोरफ्रंट कैपिटल मैनेजमेंट" शुरू की। 

कुछ सालों बाद उनकी कंपनी को Edelweiss Mutual Fund ने टेकओवर कर लिया। 2017 में 33 साल की उम्र में Edelweiss Mutual Fund ने राधिका को कंपनी की सीईओ नियुक्त किया। जब राधिका Edelweiss की सीईओ बनी थी। तब कंपनी की नेटवर्थ 9128 करोड़ रुपये थी, जो कि जनवरी 2023 तक बढ़कर 1 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा हो गयी है।

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