एक्सीडेंट के कारण बेड रेस्ट में किये मैथ्स पज़ल्स सोल्व, तब कहीं जाकर बने दुनिया के सबसे तेज़ 'ह्यूमन कैलकुलेटर'

Neelakantha Bhanu Prakash - World's Fastest Human Calculator, Forbes 30 Under 30 Asia.

हर इंसान के जीवन में कोई ना कोई मुसीबत तो होती ही है, लेकिन इंसान जिस तरह से उस मुसीबत में खुद को मैनेज करता है, उसी से वह सफल या असफल होता है। ऐसी ही प्रेरक सफर है दुनिया के सबसे तेज ह्यूमन कैलकुलेटर नीलकंठ भानु प्रकाश की।

जब नीलकंठ 5 साल के थे, तब उन्हें एक दुर्घटना में सिर में चोट लग गयी थी। तब खुद को व्यस्त रखने के लिए उन्होंने मेन्टल हेल्थ कैलकुलेशन करना शुरू कर दिया।

जन्म: 13 अक्टूबर 1999, हैदराबाद
पिता: श्रीनिवास जोनलगड्डा
माता: हेमा शिवपार्वती
शिक्षा: दिल्ली स्थित सेंट स्टीफन कॉलेज से गणित में BSc ऑनर्स
अवॉर्ड: मेन्टल कैलकुलेशन वर्ल्ड चैंपियनशिप में गोल्ड मेडलिस्ट, माइंड स्पोर्ट्स ओलंपियाड 2020, 50 से ज्यादा लिम्का बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड

आज नीलकंठ के नाम 4 विश्व रिकॉर्ड, 50 लिम्का बुक रिकॉर्ड हैं। इसके साथ ही 2020 में मेन्टल कैलकुलेशन वर्ल्ड चैंपियनशिप में गोल्ड जीतकर नीलकंठ दुनिया के सबसे तेज़ 'ह्यूमन कैलकुलेटर' भी बन गए। जानिये नीलकंठ की प्रेरणादायी कहानी –

कौन है नीलकंठ भानु प्रकाश?

नीलकंठ का जन्म हैदराबाद में 13 अक्टूबर 1999 को हुआ था। इनके पिता का नाम श्रीनिवास जोनलगड्डा और माँ का नाम हेमा शिवपार्वती है। नीलकंठ को बचपन से ही मैथ्स में इंटरेस्ट था, वे हमेशा ही मैथ्स पज़ल्स और कैलकुलेशन सॉल्व किया करते थे। वहीं से उनके ह्यूमन कैलकुलेटर बनने की शुरुआत हुई।

क्या है नीलकंठ की एजुकेशन?

नीलकंठ हमेशा ही नम्बरों की दुनिया में खोये रहते थे, जैसे किसी से बात करते समय वे ये ध्यान देते थे कि सामने वाला कितनी बार पलके झपकाता है। स्कूल में हमेशा ही मैथ्स में अच्छे नंबर लाते थे। इसके अलावा वे स्कूल से आने के बाद रोजाना मैथ्स की प्रैक्टिस किया करते थे। उन्होंने दिल्ली के सेंट स्टीफन कॉलेज से गणित में BSc ऑनर्स किया।

कैसे हुआ गणित से प्यार?

बचपन से ही नीलकंठ का रुझान गणित में था, लेकिन उनका गणित से प्यार एक एक्सीडेंट के कारण हुआ। जब वे 5 साल के थे, तब उन्हें एक दुर्घटना में सिर पर चोट लग गयी थी। उस दौरान एक साल पर उन्हें बेड रेस्ट करना पड़ा। तब अपने दिमाग को व्यस्त रखने के लिए वे अलग अलग पज़ल्स और मैथ्स कैलकुलेशन करते रहते थे। बाद में वे दूसरी चीज़ें जैसे क्रिकेट खेलते हुए, बात करते हुए, संगीत सुनते हुए कैलकुलेशन करने लगे। धीरे-धीरे गणित उनके जीवन का हिस्सा बन गया, हर काम में वे मैथ्स का ही इस्तेमाल करने लगे।

ऐसे बने ह्यूमन कैलकुलेटर

धीरे-धीरे नीलकंठ गणित में इतने माहिर हो गए कि आज 4 वर्ल्ड रिकॉर्ड, 50 से ज्यादा लिम्का रिकॉर्ड उनके नाम हैं। इसके अलावा वे 2020 में हुए माइंड स्पोर्ट्स ओलम्पियाड में गोल्ड मेडलिस्ट भी बने। आज उन्हें विश्व का सबसे तेज ह्यूमन कैलकुलेटर कहा जाता है। नीलकंठ ने Bhanzu नाम से खुद का एडटेक स्टार्टअप भी शुरू किया है, जहाँ वे बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाते हैं।


जिस प्रकार भारत में पहले श्रीनिवास रामानुजन जैसे महान मैथमेटिशियन हुआ करते थे, नीलकंठ भारत को उसी तरह से भारत को मैथमेटिक्स में विश्व गुरु बनाना चाहते हैं। जब नीलकंठ का एक्सीडेंट हुआ, तब डॉक्टर को डर था कि नीलकंठ को कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं। लेकिन नीलकंठ ने 5 साल की उम्र में भी अपना हौंसला नहीं खोया और आज वे किसी पहचान के मोहताज नहीं है।

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