कैसे उग्रवादी विचारधारा से प्रभावित व्यक्ति बना IAS अधिकारी? जानिए IAS नारायण कोंवर की संघर्ष से सफलता की कहानी
हर इंसान के जीवन में संघर्ष अलग-अलग मुखौटे पहनकर आता है। लेकिन जो इंसान इन संघर्षों का सही ढंग से सामना करता है। वह जीवन में सफलता की सीढ़ियां चढ़ता जाता है। IAS नारायण कोंवर भी एक ऐसे ही इंसान हैं, जिन्होंने बचपन से ही जीवन में कई संघर्षों का सामना किया।
कम उम्र में उनके सर से पिता का साया उठ गया। फिर माँ को दिहाड़ी करनी पड़ी, जिसमें नारायण को भी सहायता करनी पड़ती थी। इस दौरान उन्हें सड़क किनारे सामान भी बेचना पड़ा। एक समय ऐसा भी आया, जब नारायण असम का विद्रोही संगठन उल्फा Join करना चाहते थे। लेकिन फिर उन्होंने संघर्षों से लड़कर सफलता पायी और IAS बने।
आज जानिए IAS नारायण कोंवर की संघर्ष से सफलता की कहानी –
जन्म: | 28 फरवरी 1979, मोरीगांव, असम |
UPSC: | 119वीं रैंक, 2010 |
वर्तमान पद: | असम शिक्षा विभाग में सचिव |
कौन है नारायण कोंवर?
नारायण का जन्म 28 फरवरी 1979 में असम के मोरीगांव में हुआ था। वैसे तो उनके पिता वेंचर स्कूल में शिक्षक थे। लेकिन उनका यह पद अस्थाई था। यही कारण है कि परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। नारायण जब 10 साल के हुए। तब उनके पिता की मृत्यु हो गयी और उनके परिवार पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा।
विद्रोही संगठन उल्फा Join करना चाहते थे
पिता की मृत्यु के बाद नारायण की माँ दिहाड़ी करती थी और साथ ही सब्जियां और अन्य चीजें बेचा करती थी। इस काम में नारायण भी अपनी माँ की सहायता करते थे। यही कारण है कि वो 12th फेल हो गए। इसके बाद नारायण ने फिर से 12वीं की परीक्षा की तैयारी की, साथ ही अपना और घर का खर्चा चलाने के लिए सड़क किनारे पापड़ फ्राई, चना फ्राई आदि बेचा। अपने दूसरे प्रयास में नारायण 12th पास हो गए। एक इंटरव्यू में नारायण ने बताया कि उनका क्षेत्र उल्फा विद्रोहियों का गढ़ हुआ करता था। इस वजह से वो भी एक समय उल्फा विद्रोही बनना चाहते थे।
कॉलेज में बने लेक्चरर
नारायण ने बंदूक की बजाय किताबों को चुना और स्थानीय कॉलेज से सेकंड डिवीज़न के साथ ग्रेजुएशन किया। उसके बाद उन्होंने गुवाहाटी विश्वविद्यालय से फर्स्ट डिवीज़न के साथ पोस्ट ग्रेजुएशन किया। एक समय उल्फा विद्रोही बनने का सपना रखने वाले नारायण एक कॉलेज में लेक्चरर बने। लेक्चरर बनने के बाद उनके घर की आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ।
इसके बाद नारायण ने कॉलेज में पढ़ाते हुए ही UPSC करने का निश्चय किया। UPSC के अपने पहले प्रयास में नारायण असफल हुए। उसके बाद 2010 में उन्होंने फिर से UPSC की परीक्षा दी और इस बार वे 119वीं रैंक के साथ सफल हुए।
12th फैल होने वाले और उल्फा विद्रोही बनने का सपना रखने वाले नारायण कोंवर आज एक IAS अधिकारी हैं और वर्तमान में असम के शिक्षा विभाग में सचिव के पद पर पदस्थ हैं।