International Nurse Day 2021: मानवता की देखरेख में हमेशा सबसे आगे रहती है भारतीय नर्स, अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस की कुछ महत्वपूर्ण बातें
‘आखिर क्यों न हो गर्व हमें उस पर, जो निभाती है इंसानियत के लिए सबसे बड़ा फर्ज़
दूसरों की देखभाल में बीते जिसका जीवन, अपने कर्तव्य को बखूबी निभाती है वह नर्स’
दुनिया में वैसे तो मानवता के उत्थान और कल्याण के लिए हर रोज़ न जाने कितनी संस्थाएं और समाज सुधारक काम करते हैं, लेकिन ऊपर लिखी दो पक्तियाँ उस व्यक्तित्व को सम्मान और समर्पण की भावना अर्पित करती हैं जो खुद के स्वास्थ्य की परवाह न करते हुए अपने काम को सबसे ऊपरी दर्जा देते हैं. इंसान की जान बचाने का श्रेय जब दिया जाता है तो सबसे पहले डॉक्टर का नाम लिया जाता है लेकिन डॉक्टर को सफलता दिलाने में नर्स की बेहद अहम भूमिका होती है.
दरअसल नर्स उसे कहते हैं जो किसी भी व्यक्ति की उस वक्त मदद करती है, जब वह अपने पैरों पर खड़े रहने के काबिल नहीं होता है. नर्स उस वक्त एक बेसहारा के लिए सहारा बनने का काम करती है, जब घायल व्यक्ति के पास आने हर कोई परहेज करता है. समय पर दवाईयाँ से लेकर खाने की एक लंबी फेहरिस्त नर्स ही करती है.
ऐसी जरूरी नहीं कि नर्स की भूमिका में कोई महिला ही हो, आज कल पुरुष भी नर्स की नौकरी को बड़ी खुशी के साथ करते हुए नज़र आते हैं, लेकिन हाँ सच यह भी है कि नर्स के किरदार में महिलाओं की संख्या कहीं ज्यादा है. कोरोना काल में जिस तरह से लोगों को बचाने का काम स्वास्थ्य क्षेत्र द्वारा किया जा रहा है, उसमें जितनी भूमिका डॉक्टर्स निभा रहे हैं, उतनी ही बहादुरी से दुनिया की सभी नर्सें भी खड़ी हैं. ऐसे में भारत में नर्स दिवस (Nurses day in India) के मौके पर उनके लिए सम्मान भाव का होना तो बनता है.
चलिए हम आपको बताते हैं कि आखिर कब से और क्यों अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस मनाया जाता है और आप किस तरह से इसे सेलेब्रेरेट (Nurses Day Celebration) कर सकते हैं?
क्यों मनाया जाता है अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस (Why Do We Celebrate International Nurse Day)
आपने फ्लोरेंस नाइटिंगेल (Florence Nightingale) का नाम न सुना हो ऐसा हो ही नहीं सकता है. वह पहली ऐसी महिला थी, जिन्हें आधुनिक नर्सिंग की जननी कहा जाता है. इन्होंने प्रीमिया युद्घ के दौरान घायलों सैनिकों और गंभीर रोग से ग्रस्त रोगियों की दिल से सेवा की थी. वह दिन-रात लोगों की सेवा में अर्पित कर देती थी, रोशनी नहीं होने पर वह अक्सर लालटेन की रोशनी में भी घायलों के ईलाज में लगी रहती थी. जिसके कारण उन्हें ‘लेडी विद द लैम्प’ के नाम से भी जाना जाता था.
उनकी इसी सेवा भाव को ध्यान में रखते हुए अमेरिका के स्वास्थ्य, शिक्षा और कल्याण विभाग के एक अधिकारी ने पहली बार नर्स दिवस मनाने का प्रस्ताव 1953 में रखा था, लेकिन किन्हीं कारणों के चलते तब ऐसा नहीं हो पाया. लेकिन 1974 में 12 मई से नर्स दिवस को मनाने की घोषणा कर दी गई. दरअसल 12 मई को फ्लोरेंस नाइटिंगेल का जन्मदिन भी था और इसी के बाद से हर साल 12 मई को अंतर्राष्ट्रीय नर्स या नर्सिंग दिवस के रूप में मनाया जाता है.
भारत स्वास्थ्य क्षेत्र में नर्सों के महत्व को पहले से ही जानता था. इसलिए 1973 से ही भारत सरकार के स्वास्थ्य परिवार एवं कल्याण मंत्रालय ने 12 मई को राष्ट्रीय फ्लोरेंस नाइटिंगेल पुरस्कार से सम्मानित करना शुरू कर दिया था. तभी से हर साल नर्स दिवस को बेहद सम्मान के साथ मनाया जाता है.
हम सभी जानते और समझते हैं कि अस्पताल में नर्स मरीजों की अपने स्वास्थ्य की परवाह किये बिना देखरेख करती है. उनका यही सेवा भाव उन्हें सबसे अलग बनाता है. ऐसे में हम सभी का कर्तव्य है कि हम उनके प्रति सम्मान और कृत्यज्ञा का भाव जरूर ज़ाहिर करें. हम सभी की ओर से सभी अंतर्राष्ट्रीय दिवस के अवसर पर सभी नर्सों को हार्दिक शुभकामनाएँ (Happy Nurses Day).