Ratan Tata सिर्फ एक नाम नहीं, बल्कि भारतीय बिजनेस इंडस्ट्री की पहचान हैं।

टाटा ग्रुप के चेयरमैन के रूप में उन्होंने अपनी दूरदर्शी सोच और मजबूत रणनीतियों से कंपनी को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया।

उनकी बिजनेस स्ट्रेटेजीज़ ने ना सिर्फ टाटा ग्रुप को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई, बल्कि भारत के कॉरपोरेट सेक्टर की दिशा भी बदल दी।
क्या आप जानते हैं कि रतन टाटा ने कौन-कौन सी रणनीतियां अपनाकर खुद को बिजनेस वर्ल्ड का आइकॉन बना दिया?

डायवर्सिफिकेशन का मास्टरस्ट्रोक

रतन टाटा की डायवर्सिफिकेशन स्ट्रेटेजी को उनका सबसे बड़ा कॉन्ट्रिब्यूशन माना जाता है। 1991 में चेयरमैन बनने के बाद उन्होंने टाटा ग्रुप को सिर्फ स्टील और ऑटोमोबाइल्स तक ही सीमित नहीं रखा, बल्कि आईटी, टेलीकम्युनिकेशन, हॉस्पिटैलिटी, रीटेल और स्पेस एक्सप्लोरेशन जैसे क्षेत्रों में भी टाटा ग्रुप को लेकर आए। “टाटा कंसल्टेंसी सर्विस”(TCS) का ग्लोबल आईटी सेक्टर में आज जो नाम है उसका क्रेडिट रतन टाटा के दूरदर्शी विजन को ही जाता है।

एक्विजिशन और ग्लोबल प्रेजेंस

रतन टाटा ने ग्लोबल एक्विजिशन का इस्तेमाल करके टाटा ग्रुप को इंटरनेशनल लेवल पर खड़ा किया। ब्रिटिश कंपनीज जैसे Corus, Jaguar Land Rover की एक्विजिशन से टाटा ग्रुप को ग्लोबल फुटप्रिंट मिला। ये एक्विजिशंस उन्होंने बहुत ही सोच समझ कर प्लान किए जो बाद में उनके लिए लॉन्ग टर्म ग्रोथ और ब्रांड वैल्यू को बढ़ाने में मददगार साबित हुआ।

इनोवेशन और रिसर्च एंड डेवलपमेंट पर किया फोकस

रतन टाटा को हमेशा से इनोवेशन के साथ-साथ रिसर्च एंड डेवलपमेंट पर काफी भरोसा था। इसीलिए उन्होंने टाटा ग्रुप को टेक्नोलॉजी ड्रिवन और इनोवेशन सेंट्रिक बनाया। टाटा नैनो (दुनिया की सबसे सस्ती कार) उन्हीं की इनोवेटिव सोच का एक उदाहरण है। हालांकि उसका मार्केट में रिस्पॉन्स इतना ज्यादा खास नहीं रहा लेकिन फिर भी उनके इस इनोवेशन से ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री को एक नया रास्ता मिला।

एथिकल लीडरशिप और कॉरपोरेट गवर्नेंस

रतन टाटा के काम करने का एक और खास तरीका रहा एथिकल लीडरशिप और स्ट्रॉन्ग कॉरपोरेट गवर्नेंस। उन्होंने हमेशा से ही इंटीग्रिटी, ट्रांसपेरेंसी और अकाउंटेबिलिटी पर ज़ोर दिया। यही वजह रही की टाटा ग्रुप की रेप्यूटेशन मार्केट में भरोसेमंद बिजनेस हाउस के रूप में बनी रही है।

सीएसआर (CSR) और फिलेंथ्रोपी

सीएसआर मतलब कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी और फिलेंथ्रोपी रतन टाटा की स्ट्रेटेजी के खास एलिमेंट्स रहे हैं। टाटा ट्रस्ट के ज़रिए उन्होंने एजुकेशन, हेल्थकेयर, ग्रामीण विकास और एनवायरमेंटल सस्टेंबिलिटी को लेकर बहुत से जरूरी कदम उठाए हैं।

रतन टाटा की बिजनेस स्ट्रेटजी, उनकी विजनरी लीडरशिप और एथिकल अप्रोच का ही नतीजा है कि वो आज टाटा ग्रुप को पूरी दुनिया में एक अलग पहचान दिला पाए। उनकी कमाल की स्ट्रीजीज से इंडियन बिजनेस वर्ल्ड को एक नई दिशा मिली। उनकी डायवर्सिफिकेशन, इनोवेशन, ग्लोबल एक्विजिशन सीएसआर जैसी स्ट्रेटेजीज को अमल में लाकर वो एक बेहतरीन बिजनेस लीडर बने। यही कारण है कि आज भी इंडियन कॉरपोरेट सेक्टर में रतन टाटा को एक आदर्श के तौर पर देखा जाता है।

LFP PLUS BY DR.VIVEK BINDRA