नई दिल्ली:- मार्केट में टैक्स बचाने के लिए कई सारे ऑप्शन उपलब्ध हैं, Tax Saving Mutual Fund या Equity Linked Saving Scheme उन्हीं में से एक है. टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड को ELSS भी कहा जाता है. देश में कई कंपनियां इस कैटेगरी की म्यूचुअल फंड स्कीम चला रही हैं, ऐसे में आप भी अपनी पसंद की स्कीम में निवेश करके टैक्स को बचा सकते हैं.

Tax Saving Mutual Fund भी एक प्रकार का म्यूचुअल फंड ही है, इसमें निवेशक सेक्शन 80C के तहत 1.5 लाख रुपये तक निवेश कर टैक्स छूट का लाभ उठाया जा सकता है.मतलब की आप इस स्कीम में जितना पैसा लगाएंगे आपका उतना पैसा Taxable income से घटा दिया जाएगा. देश में अलग-अलग तरह की कंपनियां इस कैटेगरी की Mutual Fund Schemes चला रही हैं.

टैक्स सेविंग Mutual Fund में 3 साल की अनिवार्य लॉक-इन अवधि होती है. मगर इसका मतलब ये नहीं है कि आप सिर्फ 3 साल की अवधि को ध्यान में रखकर ही इनमें निवेश करें. बता दें कि ये इक्विटी Mutual Fund स्कीम हैं, इसलिए इनमें कम से कम 5 से 7 साल तक के बारे में सोचकर ही निवेश करें. क्योंकि इनमें सेक्शन 80C के तहत अन्य टैक्स सेविंग के मुकाबले बेहतर रिटर्न देने की क्षमता होती है.

लेकिन Tax Saving Mutual Fund के फायदे होने के साथ ही इसके कुछ घाटे भी हैं, दरअसल सरकार ने Tax deduction लाभ लेने के लिए एक शर्त रखती है, जिसके तहत ELSS में लगाए गए अपने पैसे को आप 3 साल से पहले नहीं निकाल सकते हैं

ELSS में निवेश करने के दौरान हमें कुछ अहम बातों का ध्यान रखना पड़ता है, केवल ये सोचकर ईएलएसएस में निवेश नहीं करें की इसमें लंबी अवधि में बेहतर रिटर्न देने की क्षमता है. इक्विटी एक रिस्की एसेट क्लास है, कम समय में इसके अस्थिर होने के भी चांस रहते है.हालांकि लंबे समय के बाद ज्यादा रिटर्न देने की क्षमता होती है.इसलिए ELSS में निवेश करने से पहले अच्छे से सोच समझ ले, तभी कोई फैसला करें