कोरोना वायरस महामारी ने भारतीय व्यवसायों, विशेष रूप से छोटे और मध्यम उद्यमों (एसएमई) और स्टार्टअप्स पर बुरा प्रभाव डाला है. एक सर्वे के अनुसार, महामारी ने लगभग 70 प्रतिशत स्टार्टअप के कारोबार को प्रभावित किया. सर्वे में कहा गया है कि कारोबारी माहौल में अनिश्चितता के कारण कई स्टार्टअप जीवित रहने के लिए संघर्ष कर रहे हैं.'

कोरोना संकट के इस दौर में इन्वेस्टर्स भी इन्वेस्ट करने से घबराने लगे जिससे संकट और बढ़ता चला गया. हालांकि वेंचर कैपिटलिस्ट अब धीरे-धीरे स्टार्टअप की दुनिया में लौट रहे हैं. कोरोना महामारी के बाद अब स्टार्टअप फिर से ग्रोथ करेंगे. इन्वेस्टर्स अब इन्वेस्ट कर रहे हैं, बड़े दांव लगा रहे हैं और स्टार्टअप पर रिस्क भी उठा रहे हैं. एक लंबे समय के बाद स्टार्टअप की दुनिया में वेंचर कैपिटलिस्ट की वापसी से उम्मीद बनी है.

भारत में कोरोना महामारी का प्रभाव हर बिजनेस पर पड़ा. इस संकट के दौर में कई बिजनेस खत्म हो गए. इन्वेस्टर्स ने भी अपने हाथ पीछे खींच लिए. हालांकि अब सब कुछ धीरे-धीरे पटरी पर लौट रहा है. लंदन स्थित डेटा एनालिटिक्स फर्म GlobalData के अनुसार, भारत का ई-कॉमर्स 19.6 प्रतिशत की वार्षिक वार्षिक वृद्धि दर पर अपेक्षा से अधिक तेजी से बढ़ने के लिए तैयार है. यह 2023 तक भारतीय ई-कॉमर्स क्षेत्र को 7 ट्रिलियन रुपये का बाजार आकार देगा. और स्टार्टअप इससे लाभ प्राप्त कर रहे हैं.

मार्च और अप्रैल में जब भारत के सख्त लॉकडाउन लागू था, ऑनलाइन शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और गेमिंग स्टार्टअप ने इस दौरान लाभ हुआ. वेंचर इंटेलिजेंस के आंकड़ों के मुताबिक, एडटेक स्टार्टअप्स ने इस साल रिकॉर्ड 1.8 बिलियन डॉलर जुटाए हैं. इसमें से ऑनलाइन लर्निंग वाली फर्म बायजू ने अकेले एक अरब डॉलर जुटाए हैं.

भारतीय स्टार्टअप विदेशी पूंजी पर निर्भर रहे हैं. लॉकडाउन के दौरान कुछ लोगों को डर था कि महामारी के बाद विदेशी फंड वापस नहीं आ सकते हैं, लेकिन हर किसी का भारत एक्सपोजर बढ़ रहा है. कंज्यूमर इंटरनेट, बिजनेस टू बिजनेस और सॉफ्टवेयर स्टार्टअप ने भी कुछ मामलों में तेजी से सुधार देखा है.