नई दिल्ली: कोरोना वायरस (Coronavirus) महामारी व इसके प्रसार को रोकने के लिए लगाए गए सख्त प्रतिबंध ने पूरी दुनिया के सामने बड़ी आर्थिक चुनौती खड़ी कर दी है. बेपटरी हुई अर्थव्यवस्था (Economy) के साथ-साथ अधिकांश उद्योग-कारोबार घाटे में चल रहे है. सबसे बुरा हाल एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम) सेक्टर का है. इसके मद्देनजर केंद्र सरकार ने वस्तु एवं सेवा कर (GST) में नए प्रावधान किए है, जिसके बलबूते एमएसएमई सेक्टर को पहले जैसा बनाने में कुछ मदद मिल सके.

मिली जानकारी के मुताबिक केंद्र सरकार ने 40 लाख तक के सालाना टर्नओवर वाले कारोबारियों को जीएसटी के दायरे से बाहर रखने का फैसला किया है. उन्हें अब रजिस्ट्रेशन कराने की भी जरूरत नहीं पड़ेगी. यह सीमा पहले 20 लाख सालाना टर्नओवर की थी. साथ ही डेढ़ करोड़ रूपए तक के टर्नओवर वाली कंपनियों को कम्पोजीशन स्कीम का फायदा देने का प्रावधान किया गया है. यानि की उन्हें भी केवल एक फीसदी तक ही टैक्स चुकाना पड़ेगा.

भारतीय अर्थव्यवस्था की नींव एमएसएमई सेक्टर को कोरोना काल में मिलने वाले इस राहत को लेकर चैंबर ऑफ एमएसएमई के अध्यक्ष मुकेश मोहन गुप्ता ने बताया कि कोरोना के बाद लॉकडाउन में ही वित्तमंत्री ने सबसे पहले सूक्ष्म, लघु उद्योग के लिये बड़ा पैकेज दिया था. इन्हें तीन लाख करोड़ का लोन देने का ऐलान किया गया. क्योंकि इनकी सबसे बड़ी समस्या होती है कि अगर रिटर्न फाइल करने में देर हो गयी तो ब्याज बढ़ने लगता है.

उन्‍होंने आगे बताया कि अब रिटर्न फाइल करने में दो-तीन साल की देर होने पर भी छोटे व्यापारियों को कोई परेशानी नहीं होगी. इसके अलावा अभी ज्यादातर लोग घर से काम रहे हैं, ऐसे में सरकार ने उन्हें छूट दी है कि बिना डिजिटल सिग्नेचर के भी रिटर्न फाइल किया जा सकता है. एमएसएमई के लिए यह बहुत बड़ी राहत है. उन्‍होंने बताया कि जीएसटी फाइल करने की समय सीमा भी बढ़ा दी गई है.