भारत में मार्च 2020 की तुलना में मार्च 2021 में वस्तुओं का निर्यात 60.29 फीसदी बढ़ा
नई दिल्ली: कोरोना वायरस महामारी से उत्पन्न हुए कई चुनौतियों के बावजूद भारत में निर्यात के क्षेत्र में मजबूत वापसी होती हुई दिखाई दे रही है. वित्तीय वर्ष 2020-21 के अंतिम माह मार्च में मार्च 2020 की तुलना में 31.64 प्रतिशत की सकारात्मक वृद्धि दर्ज हुई है. व्यापार संबंधी आंकड़ों के अनुसार मार्च 2021 के दौरान समग्र निर्यात (वस्तु एवं सेवाएं) 52.20 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहने का अनुमान है. जबकि मार्च 2020 की तुलना में मार्च 2021 में वस्तुओं का निर्यात 60.29% बढ़ गया, जोकि आधार प्रभाव में फैक्टरिंग के बावजूद भी पर्याप्त था. यह बढ़ोतरी इंजीनियरिंग से जुड़ी वस्तुओं (71.30%), रत्न एवं आभूषण (78.93%), पेट्रोलियम उत्पादों (35.52%), दवाओं एवं औषधियों (48.49%) और कार्बनिक एवं अकार्बनिक रसायनों (46.50%) जैसे प्रमुख क्षेत्रों में स्वस्थ निर्यात वृद्धि से प्रेरित थी. 5 Tips for Boost your Business: पांच तरीके आपके बिज़नेस को आगे बढ़ाने में सबसे ज्यादा मदद करेंगे
मार्च 2021 में पीओएल और रत्न एवं आभूषण के अलावा अन्य वस्तुओं के निर्यात का प्रदर्शन और भी अधिक प्रभावशाली रहा तथा इसने 27.42 बिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य का आंकड़ा छू लिया. जबकि मार्च 2020 में इस निर्यात का आंकड़ा 16.95 बिलियन अमेरिकी डॉलर का रहा था. इस प्रकार, मार्च 2020 की तुलना में मार्च 2021 में 61.75% की वृद्धि हुई.
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अनुसार वैश्विक महामारी एवं वाणिज्यिक झटकों के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था ने उल्लेखनीय लचीलापन दिखाया है. इन झटकों ने 2019-20 के अंत में वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रभावित करना शुरू किया था और 2020-21 के दौरान भयावह आकार ग्रहण कर लिया था.
भारत सरकार के वाणिज्य विभाग के सचिव डॉ. अनूप वधावन ने वर्चुअल मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि अप्रैल-मार्च 2020-21 के दौरान कुल निर्यात (वस्तुओं एवं सेवाओं) का संचयी मूल्य 493.19 बिलियन अमेरीकी डॉलर आंका गया है, जबकि अप्रैल-मार्च 2019-20 के दौरान यह संचयी मूल्य 528.37 बिलियन अमेरीकी डॉलर का रहा था. यानि (-) 6.66 प्रतिशत की नकारात्मक वृद्धि दर्ज की गई है. उन्होंने आगे कहा कि वस्तुओं के निर्यात में (-) 60.28% और सेवाओं के निर्यात (-) 8.92% में गिरावट के साथ अप्रैल 2020 में हुए भारी घाटे के बाद इस वित्तीय वर्ष की बाकी की अवधि दौरान निर्यात के क्षेत्र में एक उल्लेखनीय सुधार देखा गया है.
अप्रैल-मार्च 2020-21 के दौरान वस्तुओं के निर्यात का संचयी मूल्य अप्रैल-मार्च 2019-20 के दौरान 313.36 बिलियन अमेरिकी डॉलर की तुलना में 290.63 बिलियन अमरीकी डॉलर आंका गया है, जोकि (-) 7.26 प्रतिशत की नकारात्मक वृद्धि है और वर्तमान वैश्विक स्थितियों को देखते हुए काफी संयत है. अगर रत्न एवं आभूषण और पीओएल, जिनमें बहुत औसत दर्जे का मूल्य वर्द्धन शामिल है, के निर्यात को छोड़ दिया जाए, तो 2020-21 में वस्तुओं के व्यापारिक निर्यात में वृद्धि वास्तव में (+) 1% थी यानी कोविड के व्यवधान के बावजूद 2019-20 की तुलना में वृद्धि हुई. यह भारी चुनौतियों का सामना करते हुए अन्य क्षेत्रों में आई मंदी को नियंत्रित करने के क्रम में अन्य अनाज, तेल से पके भोजन, चावल, अनाज से तैयार व्यंजनों एवं विविध किस्म की प्रसंस्कृत वस्तुओं, दवाओं एवं औषधियों, मसालों, फलों एवं सब्जियों, कालीनों, जूट से निर्मित वस्तुओं, सिरेमिक उत्पादों एवं कांच के बने पदार्थ और कार्बनिक एवं अकार्बनिक रसायनों जैसे क्षेत्रों में नए अवसरों को भुनाने की हमारे निर्यातकों की अपार अनुकूलनशीलता को दर्शाता है. पेट्रोलियम उत्पादों और रत्न एवं आभूषणों के निर्यात मूल्यों में गिरावट, मुख्य रूप से परिमाण के बजाय वैश्विक कीमतों में गिरावट को दर्शाती है.
वित्तीय वर्ष 2020-21 के दौरान पेट्रोलियम उत्पादों के निर्यात में 15.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर वाई-ओ-वाई की गिरावट आई. यह वित्तीय वर्ष 2020-21 में 22.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर के भारत के कुल व्यापारिक निर्यात में गिरावट का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. वित्तीय वर्ष 2020-21 के दौरान पेट्रोलियम उत्पादों के निर्यात में (-) 37.3% वाईओवाई (-15.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर) की गिरावट देखी गई.
हीरे और अन्य आभूषणों के निर्यात में कमी ने समग्र निर्यात में और कमीलादी और वित्तीय वर्ष 2020-21 के दौरान 9.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर वाई–ओ-वाई की गिरावट देखी गई, जोकि 22.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर की समग्र गिरावट की एक महत्वपूर्ण घटक थी. हीरे एवं अन्य आभूषणों ने वित्तीय वर्ष 2020-21 के दौरान 27.5% वाई–ओ-वाई (- 9.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर) की गिरावट दर्ज की. वित्तीय वर्ष 2020-21 के दौरान कुल निर्यात में रत्न और आभूषणों की हिस्सेदारी भी घटकर 9.0% रह गई, जबकि वित्तीय वर्ष 2019-20 में यह हिस्सेदारी 11.5% थी. इसके अलावा, भारतीय उद्योग पॉलिश/कटिंग/कटाई आदि के लिए अन्य देशों से रफ़ या बिना पॉलिश किया हुआ हीरे आयात करता है. इसलिए, हीरे और अन्य आभूषणों के निर्यात में आयात की मात्रा बहुत अधिक है, जिसके परिणामस्वरूप इसमें मूल्य वर्द्धन कम होता है.
जिन वस्तुओं/वस्तु समूहों ने 2019-20 की तुलना में 2020-21 के दौरान सकारात्मक वृद्धि दर्ज की है, उनमें अन्य अनाज (219.13%), तेल से पके भोजन (87.91%), लौह अयस्क (86.78%), चावल (37.06%), अनाज से तैयार व्यंजन और विविध प्रसंस्कृत वस्तुएं (21.16%), दवा एवं औषधि (18.07%), मसाले (10.37%), फल एवं सब्जियां (8.63%), कालीन (8.39%), फ्लोर कवरिंग समेत जूट से बनी वस्तुएं, (8.29%), सिरेमिक उत्पाद एवं कांच के बने पदार्थ (6.02%) और कार्बनिक एवं अकार्बनिक रसायन (0.51%)शामिल हैं.
अप्रैल-मार्च 2020-21 के लिए वस्तु एवं सेवाओं को मिलाकर कुल व्यापार घाटा अप्रैल-मार्च 2019-20 के 77.76 बिलियन अमेरिकी डॉलर के घाटे की तुलना में 12.74 बिलियन अमेरिकी डॉलर अनुमानित है. वर्ष 2019-20 और 2020-21 के बीच वस्तु व्यापार घाटा 161.35 बिलियन अमेरिकी डॉलर से घटकर 98.56 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया.
डॉ वधावन ने कहा कि पिछले साल की दूसरी छमाही में उम्मीद से ज्यादा तेजी से व्यापार बढ़ने से विश्व व्यापार में तेजी से सुधार होने की संभावनाएं बेहतर हुई हैं. विश्व व्यापार संगठन के अनुसार विश्व वस्तु व्यापार के परिमाण में 2020 में (जनवरी-दिसंबर) 5.3% गिरावट के बाद 2021 (जनवरी-दिसंबर) में 8.0% की वृद्धि की उम्मीद है. विश्व व्यापार का महामारी-प्रेरित पतन, जब वह पिछले वर्ष की दूसरी तिमाही में सबसे निचले स्तर पर चला गया था, से उबरकर वापस ऊपर की ओर बढ़ना जारी है.
कोविड काल ने भारतीय खाद्य क्षेत्र के लिए नए अवसरों को खोला है. अमेरिका, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, इजरायल, फिलिस्तीन और मिस्र में मांग में वृद्धि हुई है. ताजा/निर्जलित लहसुन, मसालों (मिर्च, हल्दी, अदरक), बीज वाले मसाले (जीरा, सौंफ), तिल के बीज/तेल, चीनी (श्रीलंका से नई मांग) और मूंगफली के बारे में निर्यातकों से जानकारी मांगी गई है. मलेशिया और फिलीपींस जैसे नए खरीदारों की ओर से गैर-बासमती चावल की मांग से आने वाले महीनों में निर्यात को बढ़ावा मिलने की संभावना है.
150 से अधिक देशों में कोविड से संबंधित जरूरी सामग्रियों की आपूर्ति और कोविड की अवधि के दौरान निर्यात में तेजी से वृद्धि के साथ फार्मा क्षेत्र में भारत के प्रभुत्व को मजबूती मिली है.