भारत में पिछले कुछ समय में नए-नए स्टार्टअप की बाढ़ सी आ गयी है। आज कई ऐसे स्टार्टअप्स हैं जो बहुत बड़े स्तर पर अपने आप को स्थापित कर चुके हैं। ऐसे कई स्टार्टअप्स में प्राइवेट इन्वेस्टर्स इन्वेस्ट कर रहे हैं। डॉ. विवेक बिंद्रा और बड़ा बिज़नेस का हॉर्सेस स्टेबल जैसे शो से कई स्टार्टअप्स को इंवेस्टमेंट मिला है।
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है। ऐसे में ज़रूरी हो जाता है कि भारत के युवा स्टार्टअप्स शुरू करने की ओर विशेष ध्यान दें, लेकिन कई लोगों को इस बात की जानकारी नहीं है कि इन्वेस्टमेंट करवाने के लिए या इन्वेस्टर मीटिंग के लिए क्या और कैसे तैयारी करें।
यदि आपने भी एक नया स्टार्टअप शुरू किया है या आपके पास किसी नए स्टार्टअप का आईडिया है और आपको जरुरत है इन्वेस्टमेंट की, तो आज का यह लेख आपके लिए ही है।
इस लेख में हम आपको बता रहे हैं इन्वेस्टमेंट के लिए इन्वेस्टर के साथ होने वाली मीटिंग की तैयारी के बारे में:
बिजनेस का लीगल स्ट्रक्चर
स्टार्टअप शुरू करने से पहले आपको अपने बिजनेस का लीगल स्ट्रक्चर तैयार करना होगा। कंपनी कई प्रकार की होती हैं, आपका बिजनेस प्रोप्रायटरी, पार्टनरशिप या लिमिटेड लायबिलिटी है तो आपको फंड नहीं मिल सकता। इसके स्थान पर यदि आप प्राइवेट लिमिटेड और पब्लिक लिमिटेड हैं तो आपको फंड मिल सकता है।
मार्केट रिसर्च
अपनी कंपनी का लीगल स्ट्रक्चर डीसाइड करने के बाद अपने मार्किट की रिसर्च कीजिये। इसके अंदर अपने संभावित ग्राहकों के बारे में जानकारी प्राप्त कीजिये, जैसे कौन कौन हमारे कस्टमर्स हो सकते हैं, हमारी एक निश्चित समय में संभावित सेल कितनी होगी, हम कितना रेवेन्यू कमा सकते हैं जैसे विभिन्न क्वेश्चन्स के जवाब तलाशिये। इसके लिए आप किसी चार्टर्ड अकाउंटेंट या फाइनेंस एक्सपर्ट की हेल्प ले सकते हैं।
बजट शीट – क्वेश्चन्स
इसके बाद जब आप इन्वेस्टर्स के साथ मीटिंग में जाएंगे तब वो आपकी बजट शीट देखेगा और उसके स्टेटिस्टिक्स के बेस पर इन्वेस्टर आपसे कुछ क्वेश्चन्स पूछेगा जैसे:
- (a) आप इन्वेस्टर से मिलने वाले फंड को कैसे यूज़ करेंगे?
- (b) कितना पैसा चाहिए?
- (c) कहाँ पर कितना पैसा खर्च करेंगे?
- (d) कम खर्च में ज्यादा काम कैसे कर सकते हैं?
अपनी बजट शीट के स्टेटिस्टिक्स के बेस पर आप सभी संभावित क्वेश्चन्स और उसके जवाब तैयार कर लें, ताकि जब इन्वेस्टर आपसे ये क्वेश्चन्स करे, तो आपके पास सभी का जवाब हो।
सही इन्वेस्टर को पहचाने
अपने बिजनेस को समझने के बाद आपको अपने लिए एक सही इन्वेस्टर को पहचानना होगा। जो भी इन्वेस्टर्स होते हैं वे अपनी पसंद की इंडस्ट्री में सही जगह इन्वेस्ट करना ज्यादा पसंद करते हैं। इस कार्य में आपकी सहायता इन्वेस्टमेंट बैंकर्स कर सकते हैं।
इन्वेस्टमेंट बैंकर्स की पूरी लिस्ट के बारे में तथा फंडरैजिंग के बारे में और अधिक जानने के लिए डॉ विवेक बिंद्रा के इस वीडियो को ज़रूर देखें :
अपनी प्रेजेंटेशन तैयार करो
अपने इन्वेस्टर को पहचानने के बाद आपको अपना प्रेजेंटेशन तैयार करना होगा। इसमें पैसा कितना चाहिए? क्यों चाहिए? खर्च कैसे करोगे? और इन्वेस्टर को इन्वेस्टमेंट का रिटर्न कितना मिलेगा जैसे सवालों के जवाब तैयार कीजिये।
इसके अलावा प्रेजेंटेशन में टीम की जानकारी, प्रोडक्ट और टेक्नोलॉजी की इनफार्मेशन, अपने बिज़नेस मॉडल के आदि के बारे में और भी कई जानकारियां देने की तैयारी कीजिये।
इन्वेस्टर को कन्विंस करने की तैयारी
आप इन्वेस्टर से बात कैसे करोगे, उसके सामने अपना प्रेजेंटेशन कैसे दोगे इसकी अच्छे से प्रक्टिस कर लें। जब आप इसकी अच्छे से प्रक्टिस करके इन्वेस्टर के साथ मीटिंग करने जाएंगे, तो आपके इन्वेस्टमेंट प्राप्त करने के चान्सेस ज्यादा होंगे।
टर्म शीट
जब इन्वेस्टर आपकी बातों से पूरी तरह कन्विंस हो जाता है, तब टर्म शीट तैयार होती है। इस शीट में कुछ जरुरी बातों के बारे में लिखा होता है, जैसे इन्वेस्टर कितना पैसा लगाएगा, किस प्रकार देगा, इन्वेस्टर का शेयर परसेंट कितना होगा, दोनों पक्षों के क्या अधिकार होंगे।
जाँच पड़ताल (Due Diligence)
अभी तक आपने जो भी इन्वेस्टर को बताया है, इन्वेस्टर मजूद डाक्यूमेंट्स के आधार पर इन्वेस्टमेंट के लिए तैयार हो जाता है। लेकिन इसमें इन्वेस्टर या उसकी टीम आकर आपके डाक्यूमेंट्स चेक करेगी, आपके बिज़नेस प्रोसेस को समझेगी, आपके बिज़नेस मॉडल को ईवैल्यूवेट करेगी, आपके फाइनेंस से संबंधित डाक्यूमेंट्स (प्रॉफिट और लोस, बैलेंस शीट आदि) को चेक करेगी।
शेयरहोल्डर एग्रीमेंट
शेयर होल्डर, टर्म शीट के मुकाबले बहुत लम्बा होता है, क्योंकि इसमें सभी बातों को डिटेल में उल्लेख होता है। इसमें दोनों पक्षों के अधिकार, ड्यूटी आदि सभी चीजों के बारे में डिटेल जानकारी रहती है।
इन्वेस्टर रिलेशन
इसमें आपको अपने इन्वेस्टर्स को लगातार अपनी ग्रोथ रिपोर्ट्स और कंपनी से जुड़े डाक्यूमेंट्स समय समय पर भेजने होते हैं। इसके साथ ही यदि आपको नए इन्वेस्टर्स की जरुरत है तो आप उन्हें भी अपनी कंपनी के बारे में ये सभी जानकारियां भेज सकते हैं।
यदि आप भी अपने स्टार्टअप के लिए फंड रेजिंग करना चाहते हैं, तो आप इन तरीकों का अपनाकर अपने लिए फंड रेज कर सकते हैं। इसे डिटेल में जानने के लिए आप बड़ा बिज़नेस के Problem Solving Courses के अंदर जाकर इस कोर्स को ढूंढ सकते हैं।
तो अपनाएं ये तरीके और दीजिये भारत की प्रगति में अपना योगदान।
आपको यह लेख कैसा लगा, इसके बारे में अपने विचार कमेंट सेक्शन में ज़रूर बताएं।