भारतीय प्रशासनिक सेवा (Indian Civil Services) देश में एक स्तंभ की तरह हैं। देश के लाखों छात्र इन प्रशासनिक सेवाओं में शामिल होने का सपना देखते हैं। आज देशभर को व्यवस्थित रखने वाली इन प्रशासनिक सेवाओं का इतिहास देश की आज़ादी से भी पुराना है। सिविल सर्विसेज की इस व्यवस्था को अंग्रेजों ने शुरू किया था, ये सेवाएं उन्होंने क्यों शुरू की और कैसे इस व्यवस्था ने भारत की आधुनिक प्रशासनिक सेवाओं का रूप लिया, चलिए जानते हैं।
बात अगर प्रशासनिक सेवाओं के इतिहास की करें तो इसकी शुरुआत 1757 के आस पास हो गई थी। उस समय भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी का राज हुआ करता था, ईस्ट इंडिया कंपनी को इसी दौरान भारत के कुछ राज्यों से राजस्व संग्रह करने के आदेश मिल गए थे। इस काम को संभालने के लिए ईस्ट इंडिया कंपनी को एक विभाग की ज़रूरत थी और तब उन्होंने “Covenanted Civil Services” को शुरू किया।
नॉमिनेशन के जरिए होता था अधिकारियों का चयन
1757 से 1853 तक इस सर्विस में नॉमिनेशन के जरिए लोगों को नौकरी पर रखा जाता था लेकिन 1853 में इस सर्विस में नौकरी पाने के लिए परीक्षा कराने का प्रावधान लाया गया। 1857 में आज़ादी की पहली लड़ाई के बाद ईस्ट इंडिया कंपनी को हटा दिया गया और सारी चीजों को ब्रिटिश सरकार देखने लगी। तब “Covenanted Civil Services” को “Imperial Civil Services” में बदल दिया गया।
सबसे पहले इन सर्विसेज के लिए लंदन में परीक्षा हुआ करती थी लेकिन जब ये परीक्षा भारत में होने लगी तो इसे “Indian Civil Services” बना दिया गया और आज़ादी के बाद इन्हें नाम मिला “Indian Administrative Services” यानि कि भारतीय प्रशासनिक सेवाएं। अंग्रेजों ने जब इन सिविल सर्विसेज के लिए परीक्षा का प्रावधान शुरू किया था तब लेखक रविन्द्र नाथ टैगोर के भाई सत्येंद्र नाथ टैगोर वो पहले भारतीय बने थे जिन्होंने 1864 में वो परीक्षा पास की और पहले भारतीय आईएएस बने थे।
अंग्रजों से पहले भी मौजूद था प्रशासनिक सेवाओं का सिस्टम
ऐसा नहीं है कि अंग्रेजों के आने से पहले प्रशासनिक सेवाओं का कोई अस्तित्व ही नहीं था। सबसे पहले “मौर्य साम्राज्य” के कौटिल्य अर्थशास्त्र में इस तरह की व्यवस्था को बताया गया है। इसके बाद “गुप्त राजवंश” और मुगलों के समय पर भी ऐसी ही प्रशासनिक व्यवस्थाएं देखने को मिलीं। लेकिन जब अंग्रेज भारत आए तो उन्होंने प्रशासनिक सेवाओं को व्यवस्थित ढंग से लागू किया, जिसे आज भी भारत में इस्तेमाल किया जाता है।
आज भारत की संपूर्ण व्यवस्था इसी प्रशासनिक सेवा के स्तम्भ पर टिकी है। इन प्रशासनिक सेवाओं के पदों पर जो लोग कार्यरत हैं और अच्छा काम कर रहे हैं उन्हें हर वर्ष 21 अप्रैल को प्रधानमंत्री के द्वारा सम्मानित भी किया जाता है। इस दिन को “नेशनल सिविल सर्विसेज दिवस” की तरह मनाया जाता है।