राहुल दिनोदिया Success Story: इंग्‍लैंड से की पढ़ाई, जॉब छूटी तो लगा लिया लाइव ‘मोमोज का ठेला’, आज कर रहे हैं तगड़ी कमाई

इस दुनिया में किस्मत को दोष देने वालों की कमी नहीं है। ज़रा सा भी कुछ होता है तो हम भगवान और अपनी किस्मत को दोष देने लग जाते हैं कि आखिर ऐसा मेरे साथ ही क्यों हुआ? लेकिन इस दुनिया में कुछ ऐसे भी लोग है जो परिस्थिति चाहे कैसी भी हो उसे अपने अनुसार ही बदल देते हैं। ऐसा ही कारनामा करने वाले शख्स हैं राहुल दिनोदिया। जिन्होंने तब भी हार नहीं मानी जब पूरी दुनिया में कोरोना महामारी के कारण अधिकतर लोगों की नौकरी चली गई थी और अर्थव्यवस्था चरमरा गई थी। इन सबके के बाद भी राहुल ने हार नहीं मानी। कभी इंग्लैड में पढ़ाई करने वाले राहुल आज देश में राहुल की खुद जॉब छूट गई थी। राहुल आज मोमोज का ठेला लगा रहे हैं और तगड़ी कमाई कर रहें है। आइए जानते हैं राहुल दिनोदिया के जीवन का यह सफर।

एक ओर जहां कुछ युवाओं की यह सोच होती है कि वो पढ़ लिख कर मोमोज या कुछ और नहीं बेचेगे वहीं इस सोच को बदलते हुए राहुल ने इस काम को करके सभी को अंचभित कर दिया है। राहुल दिनोदिया दिल्‍ली के द्वारका स्थित पालम के रहने वाले हैं। दिल्‍ली के नामी स्‍कूल से पढ़ाई के बाद यहीं से होटल मैनेजमेंट में बैचलर डिग्री लेने के बाद राहुल सीधे लंदन चले गए। वहां ईलिंग हैमरस्मिथ एंड वेस्‍ट लंदन कॉलेज से उन्‍होंने होटल मैनेजमेंट में मास्‍टर्स की डिग्री ली। जिसके बाद साल 2011 में राहुल ने इंग्लैंड में नोवोटेल लंदन हैथ्रो में लगभग दो साल तक नौकरी की। लेकिन भारत के प्रति उनका प्यार कम नहीं हुआ। वो वापस भारत आ गए। यहां उन्‍होंने आईटीसी वैलकम होटल द्वारका, ली मेरिडियन गुरुग्राम, वाइन कंपनी गुरुग्राम और स्‍माश गुरुग्राम में जॉब की।

राहुल ने अपनी पढ़ाई इंग्लैंड में पूरी की थी। विदेश से उच्‍च शिक्षा लेने के बाद राहुल भारत वापस लौटे आए। यहां आकर राहुल ने दिल्‍ली-एनसीआर के नामी होटलों में जनरल मैनेजर के पद तक का सफर तय किया। लेकिन कोरोना के दौरान होटलों के बंद होने के कारण उनकी नौकरी चली गई। जिसके कारण करीब नौ महीने तक राहुल को घर पर रहना पड़ा। लेकिन राहुल ने हार नहीं मानी। उन्होंने अपने हुनर का घर पर प्रयोग किया। राहुल ने द्वारका में ठेला यानी एक मोमोज का काउंटर लगाया। राहुल जीएम पद से सीधे सड़क पर सिक्किम सीजलर मोमोज (Momos) का ठेला लगाकर न केवल अपनी आजीविका चला रहे हैं बल्कि कुछ नया कर मिसाल पेश कर रहे हैं।

 

यहां राहुल फर्राटेदार अंग्रेजी में बोलकर लोगों से ऑर्डर लेते हैं। वो लोगों को लाइव मोमोज हुए राहुल खुद ही यहां लाइव मोमोज बनाते हैं और लोगों को रेस्‍टोरेंट का स्‍वाद सड़क पर ही देते हैं। मोमोज खाने के बाद वो रेस्‍टोरेंट की तरह ही लोगों से फीडबैक भी लेते हैं। इस दौरान न केवल लोग तारीफ करते हैं बल्कि सुझाव भी देते हैं। राहुल के काउंटर पर रोजाना 70-80 लोग आते हैं। उनके यहां जो एक बार आता है वो दोबारा मोमोज का लुत्फ उठाने जरूर आता है।

राहुल के मोमोज काउंटर के प्रति लोगों के आकर्षित होने का खास कारण यह है कि वो लोगों के ऑर्डर लेने के बाद लाइव मोमोज बनाते हैं और उन्‍हें पैक करके देते हैं। राहुल इसके साथ ही अपने रेस्‍टोरेंट की तरह साफ-सफाई, स्‍वाद और सजावट तीनों का ही विशेष ध्‍यान रखते हैं। राहुल अच्छी क्वालिटी के मोमोज देने के साथ ही उसकी कीमत का भी पूरा ध्यान रखते हैं। वो कम कीमत पर सामान को बेचते हैं। जब लोग देखते है कि वो इतना पढ़ लिख कर मोमोज बेच रहे हैं तो लोग काफी हैरान होते हैं।

राहुल दिनोदिया अपने काम के बारे में बात करते हुए कहते हैं कि ठेला शब्‍द सुनकर लोगों के मन में एक अजीब सी भावना पैदा हो जाती है लेकिन उन्‍हें इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। उल्‍टा वो इतने पढ़े-लिखे होकर ये काम कर रहे हैं और लोगों को यही बताना चाहते हैं कि कोई भी काम छोटा-बड़ा नहीं होता। किसी भी काम को छोटा हमारी सोच बनाती है। इसलिए हमें अपनी सोच सही रखनी चाहिए। बुरे समय का रोना रोने से हल नहीं निकलता बल्कि उसे अच्‍छा समय बनाने के लिए कुछ करना पड़ता है तभी उसका हल निकलता है।

राहुल अब खुद के ही बिज़नेस पर फोकस करना चाहते हैं। वो नौकरी करने के बजाय खुद के 10 और मोमोज काउंटर खोलने की फिराक में हैं। विश्‍व भर में कोरोना महामारी के दौरान जहां लाखों लोगों का रोजगार छूट गया। वहीं इतना सब होने के बावजूद भी राहुल दिनोदिया ने इस कठिन वक्‍त में औरों के लिए मिसाल पेश की है। आज राहुल लाखों में कमाई कर रहे हैं। उन्होंने कभी हार ना मानने के हौसले के साथ अपनी सफलता की कहानी (Success Story) लिखी है। उनकी यह कहानी सभी के लिए प्रेरणास्त्रोत (Inspiration) है।

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