अंगद दरयानी की सफलता की कहानी | स्कूल ड्रॉपआउट से सफल इनोवेटर तक का सफर

अंगद दरयानी: जो स्कूल में फेल हुए लेकिन जिंदगी में टॉपर बन गए

कई बार हम असफलता से इतना डर जाते हैं कि कोशिश करना ही छोड़ देते हैं। लेकिन जो लोग हार को सीढ़ी बनाकर आगे बढ़ते हैं, वही असली विजेता बनते हैं। कुछ ऐसा ही किया अंगद दरयानी ने।

अंगद 9वीं कक्षा में दो बार फेल हो गए थे, लेकिन उन्होंने इसे अपनी कमजोरी नहीं बल्कि सीखने का जरिया बनाया। उन्होंने स्कूल छोड़ दिया और जिंदगी से सीखना शुरू किया। सिर्फ दो साल में अंगद ने दो कंपनियां शुरू कीं और कम उम्र में ही एक सफल इनोवेटर बन गए।

10 साल की उम्र में ही उन्होंने अपने पिता से हवरक्राफ्ट बनाने की इच्छा जताई। जहां दूसरे माता-पिता इसे मजाक समझते, वहीं उनके माता-पिता ने उन्हें प्रोत्साहित किया। अंगद को किताबों की थ्योरी से ज्यादा जीवन की प्रैक्टिकल सीख पर विश्वास था।

उनका मानना है कि स्कूली ग्रेडिंग सिस्टम बच्चों की रचनात्मकता को दबा देता है। इसलिए उन्होंने परंपरागत शिक्षा को पीछे छोड़कर अपने जुनून को अपनाया — और आज वे लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा बन चुके हैं।

अंगद का परिवार उनकी बातों को समझता है। ऐसा संभव इसलिए हो पाया। अंगद बचपन से ही नई चीजें बनाने की कोशिश करते रहे हैं। अंगद बचपन में टीवी शो या अपने पिता के ऑफिस के इंजीनियरों से सीखकर कुछ ना कुछ नया बनाते रहते थे वो शुरु से ही क्रिएटिव थे। अब 16 साल की उम्र में अंगद दो कंपनियां चला रहे हैं, जो क्यूरिअसिटी एंड इनोवेशन को बढ़ावा देने वाले प्रोडक्ट तैयार करती हैं।

अंगद एक प्रतिभाशाली किशोर हैं। उनके अंदर बेहद छोटी उम्र से ही नई चीजों को बनाने का कौशल स्थित हैं। वह टीवी कार्यक्रमों, अपने पिता के ऑफिस के इंजिनियरों एवं चीज़ों बनाना सिखाने वाली पत्रिकाओं से सीखकर कुछ ना कुछ नया सिखकर बना लिया करते थे। अंगद ने जब स्कूल छोड़ा था तब वो 14 वर्ष के थे लेकिन स्कूल छोड़ने के 2 वर्ष बाद ही मात्र 16 साल की उम्र में अंगद दो कंपनियां चला रहे हैं। एमआईटी के प्रोफेसर डॉ. रमेश रस्कर के साथ काम करते हुए अंगद और उनकी टीम ने वर्चुअल ब्रैलर भी बनाया है, जो किसी भी पीडीएफ डॉक्युमेंट को ब्रैल में कन्वर्ट कर देता है। अब उन्होंने दो कंपनियां शार्कबोट थ्री डी सिस्टम्स (SharkBot 3D Systems) और शार्क काइट्स (Shark Kits) बना ली हैं। यह नहीं अगंद मुंबई की एक अन्य कंपनी Maker's Asylum के संस्थापक सदस्य भी रह चुके हैं।

अंगद ने अपनी सफलता की कहानी (Success Story) खुद लिखी है। उन्होंने हमेशा कुछ अलग करने का सोचा और आज वो अपने सपनों को पूरा कर रहे हैं। अंगद की यह कहानी सभी के लिए प्रेरणास्त्रोत (Inspiration) है। अंगद आज लोगों के लिए एक मोटिवेशन (Motivation) बन चुके हैं।

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