Doordarshan: जब टीवी सिर्फ एक स्क्रीन नहीं, एक इमोशन था !
अगर आप 90’s के बच्चे हैं, तो दूरदर्शन आपके बचपन की धड़कन रहा होगा! शक्तिमान की ‘शक्ति शक्ति शक्तिमान’, चित्रहार के हिट गाने, विक्रम-बेताल की रहस्यमयी कहानियां, और मालगुडी डेज की सादगी यह सब हमारे दिल के कितने करीब थे, ना? और जब रामायण और महाभारत आते थे, तो तो घर में पूरा माहौल ही बदल जाता था।
दूरदर्शन की शुरुआत कैसे हुई ? आज भले ही हमें इंटरनेट, OTT और प्राइवेट चैनल्स ने घेर लिया हो, लेकिन क्या आपको पता है कि टीवी की दुनिया में पहला कदम दूरदर्शन ने ही रखा था? इसकी शुरुआत 15 सितंबर 1959 को हुई थी, वो भी सिर्फ एक एक्सपेरिमेंट के तौर पर! उस वक्त इसे 'टेलीविजन इंडिया' कहा जाता था। धीरे-धीरे, लोगों का प्यार बढ़ा और 1975 तक यह कई बड़े शहरों में पहुंच चुका था।
जब दूरदर्शन ने बदला टीवी देखने का तरीका ! पहले रेडियो पर न्यूज सुनते थे, लेकिन 1965 में जब दूरदर्शन पर न्यूज बुलेटिन आने लगी, तो यह एक क्रांतिकारी कदम था। और फिर आया ‘कृषि दर्शन’—एक ऐसा शो जिसने हरित क्रांति को हवा दी। किसानों को नई टेक्नोलॉजी, मशीनें और खेती के आधुनिक तरीके सिखाने वाला यह शो आज भी चल रहा है, जो इसे भारत का सबसे लंबे समय तक चलने वाला टीवी शो बनाता है!
रंगीन हुआ टीवी, और लोगों की जिंदगी भी ! 1982 में जब एशियन गेम्स कलर में टेलीकास्ट हुआ, तो पूरे देश में हलचल मच गई। लोगों ने पहली बार ब्लैक एंड व्हाइट से निकलकर रंगीन दुनिया देखी! इसके बाद दूरदर्शन ने एक से बढ़कर एक शो दिए—‘हम लोग’, ‘बुनियाद’, और फिर वो ऐतिहासिक पल जब रामायण (1987) और महाभारत (1988) आए। इनके टेलीकास्ट के वक्त तो सड़कों पर सन्नाटा छा जाता था! लोग इसे सिर्फ शो नहीं, बल्कि धार्मिक अनुष्ठान की तरह देखते थे।
दूरदर्शन का डाउनफॉल: कहां चूक हो गई ?1991 में जब भारत में इकोनॉमिक लिबरलाइजेशन हुआ, तो प्राइवेट चैनल्स की एंट्री ने गेम ही बदल दिया। स्टार प्लस और सोनी जैसे चैनल्स मॉडर्न कंटेंट और हाई-प्रोडक्शन वैल्यू के साथ आए, लेकिन दूरदर्शन वही पुरानी कहानियों और आउटडेटेड फॉर्मेट में फंसा रह गया। ‘शक्तिमान’ और ‘ब्योमकेश बख्शी’ जैसे शो हिट जरूर हुए, लेकिन कंपटीशन के सामने टिक नहीं पाए।
Doordarshan का बचाव प्लान ! हालांकि, Doordarshan ने जनरल एंटरटेनमेंट के लिए डीडी नेशनल, कल्चर के लिए डीडी भारतीय, स्पोर्ट्स के लिए डीडी स्पोर्ट्स, और किसानों के लिए डीडी किसान जैसे चैनल्स लॉन्च किए, लेकिन ऑडियंस का ध्यान फिर भी नहीं खींच पाया। 2005 में 'हवाएं' शो जरूर हिट हुआ, लेकिन उसके बाद दूरदर्शन का ग्राफ फिर गिरने लगा।
सरकार की पकड़ और धीमे फैसले ! एक और बड़ी वजह थी सरकारी कंट्रोल। न्यूज़ और कंटेंट पर सरकार का पूरा नियंत्रण था, जिससे Doordarshan अपनी स्वतंत्रता खो बैठा। 1975 की इमरजेंसी हो या पॉलिटिकल प्रोपेगेंडा, दूरदर्शन को एक सरकारी भोंपू की तरह देखा जाने लगा। यही वजह थी कि लोग इसे छोड़कर प्राइवेट चैनल्स की तरफ बढ़ गए।
क्या दूरदर्शन दोबारा चमक सकता है ? कोरोना के दौरान जब रामायण और महाभारत का दोबारा प्रसारण हुआ, तो TRP आसमान छू गई! इससे लगा कि दूरदर्शन की वापसी हो सकती है, लेकिन असल में इसे देखने वाले वही लोग थे जो पहले से इसके फैन थे। नए दर्शकों को दूरदर्शन ने कभी कैप्चर ही नहीं किया। हालांकि, अब सरकार ने इसे मॉडर्न बनाने के लिए 22,500 करोड़ रुपये का बजट मंजूर किया है। अगर सही तरीके से इसका इस्तेमाल हुआ, तो शायद दूरदर्शन फिर से हमारी स्क्रीन पर लौट आए!
आपकी राय क्या है? आपके बचपन की कौन-सी यादें दूरदर्शन से जुड़ी हैं? क्या आप चाहते हैं कि यह फिर से पहले जैसा पॉपुलर हो? हमें कमेंट करके जरूर बताइए! Follow Bada Business for More