कोरोना काल में देश में शॉपिंग करने का नजरिया बदला, स्थानीय वस्तुओं और ब्रांडों की डिमांड बढ़ीं
दुनियाभर में कोविड-19 का संक्रमण बढ़ता जा रहा है. इस महामारी ने लोगों को ना केवल शारीरिक रूप से बल्कि मानसिक तौर पर भी नुकसान पहुंचाया है. इस बीच एक सर्वे में खुलासा हुआ है कि कोरोना काल में उपभोक्ताओं का व्यवहार भी बदल गया है. दावा किया जा रहा है कि घातक वायरस के देश में कदम रखने के बाद से भारतीय उपभोक्ताओं का व्यवहार स्थायी रूप से बदल गया है.
रिपोर्ट के मुताबिक सर्वे में शामिल 90 फीसदी लोगों में उनके रहने, काम करने के तरीके, खरीदने में स्थायी बदलाव हुआ है, जो अब शायद महामारी के पहले के जैसा कभी नहीं हो सकता है. एक्सेंचर की 'कोविड-19 कंज्यूमर पल्स रिसर्च' में यह बात सामने आई है कि 85 फीसदी लोगों ने स्वास्थ्य को ध्यान में रखकर खरीदारी की है. जबकि 85 फीसदी ने खाने की बर्बादी से बचने पर ध्यान केंद्रित किया है. वहीं, 71 फीसदी ने ब्रांड को और 75 फीसदी ने कीमत के प्रति जागरूकता दर्शाई है. सर्वे में खुलासा हुआ है कि कोरोना काल में देश में स्थानीय वस्तुओं और स्थानीय ब्रांडों की मांग बढ़ रही है.
भारत में एक्सेंचर के स्ट्रेटजी और कंसल्टिंग के मैनेजिंग एडिटर अनुराग गुप्ता ने कहा की कोविड-19 के कारण ब्रांड लॉयलटी को लेकर खासा बदलाव हुआ है, अब उपभोक्ता पहले से अधिक सामाजिक, पर्यावरणीय रूप से टिकाऊ और स्वस्थ के लिहाज से बेहतर विकल्प को प्राथमिकता दे रहे है.
उपभोक्ता खाद्य पदार्थो की बर्बादी रोकने के लिए सीमित खरीदारी कर रहे हैं. सर्वेक्षण में यह भी पाया गया कि महामारी ने लोगों को ऑनलाइन किराने का सामान खरीदने के लिए प्रेरित किया है. कंपनी ने बाताया कि भारत में मार्च और जून के बीच हुए इस सर्वे में 2,500 (वैश्विक स्तर पर कुल 45,000 के बीच) उपभोक्ताओं को शामिल किया गया.