Schemes for Food Processing Industry: फूड प्रोसेसिंग से संबंधित PMFME स्कीम क्या है? 5 साल में सरकार खर्च करेगी 10 हजार करोड़ रुपये
Government Schemes for Food Processing Industry: भारत सरकार ने देश में आयात को कम करने और निर्यात को बढ़ाने की दिशा में कई कदम उठाये है. इसी मकसद के साथ एक साल पहले आत्मनिर्भर भारत अभियान के अंतर्गत प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना (पीएमएफएमई) शुरू की गई. पीएमएफएमई (Pradhan Mantri Formalisation of Micro food processing Enterprises) एक केंद्र प्रायोजित योजना है. पिछले साल 29 जून को लॉन्च हुई पीएमएफएमई का उद्देश्य खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के असंगठित क्षेत्र में मौजूदा व्यक्तिगत सूक्ष्म उद्यमों की प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाना और क्षेत्र को औपचारिक दायरे में लाने को बढ़ावा देना है. Schemes for Food Processing Sector: फूड प्रोसेसिंग बिजनेस के लिए उद्यमी ले सकते है इस सरकारी स्कीम का फायदा
पीएमएफएमई योजना के तहत सरकार वर्ष 2020-21 से 2024-25 तक पांच वर्षों की अवधि में 10,000 करोड़ रुपये खर्च करेगी. इस योजना में मौजूदा दो लाख छोटे फूड प्रोसेसिंग उद्यमों के उन्नयन के लिए वित्तीय, तकनीकी और व्यावसायिक सहायता प्रदान की जाएगी. इस स्कीम में 800 करोड़ रुपये की उपलब्धता अनुसूचित जाति के लोगों के लिए है.
दिसंबर महीने में फूड प्रोसेसिंग उद्योग मंत्रालय ने विभिन्न निगमों और सरकारी कंपनियों के साथ पांच समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए. मंत्रालय ने ये एमओयू जनजातीय मामले मंत्रालय, जनजातीय सहकारी विपणन विकास महासंघ लिमिटेड (ट्राइफेड), भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर), राष्ट्रीय अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम (एनएसएफडीसी), राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन महासंघ लिमिटेड (नेफेड) और राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी) के साथ किए.
केंद्र सरकार ने मंगलवार को कहा कि उसने फूड प्रोसेसिंग गतिविधियों में शामिल करीब 8,000 पात्र स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) की मूल पूंजी (सीड कैपिटल) जरुरतों को पूरा करने के लिए पीएमएफएमई योजना के पहले वर्ष में 25.25 करोड़ रुपये वितरित किये.
इस योजना में फूड प्रोसेसिंग में लगे स्वयं सहायता समूहों के प्रत्येक सदस्य के लिए कार्यशील पूंजी और छोटे उपकरणों की खरीद के लिए 40,000 रुपये की वित्तीय सहायता की परिकल्पना की गई है.
इसे राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) और इसके राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (एसआरएलएम) के नेटवर्क के सहयोग से कार्यान्वित किया जा रहा है.
सरकार ने एक बयान में कहा, ‘‘अब तक, एनआरएलएम ने राज्य नोडल एजेंसियों को 123.54 करोड़ रुपये की राशि के लिए 43,086 एसएचजी सदस्यों की सिफारिश की है. राज्य नोडल एजेंसियों ने 8,040 सदस्यों की आधार पूंजी को मंजूरी दी है और एसआरएलएम को 25.25 करोड़ रुपये की राशि वितरित की है.’’
योजना के अन्य घटक - 'एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) को बढ़ावा देने के मामले में सरकार ने कहा कि उसने राज्यों द्वारा प्राप्त सिफारिशों के अनुसार 137 अद्वितीय उत्पादों सहित 35 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 707 जिलों के लिए ओडीओपी को मंजूरी दी है. इस योजना के तहत, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, जम्मू और कश्मीर, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, तेलंगाना और छत्तीसगढ़ सहित 17 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 54 सामान्य ‘इनक्यूबेशन’ केंद्रों को मंजूरी दी गई है.