लालकृष्ण आडवाणी जिनकी सोच ने बदला देश की राजनीति का रूप
लालकृष्ण आडवाणी भारतीय राजनीति का एक ऐसा चेहरा रहे हैं जिन्होंने देश के भविष्य को बदलने के लिए कई अहम कदम उठाए हैं। ये भारतीय राजनीति के वो नेता हैं जो 50 साल के राजनीतिक करियर में कभी भी चुनाव नहीं हारे। अपने इस राजनीतिक करियर में ये 11 बार सांसद रहे, जिनमें से 4 बार राज्यसभा और 7 बार लोकसभा सदस्य बनें। इसके अलावा ये भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष के पद पर सबसे लंबे समय तक रहे। उनके बारे में एक विशेष बात ये है कि पूरे राजनीतिक करियर में वो वक्त के बहुत पाबंद रहे, कभी भी किसी मीटिंग या रैली में देर से नहीं पहुंचे।
आइये जानते हैं लालकृष्ण आडवाणी के जीवन और उनके गुणों के बारे में, जिनसे हम Leadership सहित बहुत कुछ सीख सकते हैं -
लालकृष्ण आडवाणी (Shri L. K. Advani Biography in Hindi)
लालकृष्ण आडवाणी का जन्म 8 नवंबर 1927 को कराची में हुआ था, ये एक सिंधी हिंदू ब्राह्मण परिवार में जन्मे थे। देश के बंटवारे के समय ये पाकिस्तान के कराची से परिवार सहित भारत आ गए और मुंबई में आकर रहने लगे। मुंबई के “गवर्नमेंट लॉ कॉलेज” से उन्होंने अपना ग्रेजुएशन पूरा किया। 14 साल की उम्र से ही वो “राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ” से जुड़ गए थे और जल्द ही वहां प्रचारक के तौर पर काम करने लगे।
राजनीति के क्षेत्र में निभाए कई अहम किरदार
यहीं से वो धीरे धीरे राजनीति की दुनिया की तरफ अग्रसर हो गए और भारतीय जन संघ के मेंबर भी बने, जिसमें उन्होंने जनरल सेक्रेटरी से लेकर जन संघ के दिल्ली यूनिट के प्रेसिडेंट तक की भूमिका निभाई। 1970 में लालकृष्ण आडवाणी राज्य सभा के सदस्य बने। 1995 से 2004 तक वो गृह मंत्री के पद पर रहे, 2002 से 2004 तक उन्होंने उप प्रधानमंत्री के तौर पर भी काम किया। बीजेपी के अध्यक्ष रहने हुए उन्होंने कुछ ऐसे निस्वार्थ और अहम फैसले लिए जिन्होंने देश की दशा को ही बदल कर रख दिया।
1995 में प्रधानमंत्री के पद के लिए चुनाव होने थे, पार्टी के सभी कार्यकर्ता लालकृष्ण आडवाणी को प्रधानमंत्री पद के लिए उपयुक्त मानते थे इसीलिए उनका प्रधानमंत्री बनना भी तय था। आडवाणी उस समय बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे, एक समारोह के दौरान उन्होंने अचानक ही ये घोषणा कर दी कि अगले चुनाव में अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री पद के दावेदार होंगे। इस बात से खुद अटल बिहारी वाजपेयी सहित सभी हैरान परेशान हो गए लेकिन देश के भविष्य के लिए उस वक्त आडवाणी जी को खुद से बेहतर अटल बिहारी वाजपेयी लग रहे थे। अटल बिहारी वाजपेयी ने भी उनका भरोसा बनाए रखा और और भारत को एक परमाणु शक्ति बनाने का बड़ा काम उन्होंने किया। अटल और आडवाणी ये दोनों नाम एक दूसरे से हमेशा जुड़े रहे।
आरोप लगे तो छोड़ दी कुर्सी
आडवाणी जी ने सिर्फ योग्य लोगों को ही आगे नहीं बढ़ाया बल्कि गलत के खिलाफ भी खड़े रहे। आडवाणी जी पर विपक्ष की ओर से भ्रष्टाचार का आरोप भी लगाया गया। कांग्रेस के नेता नरसिम्हाराव का ये आरोप था कि आडवाणी जी ने जैन हवाला कांड में 60 लाख रुपए लिए हैं। तब लालकृष्ण आडवाणी ने सांसद पद से इस्तीफा दे दिया और कहा कि जब तक उन्हें इस मामले में क्लीन चिट नहीं मिल जाती तब तक वो सदन में कदम नहीं रखेंगे। एक साल बाद जब हाई कोर्ट से उन्हें इस मामले में निर्दोष करार कर दिया गया, उसके बाद 1998 से लेकर 2019 तक वो लगातार सांसद रहे।
लालकृष्ण आडवाणी वो नेता रहे हैं जिन्होंने 91 साल की उम्र में भी सदन में 92% उपस्थिति बनाई जबकि युवा नेता सदन से अक्सर नदारद रहा करते थे। लालकृष्ण आडवाणी ही वो नेता हैं जिन्होंने भारतीय जनता पार्टी को शुरू करने का सुझाव दिया और कमल के फूल का चिन्ह भी दिया। देश के वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी उन्होंने गाइड किया और पार्टी में आगे बढ़ाया। लालकृष्ण आडवाणी देश की राजनीति के वो नेता रहे हैं जिन्होंने सोच को बदलने का काम किया है और लोगों के लिए प्रेरणा बने।
लालकृष्ण आडवाणी से सीखें लीडरशिप के ये खास गुण:
- निस्वार्थ भाव से देश की सेवा:
लालकृष्ण आडवाणी से सीखने वाली सबसे बड़ी खूबी हैं निस्वार्थ भाव। उन्होंने सालों तक देशसेवा की, प्रधानमंत्री पद को पाने का अवसर होने के बाद भी कभी उस पद का लालच नहीं किया, केवल देश का भला सोचा।
- समय के पाबंद:
लालकृष्ण आडवाणी हमेशा समय के पाबंद रहे। दशकों लंबे राजनीतिक करियर में हमेशा हर रैली और सभा में समय पर पहुंचे। 91 साल की उम्र में भी सदन में उनकी उपस्थिति 92% रही जो रिकॉर्ड बनी।
- आत्मसम्मानी:
जब उन पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा तो कुर्सी का लालच छोड़ कर अपने पर लगे दागों को मिटाया और निर्दोष साबित होने के बाद ही अपनी कुर्सी पर वापस लौटे।
- सबको साथ लेकर चलने वाले:
लालकृष्ण आडवाणी शुरू से ही एक टीम प्लेयर रहे। देश के भले के लिए उन्होंने हमेशा सबके साथ मिलकर काम किया और लोगों को उनकी योग्यता के हिसाब से मौका दिया।
- समय से आगे सोचने वाले:
आडवाणी जी ने हमेशा समय से आगे सोचने का काम किया। यही कारण रहा कि वो देश से जुड़े कई अहम फैसलों को सही तरीके से ले सके और आगे बढ़ते रहे।
ये कुछ ऐसे लीडरशिप के गुण है जो आज के समय में समस्त युवाओं और नेताओं के लिए प्रेरणा हैं।