"मानो तो मैं गंगा माँ हूँ, ना मानो तो बहता पानी" यह वाक्य सालों से हमारे देश में आस्था के लिए इस्तेमाल हो रहा है। आज फिर से आस्था और अन्धविश्वास के बीच लड़ाई चल रही है। मध्यप्रदेश के छतरपुर में बाघेश्वर धाम के श्री धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी आज के समय में कई लोगों के लिए पूज्य हैं। उनके भक्त उन्हें बालाजी का अंश भी मानते हैं।
आज श्री धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री मात्र 27 साल के हैं। कैसे एक 27 साल का युवा आज इतना प्रसिद्ध गुरु बन गया और कैसे कर रहे हैं धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री सनातन का प्रचार –
कौन है धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री
नाम: | श्री धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी |
जन्म: | 4 जुलाई 1996, छत्तरपुर मध्यप्रदेश |
दादाजी और गुरु: | भगवान दास गर्ग |
पिता: | रामकृपाल गर्ग |
माता: | सरोज गर्ग |
मध्यप्रदेश के छतरपुर में स्थित बागेश्वर धाम के प्रमुख धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का जन्म 4 जुलाई 1996 को मध्यप्रदेश के छतरपुर में एक गरीब परिवार में हुआ था। इनके पिता रामकृपाल गर्ग हैं और माता का नाम सरोज गर्ग हैं।
धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का एक छोटा भाई और एक छोटी बहन भी है। इनकी स्कूली शिक्षा गढ़ा गाँव में ही हुई थी, इसके बाद इन्होंने BA में एडमिशन लिया था, लेकिन आर्थिक तंगी के कारण उसे बीच में ही छोड़ दिया था।
इनके दादा का नाम श्री भगवान दास गर्ग है, जो निर्मोही अखाड़े के संत थे और धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के जीवन पर इनका विशेष प्रभाव था।
कैसे बने बागेश्वर सरकार।
आर्थिक तंगी के कारण परिवार का गुजर बसर मुश्किल हो रहा था। ऐसे में घर का बड़ा बेटा होने के कारण सारी जिम्मेदारी धीरेंद्र के ऊपर आ गयी। धीरेंद्र को बहुत ही कम उम्र में हनुमान चालीसा कंठस्थ हो गयी थी। धीरेंद्र ने 9 साल की उम्र में ही हनुमान जी की पूजा करना शुरू कर दिया था। धीरेंद्र शास्त्री पर भगवान हनुमान जी की असीम कृपा है, इनके अनुनायी इन्हें हनुमान जी का अंश भी मानते हैं।
धीरेंद्र ने अपने दादा और गुरु श्री भगवान दास गर्ग से रामकथा सीखी और 12 साल की उम्र से ही इन्होंने रामकथा करना शुरू कर दिया था। धीरेंद्र 7 साल की उम्र से ही बागेश्वर धाम दरबार में सेवा देना शुरू कर दिया था।
कैसे हुए प्रसिद्ध।
धीरेंद्र जी को हनुमान जी की विशेष कृपा प्राप्त है, इसके साथ ही इन्होंने कई सिद्धियां भी प्राप्त की हैं। इनके दरबार में हमेशा भक्तों का तांता लगा रहता है और प्रति मंगलवार को यहाँ भक्त विशेष रूप से आते हैं। यहाँ पर भक्तों को अपनी अर्जी लगानी पड़ती है, इसके बाद धीरेंद्र जी किसी भक्त का नाम पुकारते हैं और भक्त से बिना पूछे उसके मन में उठ रहे प्रश्न पर्चे पर लिखते हैं। ये प्रश्न हमेशा सही निकलते हैं और फिर धीरेंद्र जी उनकी समस्याओं का समाधान बताते हैं।
उनकी सिद्धि पर उठा विवाद।
कुछ समय पहले जब धीरेंद्र शास्त्री जी महाराष्ट्र पहुंचे, तब वहां पर कुछ लोगों ने इन पर अन्धविश्वास फ़ैलाने का आरोप लगाया। इसके बाद इनकी सिद्धि पर विवाद हो गया, कुछ मैजिशियनों ने इनकी सिद्धि को सिर्फ एक मैजिक ट्रिक बताया था। इसके बाद इन्होंने कुछ पत्रकारों को भीड़ में से अचानक ही बुलाया और इनसे जुड़ी कुछ समस्याओं को पर्चे पर लिखकर उसका समाधान भी बताया, जिसके बाद उन पत्रकारों ने धीरेंद्र जी सिद्धि का लोहा माना।
आज श्री धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी के द्वारा संचालित बागेश्वर दरबार में नेताओं, मंत्रियों और कई वीवीआईपी लोगों का भी ताँता लगा रहता है, जिसमें केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, सांसद मनोज तिवारी, विधायक और मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ, मध्यप्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, क्रिकेटर कुलदीप यादव जैसे नाम शामिल हैं। इनके दरबार में आये सभी भक्तों की मनोकामनाएं भी पूर्ण होती है, यही कारण है कि इनके ऊपर उठे कुछ विवादों के बाद भी लोगों का विश्वास बागेश्वर सरकार में कम नहीं हुआ है।