भारत के फुटबॉल स्टार सुनील छेत्री (Sunil Chhetri) ने 6 जून को अंतर्राष्ट्रीय फुटबॉल से संन्यास ले लिया है। भारतीय फुटबाल टीम के कप्तान सुनील छेत्री ने पहले ही घोषणा कर दी थी कि वो कुवैत के साथ होने वाले फीफा वर्ल्ड कप के क्वालिफिकेशन मैच के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फुटबॉल से संन्यास ले लेंगे।

कोलकाता के साल्ट लेक स्टेडियम में उन्होंने अपना आखिरी अंतर्राष्ट्रीय फुटबॉल मैच खेला। इसके साथ उन्होंने अपने 19 साल के अंतर्राष्ट्रीय करियर का अंत किया और आखों में आंसुओं के साथ उन्हें विदा किया गया।

सुनील छेत्री का संघर्ष और उनकी सफलता दोनों ही आज युवाओं के लिए एक प्रेरणा है।

कौन है सुनील छेत्री (Sunil Chhetri)?

सुनील छेत्री का जन्म 3 अगस्त 1984 को हुआ, उनके पिता केबी छेत्री भी इंडियन आर्मी की फुटबॉल टीम में खेला करते थे। उनकी जुड़वां बहनें भी नेपाल की विमेंस टीम से मैच खेल चुकी हैं। उनका ज्यादातर बचपन दार्जिलिंग में बीता और वहीं से उनकी स्कूल की पढ़ाई भी हुई। बचपन से ही उन्होंने फुटबॉल खेलना शुरू कर दिया था और जल्द ही वो टूर्नामेंट्स में भाग लेने लगे। उनके बारे में एक खास बात ये है कि वो इंग्लिश, हिंदी, नेपाली, बंगाली और कन्नड़ जैसी 5 भाषाएं बोल सकते हैं।

भारत को एक के बाद एक कई टूर्नामेंट्स में दिलाई जीत

साल 2002 में उन्होंने Mohun Bagan फुटबॉल क्लब से अपने करियर की शुरुआत की। जिसके बाद वो अपने करियर में आगे बढ़ते हुए एक के बाद एक मुकाम हासिल किए। उन्होंने भारत को साल 2007, 2009 और 2012 में नेहरू कप और साल 2011, 2015 और 2021 में SAFF चैंपियनशिप जीताने में अहम भूमिका निभाई।

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151 मैचों में किए 94 गोल

सुनील छेत्री ने अपने 19 साल के इस करियर में 151 मैच खेले जिसमें उन्होंने 94 गोल किए। आज के समय में जो खिलाड़ी इंटरनेशनल स्तर पर खेल रहे हैं उनमें गोल करने के मामले में छेत्री चौथे नंबर पर हैं। जिसमें 128 गोल के साथ रोनाल्डो पहले नंबर पर, 108 गोल के साथ अली देई दूसरे नंबर पर और 106 गोल के साथ लियोनेल मेसी तीसरे नंबर पर हैं।

सुनील छेत्री के गोल करने का औसत 0.63 है और रोनाल्डो का औसत 0.62 है।

39 साल की उम्र में ही छेत्री ने अपना 151वां मैच खेलकर संन्यास ले लिया। इस मैच में उन्हें कोई भी गोल करने का मौका नहीं मिला लेकिन स्टेडियम में बैठे दर्शकों ने उन्हें उनके संन्यास पर यादगार विदाई दी। सुनील छेत्री सालों से हमारे देश का नाम पूरी दुनिया में रोशन करते आए हैं और संन्यास के बाद भी देश के युवाओं के लिए एक प्रेरणा बने रहेंगे।