महेंद्र सिंह धोनी के जीवन से सीखने चाहिए लीडरशिप के यह 6 गुण, जो आपके करियर को देंगे ऊंची उड़ान
महेंद्र सिंह धोनी एक ऐसा नाम है जिसको पूरी दुनियां के क्रिकेट प्रेमी जानते हैं. उन्होंने पूरी दुनियां में साबित कर दिया है कि हम भारतीय किसी से कम नहीं हैं। धोनी जितने अच्छे क्रिकेटर हैं उससे ज्यादा अच्छे लीडर भी है। मैच के दौरान उनकी जबरदस्त लीडरशिप देखने को मिलती है जिसके कारण वह हारती हुई बाजी को भी पलट देते हैं। क्रिकेट अगर जेंटलमेन का गेम है तो इस गेम के मास्टरमाइंड कैप्टल कूल के नाम से प्रसिद्ध महेंन्द्र सिंह धोनी है।
झारखंड के एक छोटे से गांव से निकलकर भारत को क्रिकेट वर्ल्ड कप जिताने वाले धोनी की लीडरशिप की पूरी दुनिया कायल है। धोनी ऑनफिल्ड और ऑफफिल्ड दोनों जगह कई बार अपनी लीडरशिप की प्रतिभा दिखाई है। धोनी क्रिकेट की दुनिया के वो नायाब हीरा हैं जिसका कोई मोल नहीं है। उन्होंने अपनी मेहनत के दम पर फर्श से अर्श तक का सफर तय किया है। भारत को विश्व कप जीताने वाले धोनी के अंदर कुछ ऐसे लीडरशिप के गुण विद्यमान है जिन्हें हर किसी को जानना चाहिए। आप भी इन लीडरशिप के गुणों(Leadership Qualities) को अपनाकर आगे बढ़ सकते हैं। आइए जानते हैं धोनी के अंदर छिपे लीडरशिप के गुण।
- हार में भी नहीं खोते हौसला
जिस इंसान ने अपने फेलियर को अच्छे से संभाव लिया और और उनसे मिली सीख को अपना लिया उसे सफल होने से कोई नहीं रोक सकता है। इस बात को प्रमाणित किया है महेंद्र सिंह धोनी ने। जिनके जीवन में बहुत सारे उतार-चढ़ाव आए लेकीन उन्होने सभी फेलियर को पूरी सूझ बूझ के साथ हैंडल किया है। यहीं कारण है कि आज महेंद्र सिंह धोनी भारत ही नहीं बल्की वर्ल्ड के बेस्ट क्रिकेट कैप्टन हैं। जब महेंद्र सिंह धोनी को अच्छी क्रिकेट खेलने के बाद भी इंडियन क्रिकेट टीम में खेलने का मौका नहीं मिला तो वह निराश नहीं हुए. उन्होंने अपने क्रिकेट के खेल को और निखारा और इंडियन क्रिकेट टीम में अपनी जगह पक्की की।
महेंद्र सिंह धोनी ने भारतीय टीम में आगाज करने से पहले दो से तीन साल 2001-2003 तक खड़गपुर रेलवे स्टेशन पर ट्रेन टिकट टीटीई का काम किया। यह कार्य उन्होंने अपने परिवार की खातिर किया था। वहां पर वह अपने सपने को मारकर जॉब कर रहे थे। धोनी टीटीई की नौकरी तो कर रहे थे लेकिन वो अपने क्रिकेट के सपने को भूले नहीं। वो जॉब के बाद क्रिकेट के मैदान पर प्रैक्टिस किया करते थे। आखिरकार उनका 1998 में बिहार क्रिक्रेट टीम में selection हुआ। उन्होंने विपरीत परिस्थितियों में भी अपने हौसला नहीं खोया और जीत हासिल की।
- सफल होने के बाद भी नहीं खोया होश
इस दुनिया में बहुत कम लोग होते हैं जो अपनी सफलता को संभाल पाते हैं। सफल तो हर कोई होना चाहता है लेकिन सफलता को बनाए कैसे रखा जाता है महेंन्द्र सिंह धोनी इसके बेहतरीन उदाहरण हैं। जबरदस्त सफलता हासिल करने के बाद भी महेंद्र सिंह धोनी ने कभी भी सफलता को अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया. बल्की वह और मेहनत करते गए। महेंद्र सिंह धोनी ने 2011 में भारत को दूसरी बात विश्व विजेता बनाया। श्रीलंका के खिलाफ विश्व कप के फाइनल में लास्ट पर छक्का जड़कर धोनी ने भारत को एक बार फिर वर्ल्ड कप जिताया। इसी के साथ वो भारत के सबसे सफल कप्तान बन गए। यही नहीं उन्होने 2014 में चैंपियन ट्रॉफी जीत कर सभी सीरीज अपने नाम कर ली। धोनी एकमात्र ऐसे कप्तान हैं जिन्होंने आईसीसीसी की सारी ट्रॉफियां भारत को जिताई है। महेंद्र सिंह धोनी पहले ऐसे विकटकीपर हैं जिन्होनें टेस्ट मैच में कुल 4 हजार रन बनाए थे इनसे पहले कभी किसी विकेट कीपर ने इतने रन नहीं बनाए थे| इस तरह धोनी ने टेस्ट मैचों में रिकॉर्ड बना लिए थे| महेंद्र सिंह धोनी आज के समय में 20 से अधिक ब्रांड एंबेसडर है। वो क्रिकेट के मैदान पर ही नहीं बल्कि बाहर भी अपने प्रदर्शन से मार्केट के दुनिया पर राज कर रहे हैं। इतनी सफलता मिलने पर भी वो एक साधारण जीवन जीना पसंद करते हैं।
- अपने फेलियर को बनाई अपनी ताकत
धोनी ने अपने खराब प्रदर्शन से सीख लेते हुए उसे अपनी ताकत बनाई. 2005 में श्रीलंका का ODI दौरा महेंद्र सिंह धोनी के लिए टर्निंग पॉइंट साबित हुआ. वहां उन्होंने अच्छी परफॉर्मेस दी और 145 बॉल्स में 183 रन की नोट आउट पारी खेल कर भारतीय क्रिकेट टीम में अपनी जगह पक्की कर ली। उसके बाद धोनी ने ODI में और अच्छी परफॉर्मेंस दे के भारतीय क्रिकेट टीम का कप्तान होने का गौरव हासिल किया। उसी साल उन्होंने 2007 ट्वेंटी वर्ल्ड कप भी अपने नाम किया। धोनी ने अपने जीवन में कई उतार-चढ़ाव देखें हैं पर उससे परेशान होने की बजाय उन्होंने अपनी कमजोरी को अपनी ताकत बनाकर दुनिया को अपनी लीडरशिप दिखाई।
- हमेशा टीम का करते हैं सपोर्ट कैप्टन कूल
धोनी एकमात्र ऐसे खिलाड़ी है जिन्हें कैप्टन कूल के नाम से जाना जाता है। धोनी को आज तक फिल्ड में गुस्सा होते नहीं देखा गया है। वो हमेशा अपने टीम के खिलाड़ियों का सपोर्ट करते हैं। उनकी हौसला-अफजाई करते हैं। धोनी ने टीम के साथी खिलाड़ियों को प्रेरित किया है। युवराज सिंह, सुरेश रैना और विराट कोहली को अपना बेस्ट देने के लिए प्रेरित किया। 2011 वर्ल्ड कप की उस आखिरी गेंद को कौन भूल सकता है जब धोनी ने छक्का लगाकर भारत को चैंपियन बनाया था? 50 ओवर के मैच मे भारत जब भी मुश्किल में होता तो टीम और देश धोनी की ओर देखता और धोनी ने उन्हें निराश नहीं किया। यहीं कारण है कि उन्होंने अपनी टीम साथ मिलकर टीनो फॉर्मेट में भारत को वर्ल्ड कप जीतवाया है।
- अनुशासन का करते हैं पालन
महेंन्द्र सिंह धोना ना केवल कामयाबी मिलने से पहले बल्कि कामयाबी मिलने के बाद भी प्रैक्टिस करने से पीछे नहीं हटते। महेंद्र सिंह धोनी जब खड़गपुर रेलवे स्टेशन पर टीटी का कार्य करते हैं, वहा पूरी डिसिप्लिन के साथ रहते थे और इतने थक जाने के बाद भी घर आने के बाद हर रोज क्रिकेट की प्रैक्टिस किया करते थे। सुबह उठने से लेकर रात को सोने तक धोनी अपना हर काम पूरे अनुशासन में रहते हुए ही करते हैं।
- निर्णय लेने में नहीं हटते पीछे
महेन्द्र सिंह धोनी एकमात्र ऐसे क्रिकेटर है जिनकी निर्णय लेने की क्षमता का कोई मुकाबला नहीं है। वो अकसर अपने फैसलों से साथी टीम के साथ विरोधी टीम को भी चौंका देते हैं। वर्ष 2014 में आस्ट्रेलिया दौरे के दौरान उन्होंने अचानक टेस्ट क्रिकेट से सन्यास लेकर सभी को चौंका दिया था। यही नहीं 15 अगस्त 2020 को अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट से सन्यास लेकर धोनी ने सभी को सकते में डाल दिया था। कैप्टन कूल के नाम से मशहूर धोनी को बहुत कम बार गुस्से में देखा गया है। वो अपने शांत स्वभाव और सरल व्यक्तित्व से सभी के दिलों पर राज़ करते हैं।
महेंन्द्र सिंह धोनी ने अपने प्रदर्शन और अपनी लीडरशिप से यह साबित कर दिया है कि सपने देखने के लिए किसी बड़े शहर या बड़े घर का होना जरूरी नहीं है। आप अपनी प्रतिभा को ही अपना करियर बना सकते हैं। इस दुनिया में मंहेन्द्र सिंह धोनी बनना बहुत मुश्किल है यह बात धोनी ने अपने प्रदर्शन से साबित कर दी है। Bada Business मंहेन्द्र सिंह धोनी के जज्बे और उनकी लीडरशिप की तहे दिल से सराहना करता है।