एक समय था, जब फैक्ट्रियों में हाथों से काम होता था। उसके बाद जब मशीनों की शुरुआत हुई, तब इनका बड़े स्तर पर विरोध हुआ, जिसके पीछे कारण बताया गया कि इससे कई लोगों की जॉब चली जायेगी। आज फिर वही दौर शुरू हो रहा है। आज टेक्नोलॉजी ने बहुत ज्यादा तरक्की कर ली है।

आज रोबोट्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) एडवांस लेवल पर पहुँच गयी है और इनका इस्तेमाल कई क्षेत्रों में हो रहा है। आज भी कई जॉब्स पर AI के कारण खतरा मंडरा रहा है, लेकिन आज भी कुछ जॉब्स ऐसी हैं, जिन पर AI का पूरी तरह से असर नहीं होगा। जानिये ये जॉब्स कौन सी हैं –

क्या है आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI)?

एक समय था जब मशीनों में सोचने समझने की शक्ति नहीं होती थी, उस समय किसी ने नहीं सोचा था कि मशीनें खुद से भी कोई काम कर सकती हैं। लेकिन आज मशीनें समस्याओं को एनालाइज़ करके उनका हल भी दे सकती हैं। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के द्वारा मशीनों में कुछ हद तक सोचने समझने और सीखने की क्षमता आ गयी है और इसे समस्याओं को एनालाइज़ करके हल देने के लिए विकसित किया गया है।

जानिये ये जॉब्स कौन सी हैं जिन पर AI का पूरी तरह से असर नहीं होगा -

प्रोफेशनल एथलीट

अभी IPL चल रहा है, जिसमें हर इंसान किसी ना किसी टीम या किसी ना किसी प्लेयर को सपोर्ट कर रहा है। कैसा हो अगर भविष्य में IPL में खिलाड़ी की जगह AI जनरेटेड रोबोट्स खेल रहे हों? जहाँ तक स्पोर्ट्स में AI की बात है, इसका इस्तेमाल खिलाड़ियों की ट्रेनिंग को इम्प्रूव करने के लिए किया जा सकता है लेकिन AI कभी भी खिलाड़ियों को रिप्लेस नहीं कर सकता।

सिंगर्स

आज के समय में AI के इस्तेमाल से लिरिक्स लिखे जा सकते हैं और उसकी धुन भी बनाई जा सकती है, यहाँ तक कि इससे अलग-अलग इंस्ट्रूमेंट भी बजाए जा सकते हैं। लेकिन AI कभी भी सिंगर्स की जगह नहीं ले सकता। जब भी कोई गाना गाया जाता है, तो उसके लिए सिंगर अपने इमोशंस का इस्तेमाल करते हैं। जब आप आने फेवरेट सिंगर को सुनते हैं, तब आपके इमोशंस उसके इमोशंस से कनेक्ट होते हैं और ये जादू AI कभी नहीं कर सकता।

जजेस

हमारे देश में जजेस निर्धारित कानूनों को अपनी समझ के हिसाब से एनालाइज़ करके किसी भी केस में निर्णय देते हैं। लेकिन अगर AI रोबोट्स को कोर्ट में जज के रूप में इस्तेमाल किया गया, तो वे प्री डिफाइंड कानूनों को सिर्फ एनालाइज़ कर पाएंगे। लेकिन जजमेंट देने के लिए जजेस अपने पर्सनल एक्सपीरियंस का इस्तेमाल  करते हैं, जो कि AI के लिए मुश्किल है।

साइकोलॉजिस्ट और साइकेट्रिस्ट

आज कई कम्पनियां मेन्टल हेल्थ से डील करने के लिए AI बेस्ड रोबोट्स का इस्तेमाल कर रही हैं। लेकिन जब किसी इंसान से इस बारे में बात की जाती है, तो उससे उसकी लाइफ से जुड़ी कई महत्वपूर्ण बातों पर चर्चा की जाती है। साइकोलॉजिस्ट और साइकेट्रिस्ट इस काम के स्पेशलिस्ट होते हैं। ये स्पेशलिस्ट अपने ज्ञान और अनुभव के आधार पर इंसान को हेल्प करने का प्रयास करते हैं, जो AI के लिए मुश्किल है।

कंप्यूटर सिस्टम एनालिस्ट

जहाँ तक AI की बात की जाती है, वो अपने आप में एक कंप्यूटर प्रोग्राम है। AI चाहे जितना भी डेवलप हो जाए, उसके मेंटेनेंस के लिए हमेशा एक सिस्टम एनालिस्ट की ज़रूरत पड़ेगी ही। इसमें AI को मेन्टेन करना, उसे समय-समय पर अपडेट करना और उसमें एरर और बग को डिटेक्ट करके उसका करेक्शन करना शामिल है। इसलिए जैसे-जैसे AI बढ़ता जाएगा, वैसे-वैसे कंप्यूटर सिस्टम एनालिस्ट की जॉब में बढ़ोतरी होती जायेगी।

AI चाहे जितना डेवलप हो जाए, कुछ सेक्टर ऐसे हैं, जिसमें इंसानों के इमोशंस, उनकी समझ और उनके अनुभव की ज़रूरत पड़ेगी ही, इसलिए ऊपर बताई गयी इन सभी जॉब्स पर कभी भी AI का खतरा नहीं होगा।


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