Good News: छोटी कंपनियों के लिए चुकता पूंजी और कुल कारोबार की सीमा बढ़ी

बिजनेस

नई दिल्ली: कोरोना वायरस (Coronavirus) महामारी के दौर में छोटे उद्यमियों को राहत पहुंचाने के लिए केंद्र सरकार कई कदम उठा रही हैं. इसी क्रम में कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय ने छोटी कंपनियों के लिए चुकता पूंजी और कुल कारोबार की सीमा बढ़ा दी है. भारत सरकार के दृष्टिकोण के अनुरूप कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत छोटी कंपनियों की परिभाषा को संशोधित करते हुए अब उनकी चुकता पूंजी की सीमा को '50 लाख रुपये से अधिक नहीं' को बढ़ाकर '2 करोड़ रुपये से अधिक नहीं' कर दिया गया है. इसी प्रकार उनके कुल कारोबार की सीमा को '2 करोड़ रुपये से अधिक नहीं' से बढ़ाकर '20 करोड़ रुपये से अधिक नहीं' कर दिया गया है. इससे कम अनुपालन, कम फाइलिंग शुल्क और कम जुर्माने (किसी भी चूक की स्थिति में) के संदर्भ में दो लाख से अधिक कंपनियों को फायदा होने की उम्मीद है. अधिसूचना पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें. रिसर्च और इनोवेशन के लिए MSME मंत्रालय लीज पर देगी अपने टेक्नोलॉजी सेंटर्स

2 लाख से अधिक कंपनियों को ऐसे होगा फायदा-

  • वित्तीय नतीजे के तहत नकदी प्रवाह का विवरण तैयार करने की आवश्यकता नहीं होगी.
  • जहां अन्य कंपनियों को निदेशकों एवं प्रमुख प्रबंधकीय कर्मियों को दिए गए पारिश्रमिक का विवरण देने की आवश्यकता होती है, वहीं छोटी कंपनियों को अपने वार्षिक रिटर्न में पारिश्रमिक के तौर पर निदेशकों द्वारा निकाली गई कुल राशि का विवरण देना आवश्यक होगा.
  • ऑडिटर (Auditor) को अनिवार्य तौर पर बदलेन की आवश्यकता नहीं होगी.
  • छोटी कंपनियों के ऑडिटर को अपनी रिपोर्ट में आंतरिक वित्तीय नियंत्रण की पर्याप्तता और परिचालन संबंधी प्रभावशीलता का उल्‍लेख करने की आवश्यकता नहीं होगी.
  • साल में केवल दो बोर्ड बैठक आयोजित करने की आवश्‍यकता होगी.
  • कंपनी के वार्षिक रिटर्न पर कंपनी सचिव अथवा कंपनी सचिव के न होने पर कंपनी के एकमात्र निदेशक द्वारा हस्ताक्षर किया जा सकता है.
  • छोटी कंपनियों के लिए कम जुर्माने का प्रावधान.

सरकार की और से जारी बयान में कहा गया है “छोटी कंपनियां हमारे उद्योग जगत की रीढ़ हैं. वे लाखों नागरिकों की उद्यमशीलता संबंधी आकांक्षाओं एवं नवाचार क्षमताओं को प्रदर्शित करती हैं. छोटी कंपनियां रोजगार और जीडीपी में उल्‍लेखनीय योगदान करती हैं. सरकार ऐसे कदम उठाने के लिए हमेशा प्रतिबद्ध रही है जो कानून का पालन करने वाली इन कंपनियों के लिए कहीं अधिक अनुकूल कारोबारी माहौल तैयार करे, जिसमें इस प्रकार की कंपनियों के लिए अनुपालन बोझ को कम करना भी शामिल है.”

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