Success Story: देशभक्ति की अनोखी मिसाल, रिटायरमेंट के बाद से युवाओं को दे रहे हैं ट्रेनिंग, अब तक 155 युवा हो चुके हैं सेना में भर्ती, जानें सूबेदार मेजर लक्ष्मण तिवारी के जीवन की प्रेरक कहानी

Success Story Of Tiger Tiwari

कहते हैं कि देशभक्ति के लिए केवल सेना में रहना ही ज़रूरी नहीं है। आप सेना से बाहर रहकर भी देशभक्ति कर सकते हैं। इस बात को प्रमाणित करने का काम किया है, रिटायर्ड सूबेदार मेजर लक्ष्मण तिवारी उर्फ टाइगर तिवारी ने। जो साल 2014 में सेना से रिटायर हुए थे लेकिन रिटायर होने के बाद भी उन्होंने देशभक्ति नहीं छोड़ी। रिटायर होने के बाद उन्होंने गांव आकर युवाओं को ट्रेनिंग देनी शुरू की। इनके लिए यह सफर आसान नहीं था, शुरूआती दिनों में लोग उन्हें पागल तक कहने लगे थे। लेकिन उन्होंने किसी की परवाह किये बिना युवक-युवतियों को सेना के लिए तैयार करने में जुटे रहे। तो आइए जानते हैं रिटायर्ड सूबेदार मेजर लक्ष्मण तिवारी के जीवन के इस प्रेरक सफर के बारे में।

2014 में हुए थे आर्मी से रिटायर

मुजफ्फरपुर में मुशहरी प्रखंड के जलालपुर के रहने वाले रिटायर्ड सूबेदार मेजर लक्ष्मण तिवारी 2014 में आर्मी से रिटायर हुए थे। प्यार से लोग उन्हें टाइगर सर के नाम से संबोधित करते हैं। रिटायर्मेंट के बाद वो खाली बैठने की बजाय अपने गांव आ गए और यहां के युवक-युवतियों को सेना में भर्ती होने के लिए प्रेरित करन लगे। लेकिन उनका सफर आसान नहीं था। युवाओं को सेना के प्रति प्रेरित करने की इस लगन के कारण कई लोग उन्हें पागल समझने लगे थे।

लोगों के पागल कहने की नहीं की परवाह

गांव के अधिकतर लोग उन्हें पागल तिवारी कहकर संबोधित करते थे। लेकिन उन्होंने किसी की बात की परवाह नहीं की, वो अपने मिशन में लगातार जुटे रहे। धीरे-धीरे कुछ युवाओं को समझा कर उन्होंने 2014 में पहला बैच बनाया। जब उस बैच से सेना में बच्चों का सलेक्शन हुआ तब लोगों को उनकी बात समझ आई और लोगों का नजरिया बदला। धीरे-धीरे कई युवक-युवतियां उनसे जुड़ने लगे और सेना में भर्ती होने की तैयारी करने लगे।

फ्री में देते हैं सभी को ट्रेनिंग

लोगों की पहवाह किए बिना वे अपने गांव के सभी युवक-युवतियों को फ्री में ट्रेनिंग देते हैं। अपने गांव के बच्चों से वो फिजिकल ट्रेनिंग के लिए एक रुपए भी नहीं लेते हैं, बल्कि सारी सुविधा बच्चों को मुफ्त में ही देते हैं। कहते है ना कि नेक काम के लिए कुछ अच्छे लोग आपके साथ आ जाते हैं। इसी तरह टाइगर सर के साथ गांव के ही रिटायर्ड सैनिक सूबेदार मेजर शशि रंजन और मो. इस्लाम ट्रेनिंग के कार्यों में इनका साथ देते हैं। जिसका नतीजा ये है कि टाइगर सर द्वारा तैयार किए गए सैकड़ों छात्रों में से अब तक 155 छात्रों का सेना में चयन हो चुका है। इन छात्रों के चयन के बाद ग्रामीणों का टाइगर सर के प्रति नजरिया बदला और उन्हें उनकी बात समझ आई। सेना में नौकरी करने की वजह से कई युवकों के परिवार की आर्थिक स्थिति में भी सुधार हुआ। इन 8 सालों में गांव की तकदीर और तस्वीर दोनों बदल गई है। गांव के कई गरीब परिवारों के बच्चे अब सेना की नौकरी कर रहे हैं। सेना की नौकरी करने के बाद देश सेवा के साथ-साथ कई युवकों की परिवारिक हालत भी सुधरी है।

20 लड़कियां भी कर रही हैं पुलिस की नौकरी

टाइगर सर की ट्रेनिंग ने कई लोगों को नौकरी दी। इस बात को देख कर गांव की लड़कियां भी प्रेरित हुई और टाइगर सर के पास ट्रेनिंग के लिए पहुँच गई। इसके बाद टाइगर सर ने लड़कियों की ट्रेनिंग के लिए विशेष बैच बनाया और उन्हें ट्रेनिंग देना शुरू किया। टाइगर सर की ट्रेनिंग का यह नतीजा निकला कि गांव की 20 लड़कियां आज पुलिस में नौकरी कर रही हैं। ट्रेनिंग के लिए टाइगर सर ने किसी से भी किसी तरह का शुल्क नहीं लिया।

टाइगर सर के नाम से मशहूर रिटायर्ड सूबेदार मेजर लक्ष्मण तिवारी आज देशभक्ति का जीता-जागता प्रमाण हैं। उन्होंने निःशुल्क भाव से युवाओं को भारत की सेवा करने के लिए प्रेरित किया है। आज वो लाखों लोगों के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं। उन्होंने अपनी मेहनत और लगन से दूसरों के जीवन में उजाला फ़ैलाने का काम किया है।

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