इंसान अपनी मेहनत और काबिलियत से अपनी किस्मत को भी बदल कर रख सकता है। इस बात का प्रत्यक्ष उदाहरण हैं एक निम्न वर्गीय परिवार से ताल्लुक रखने वाले कुलदीप द्विवेदी जो अपनी मेहनत और काबिलियत के दम पर IRS ऑफिसर बन गए हैं।

कुलदीप के पिता सिक्योरिटी गार्ड का काम करते हैं। पढ़ाई करने के लिए कभी कुलदीप के पास किताबें तक नहीं थी। वो दूसरों से किताबें उधार मांगकर पढ़ाई करते थे। लेकिन उनके अंदर आगे बढ़ने की जिद्द थी। इसी के चलते उन्होंने अपने हालातों के आगे घुटने नहीं टेके और आज अपनी सफलता की कहानी लिख रहे हैं।

कुलदीप के लिए यह सफर काफी चुनौतीपूर्ण था। आइए जानते हैं उनके जीवन का प्रेरक सफर।

कौन हैं कुलदीप द्विवेदी

उत्तर प्रदेश के निगोह जिले के एक छोटे से गांव शेखपुर के एक गरीब परिवार में कुलदीप द्विवेदी का जन्म हुआ था। इनके पिता सूर्यकांत द्विवेदी लखनऊ विश्वविद्यालय में सिक्योरिटी गार्ड के तौर पर काम करते हैं। जिससे वो अपने परिवार का पेट जैसे तैसे भर पाते थे।  लेकिन जैसे-जैसे उनके बच्चे बड़े होने लगे उन्हें पढ़ाने के लिए वो खेतों में भी काम करने लगे थे। कुलदीप के पिता के पास इतने पैसे नहीं थे कि वे अपने बच्चों को किसी इंग्लिश मीडियम स्कूल में पढ़ा सकें। इसी कारण कुलदीप की बचपन से लेकर पोस्ट ग्रेजुएशन तक की पढ़ाई हिंदी मीडियम से ही हुई है। कुलदीप ने 12वीं पास करने के बाद इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में दाखिला ले लिया, जहां से उन्होंने हिंदी विषय में ग्रेजुएशन और जियोग्राफी में पोस्ट ग्रेजुएशन की।

बचपन में ही ठान लिया था ऑफिसर बनना

अपने हालातों को देखते हुए कुलदीप ने कक्षा 7वीं में ही यह निर्णय कर लिया था कि वे बड़े होकर ऑफिसर बनेंगे। उन्होंने इलाहाबाद में रहकर ही यूपीएससी परीक्षा की तैयारी की थी। उस समय उनके पास मोबाइल नहीं था और वह पीसीओ के जरिए अपने परिजनों से बात करते थे। यूपीएससी की सिविल सर्विसेस की परीक्षा की तैयारी के लिए कुलदीप दिल्ली चले गए।

उधार लेकर की यूपीएससी की पढ़ाई

कुलदीप द्विवेदी के पास इतने पैसे नहीं थे कि वो कोचिंग लेकर यूपीएससी की पढ़ाई करें। उनके पास तो इतने भी पैसे नहीं थे कि वो किताब खरीदें। इसलिए उन्होंने अपने रूममेट्स से किताबें उधार मांग कर यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी। घर के हालातों को देखते हुए कुलदीप अन्य सरकारी नौकरियों की भी तैयारी किया करते थे और उनकी परीक्षाएं भी देते थे। इसी तरह परीक्षा देते हुए साल 2013 में उनका बीएसएफ में असिस्टेंट कमांडेंट के पद पर चयन हो गया लेकिन उनका सपना था कि वे एक आईएएस ऑफिसर बने इसलिए उन्होंने बीएसएफ की नौकरी छोड़ दी और अपनी तैयारी करने लगे।

ऐसे बनें IRS ऑफिसर

कुलदीप लगातार यूपीएससी की तैयारी कर रहे थे। हालांकि, वे पहले प्रयास में प्रीलिम्स तक क्लियर नहीं कर पाए थे। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। उन्होंने दूसरी बार भी परीक्षा दी, हालांकि इस बार प्री तो निकल गया लेकिन मेंस में फेल हो गए। इसके बाद भी कुलदीप अपने लक्ष्य से हटे नहीं। उन्होंने फिर से परीक्षा दी और साल 2015 में जब यूपीएससी का रिजल्ट आया, तो उसमें कुलदीप ने 242वीं रैंक हासिल की। इसके बाद कुलदीप का चयन इंडियन रेवेन्यू सर्विसेस के लिए हो गया। ये वो समय था जब कुलदीप ने आइआरएस ऑफिसर बनकर अपने सपने को पूरा किया।

कुलदीप द्विवेदी ने आज अपनी मेहनत और लगन से सफलता की कहानी लिखी है। आज वो उन तमाम लोगों के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं जो हालातों के कारण आगे बढ़ने का हौसला खो देते हैं। कुलदीप ने कभी अपनी परिस्थितियों के आगे हार नहीं मानी और सफलता को प्राप्त किया।


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