Diamond Polish करने से लेकर Diamond Business Tycoon

Govind Dholakia Success Story

आर्थिक हालात ठीक ना होने के कारण कक्षा सातवीं तक ही शिक्षा ली

7 नवंबर 1947 गुजरात,सूरत में एक गरीब किसान परिवार में जन्में गोविंदभाई ढोलकिया आज भले ही हीरा व्यापारी के रूप में बड़ी पहचान बना चुके हैं लेकिन उनका बचपन काफी संघर्ष में बीता। घर चलाने के लिए सातवीं कक्षा में ही पढ़ाई छोड़कर वो अपने बड़े भाई भीमजी के साथ साल 1964 में डायमंड पॉलिश करने का काम शुरू किया। उन्होंने वहां कई सालों तक एक डायमंड पॉलिशिंग वर्कर के रूप में कड़ी मेहनत की। बाद में अपने दो दोस्तों के साथ 12 मार्च 1970 में हीरों का अपना कारखाना शुरू किया। हीरों का कारोबार अच्छी तरह से जमाने के बाद उन्होंने 1977 में श्री रामकृष्ण एक्सपोर्ट के नाम से अपना  Export का कारोबार शुरू किया। आज यह दुनिया के कई देशों में कारोबार करने वाली एक दिग्गज कंपनी बन चुकी है।

ऐसे बने बड़े हीरा कारोबारी

गोविंद भाई ढोलकिया को पहली बार कामयाबी तब मिली जब उन्होंने 1970 में श्री रामकृष्णा एक्सपोर्ट प्राइवेट लिमिटेड की स्थापना की जो आगे चलकर दुनिया की सबसे बड़ी हीरे काटने और निर्यात करने वाली कंपनी बनी। गोविंदभाई ढोलकिया डायमंड कंपनी श्रीरामकृष्णा एक्सपोर्ट्स के फाउंडर हैं। हीरा कारोबार के क्षेत्र में उनका नाम काफी मशहूर है । आज श्री रामकृष्णा एक्सपोर्ट प्राइवेट लिमिटेड (Shree Ramkrishna Exports Pvt. Ltd.) की वैल्यू एक बिलियन डॉलर से भी अधिक है।

Employee को देते हैं महंगे गिफ्ट

खुद अभावों में अपना बचपन बिताने  वाले गोविंदभाई ढोलकिया हमेशा अपने कर्मचारियों का ध्यान रखते हैं। हाल ही में गोविंदभाई ढोलकिया अपने कर्मचारियों और उनके परिवार को कंपनी के खर्चे पर दस दिन के टूर पर लेकर गए थे। इसके अलावा वो अपने स्टाफ को कार और घर तक गिफ्ट कर चुके हैं।

भगवान राम के हैं बड़े भक्त

राम मंदिर निर्माण के अभियान के तहत निधि संग्रह की प्रक्रिया में गुजरात के हीरा व्यापारी गोविंद  भाई ढोलकिया  ने राम मंदिर निर्माण के लिए दान देकर सभी को चौंका दिया था। वह बड़े रामभक्त हैं और सालों से आरएसएस के साथ जुड़े हुए हैं। 1992 में हुई राम मंदिर पहल में भी वो शामिल थे इसी के चलते उन्होंने अपनी श्रद्धा और आस्था से भगवान श्रीराम के मंदिर निर्माण के लिए 11 करोड़ का दान दिया।

अपनी आत्मकथा को लेकर आए थे सुर्खियों में

भारत के मशहूर हीरा कारोबारी गोविंद ढोलकिया ने हाल ही अपनी आत्मकथा “डायमंड्स आर फॉरएवर , सो आर मॉरल्स  (Diamonds are Forever So are Morals) का विमोचन किया है। इस पुस्तक में उन्होंने बताया कि कैसे उन्होंने शून्य से शुरुआत कर एक करोडों की कंपनी खड़ी की और हीरे के व्यापार को बेल्जियम से भारत लाए। ढोलकिया ने अपनी आत्मकथा में बताया कि वे 1964 में अपने परिवार की जरूरतों को पूरा करने के पहली बार सूरत आए थे, लेकिन उनकी आंखों में कुछ अलग और बड़ा करने का सपना था। यही कारण है कि आज वो सफलता के नए कीर्तिमान स्थापित कर पाएं हैं।

कभी डायमांड पॉलिश करने वाले गोविंद भाई ढोलकिया ने अपनी  मेहनत और संघर्ष से यह बता दिया है कि जीवन में बड़ी सफलता पाना नामुमकिन नहीं है। आज वो अपनी खास पहचान बना चुके हैं। यदि आपको भी उनकी यह सफलता की प्रेरक कहानी पसंद आई हो तो आप अपने विचार हमारे साथ साझा कर सकते हैं साथ ही ऐसे ही अन्यव्यक्तियों  की प्रेरक कहानी  हमारे साथ शेयर  कर सकते हैं।

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