केंद्र सरकार देश में स्टार्टअप्स को प्रोत्साहित करने के लिए कई सराहनीय कदम उठा रही है. इसके तहत स्टार्टअप्स को उनके शुरूआती चरण में वित्तीय सहायता भी दी जा रही है. इसके लिए सरकार हर साल हजारों करोड़ रुपये खर्च भी करती है. जबकि कई तरह के गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस उपलब्ध करा कर अधिक से अधिक लाभ कमाने मे उनकी मदद भी कर रही है. नई तकनीक से जायफल के छिलके से बनेगी टॉफी, एग्रीप्रेन्योर के पास सुनहरा मौका

केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने बीते हफ्ते एक इलेक्ट्रॉनिक मार्केटप्लेस ई-सांता (E SANTA) की शुरुआत की. यह जल कृषकों और खरीदारों को जोड़ने के लिए एक मंच के रूप में काम करेगा. वहीं, यह किसानों को बेहतर मूल्य प्राप्त करने में सक्षम बनाएगा. इसके अलावा इससे पता लगाने की क्षमता में भी वृद्धि होगी, जिससे निर्यातक सीधे किसानों से गुणवत्तापूर्ण उत्पादों की खरीद कर सकेंगे. अंतरराष्ट्रीय व्यापार में पता लगाने की क्षमताएक महत्वपूर्ण कारक है.

ई-सांता टर्म वेबपोर्टल के लिए तैयार किया गया, जिसका अर्थ इलेक्ट्रॉनिक सॉल्यूशन फॉर ऑग्मेंटिंग एनएसीएसए फार्मर्स ट्रेड इन एक्वाकल्चर है. नेशनल सेंटर फॉर सस्टेनेबल एक्वाकल्चर (एनएसीएसए), भारत सरकार के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के तहत समुद्री उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एमपीईडीए) की एक विस्तारित शाखा है.

ई-सांता किसानों और निर्यातकों के बीच पूरी तरह से एकपेपरलेस एवं एंड-टू-एंड इलेक्ट्रॉनिक मंच है. इस पर किसानों को अपनी उपज को सूचीबद्ध करने और उनकी कीमत को तय करने की आजादी है. वहीं निर्यातकों को अपनी आवश्यकताओं को सूचीबद्ध करने और अपनी आवश्यवकताओं जैसे- वांछित आकार, स्थान और फसल कटाई की तारीख आदि के आधार पर उत्पादों को चुनने की स्वतंत्रता है. यह किसानों और खरीदारों को व्यापार पर अधिक नियंत्रण रखने एवं सूचनाओं पर आधारित निर्णय लेने में सक्षम बनाता है. यह मंच प्रत्येक उत्पाद सूची का विस्तृत विवरण प्रदान करता है.

वहीं फसल सूचीकरण और ऑनलाइन बातचीत के बाद जब सौदा तय होता है तो अग्रिम भुगतान किया जाता है और एक अनुमानित चालान बनता है. इसके बाद जब फसल कटाई की तारीख तय हो जाती है तो खरीदार खेत में जाता है और उसकी उपस्थिति में फसल की कटाई होती है. वहीं, जब फसल की कटाई पूरी हो जाती है तो अंतिम गणना, सामग्री की मात्रा, अंतिम रकम तय की जाती है और वितरण चालान जारी किया जाता है. इसके बाद जब एक बार सामग्री प्रसंस्करण संयंत्र पहुंच जाता है तो अंतिम चालान बनता है और निर्यातक शेष रकम का भुगतान करता है. यह भुगतान एस्क्रौ अकाउंट में दिखाई देता है. एनएसीएसए इसे सत्यापित करता है और इसके अनुसार किसानों को भुगतान जारी करता है.