देश में ‘कारोबार में आसानी’ (Ease of Doing Business) को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सरकार भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) से प्रमाणन (Certification) प्राप्त करने के लिए आवश्यक अनुपालन-प्रक्रिया को सरल बनायेगी. इस दिशा में एक कदम के रूप में, उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग, उपभोक्ता कार्य विभाग और भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा संयुक्त रूप से "प्रमाणन के लिए अनुपालन को आसान बनाना” विषय पर बुधवार को पहली कार्यशाला का आयोजन किया गया. जिसका उद्देश्य उद्योग के विभिन्न क्षेत्रों और सर्वोच्च राष्ट्रीय मानक निकाय के बीच विचार-विमर्श की सुविधा प्रदान करना था. 15 राज्यों ने पूरी की ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ सुधार प्रक्रिया
बीआईएस मुख्यालय में आयोजित कार्यशाला में उद्योग जगत के कई शीर्ष प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया. उद्योग जगत के कुछ दिग्गज कार्यशाला में उपस्थित हुए, जबकि कुछ अन्य कार्यक्रम से वर्चुअल रूप में जुड़े. इस दौरान मुख्य रूप से मानकों के निर्माण के विभिन्न पहलुओं, अनुरूपता मूल्यांकन प्रक्रियाओं और परीक्षण की आवश्यकताओं पर ध्यान केंद्रित किया गया.
रेल, वाणिज्य और उद्योग तथा उपभोक्ता कार्य और खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री पीयूष गोयल ने भी कार्यशाला को संबोधित किया. आत्मनिर्भर भारत के उद्देश्यों, कारोबार में आसानी और घरेलू उद्योगों के लिए अनुपालन बोझ को कम करने आदि बातों को ध्यान में रखते हुए बीआईएस और एलएम अधिनियम में सुधार किए जा रहे हैं.
विनिर्माण में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के लिए सरकार द्वारा किये जा रहे प्रयासों की पृष्ठभूमि में इस कार्यशाला का विशेष महत्व है. कार्यशाला, भारतीय मानकों कोवैश्विक मानकों के समकक्ष बनाने पर ध्यान केंद्रित करेगी ताकि "मेक इन इंडिया" मिशन अपने उद्देश्यों को प्राप्त कर सके.
उद्योग जगत के प्रतिनिधियों के साथ हुई बातचीत से उद्योगों, विशेषकर एमएसएमई, स्टार्टअप्स और छोटे उद्यमों द्वारा सामना की जा रही समस्याओं को समझने में मदद मिली. उनके सुझावों के आधार पर एक मजबूत और जीवंत प्रणाली का निर्माण किया जायेगा, जो अर्थव्यवस्था के विस्तार और उपभोक्ता संतुष्टि के लिए, उत्पादों तथा सेवाओं में भारतीय मानकों को बेहतर तरीके से अपनाने के लिए प्रोत्साहन और सुविधा प्रदान करेगी. उल्लेखनीय है कि भारतीय मानकों को दुनिया में किसी से कम नहीं आंका जा सकता है.
उपभोक्ता कार्य विभाग का विशेष ध्यान बीआईएस अधिनियम, 2016 और कानूनी मेट्रोलॉजी अधिनियम, 2009 के माध्यम से उपभोक्ताओं के लिए उत्पाद, प्रक्रियाओं और सेवाओं की गुणवत्ता और मात्रा सुनिश्चित करना है.
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 का उद्देश्य उपभोक्ताओं को सुरक्षित और सशक्त महसूस करने में सक्षम बनाना है, ताकि वे जानकारी के आधार पर विकल्पों का चयन कर सकें; उपभोक्ताओं के लिए उचित, न्यायसंगत और सुसंगत परिणाम सुनिश्चित करना है और निश्चित समय सीमा के साथ प्रभावी शिकायत निवारण की सुविधा प्रदान करना है.