भारत में एक्सपोर्ट बिजनेस कैसे शुरू करें? जानिए स्टेप बाय स्टेप तरीका

एक्सपोर्ट बिजनेस

नई दिल्ली: आज के आधुनिक युग ने दुनिया में व्यवसाय (Businesses) करने के तरीके को काफी हद तक बदल दिया है. हर उद्यमी (Entrepreneur) अपने बिजनेस को देश-विदेश तक पहुंचना चाहता है. हालांकि यह उद्यमी के हौसले पर निर्भर करता है. एक सफल उद्यमी होने के लिए फोकस और सकारात्मक सोच होनी बहुत जरुरी है. साथ ही प्रतिस्पर्धात्मक लाभ हासिल करने का गुण भी होना चाहिए. वर्तमान समय की मांग है कि न केवल उद्यमी खुद को बलि अपने व्यवसाय को भी मजबूत बनाये, तभी वह बाजार में टिका रह सकता है.

आज हम आपकों निर्यात की शुरुआत कैसे की जाये, इसकी जानकारी देने वाले है. निर्यात अपने आप में एक बहुत ही व्यापक अवधारणा है. उद्यमी को निर्यात व्यवसाय शुरू करने से पहले एक निर्यातक के तौर पर कई सारी तैयारियां करनी पड़ती है. निर्यात किये जाने वाले प्रोडक्ट के आधार पर कुछ लाइसेंस और अनुमतियाँ लेन जरुरी होता है. निर्यात व्यवसाय शुरू करने के लिए नीचे बताएं गए चरणों का पालन किया जाता है-

1- एक संगठन की स्थापना

निर्यात व्यवसाय शुरू करने के लिए पहले प्रक्रिया के अनुसार एक आकर्षक नाम और लोगो के साथ एक एकल मालिकाना फर्म/ भागीदारी फर्म / कंपनी स्थापित करनी होती है.

2- बैंक खाता खोलना

विदेशी मुद्रा में सौदा करने के लिए अधिकृत बैंक के साथ एक चालू खाता खोला पड़ता है. जिससे आपका व्यापारिक लेनदेन आसानी से किया जा सके.

3- स्थायी खाता संख्या (पैन) प्राप्त करना

आयकर विभाग से प्रत्येक निर्यातक और आयातक को पैन प्राप्त करना आवश्यक है. (PAN के लिए आवेदन करने के लिए यहां क्लिक करें)

4- आयातक-निर्यातक कोड (IEC) संख्या प्राप्त करना

विदेश व्यापार नीति के अनुसार भारत से निर्यात / आयात के लिए आईईसी कोड प्राप्त करना बेहद जरुरी है. बिना इसके कोई प्रोडक्ट निर्यात नहीं किया जा सकता है. आयातक-निर्यातक कोड के लिए www.dgft.gov.in पर ऑनलाइन आवेदन किया जा सकता है. (इस संबंध में अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करें)

5- पंजीकरण सह सदस्यता प्रमाण पत्र (RCMC)

विदेश व्यापार नीति 2015-20 के तहत आयात / निर्यात या किसी अन्य लाभ या रियायत के लिए प्राधिकरण का लाभ उठाने के लिए, साथ ही सेवाओं / मार्गदर्शन का लाभ उठाने के लिए, निर्यातकों को संबंधित निर्यात संवर्धन परिषदों / एफआईईओ/ कमोडिटी बोर्ड / प्राधिकरणों द्वारा दिए गए आरसीएमसी प्राप्त करना जरुरी है.

6- उत्पाद का चयन

सरकार द्वारा निषिद्ध व प्रतिबंधित सूची में शामिल प्रोडक्ट को छोड़कर एनी सभी को स्वतंत्र रूप से निर्यात किया जा सकता है. उद्यमी भारत से विभिन्न उत्पादों के निर्यात के रुझानों का अध्ययन कर निर्यात के लिए सही उत्पाद का चयन कर सकते है.

7- बाजारों का चयन

दुनियाभर के बाजार एक दूसरे से अलग होते है. बाजार के आकार, प्रतियोगिता, गुणवत्ता की अपेक्षाओं, भुगतान की शर्तों आदि को ध्यान में रखकर ही विदेशी बाजार को चुनने में समझदारी है. जबकि विदेश व्यापार नीति के तहत कुछ देशों के लिए उपलब्ध निर्यात लाभों के आधार पर निर्यातक बाजार का मूल्यांकन भी कर सकते हैं. एक्सपोर्ट प्रमोशन एजेंसियां, विदेश में भारतीय मिशन, सहकर्मी, दोस्त और रिश्तेदार जानकारी जुटाने में आपके प्रमुख स्रोत साबित होंगे.

8- खरीदार ढूंढना

उद्यमी अपने प्रोडक्ट का सही खरीददार तलाशने के लिए व्यापार मेलों, खरीदार विक्रेता सम्‍मेलन, प्रदर्शनियां, बी2बी पोर्टल, वेब ब्राउजिंग का सहारा ले सकता है. खरीदारों को खोजने यह सबसे सरल और प्रभावी तरीका है. वहीँ, एक्सपोर्ट प्रमोशन परिषद, विदेशों में भारतीय मिशन, वाणिज्य के विदेशी कक्ष भी मददगार हो सकते हैं. उत्पाद सूची, मूल्य, भुगतान की शर्तों और अन्य संबंधित जानकारी के साथ बहुभाषी वेबसाइट बनाना भी आपके बिज़नेस को फायदा पहुंचाएगा.

9- सैंपल लेना

विदेशी खरीदारों की मांगों के अनुसार अनुकूलित सैंपल देना निर्यात आदेश प्राप्त करने में मदद करता है. विदेश व्यापार नीति 2015-2020 के अनुसार, बिना किसी सीमा के स्वतंत्र रूप से निर्यात योग्य वस्तुओं के बोनाफाइड व्यापार और तकनीकी नमूनों के निर्यात की अनुमति होगी.

10- मूल्य / लागत निर्धारण

अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी प्रतियोगिता कम नहीं है. ऐसे में प्रोडक्ट के खरीदारों का ध्यान आकर्षित करने और बिक्री को बढ़ावा देने के लिए प्रोडक्ट की कीमत बड़ी भूमिका निभा सकती है. कीमत निर्धारण बिक्री की शर्तों के आधार पर निर्यात आय के नमूने से लेकर बोर्ड (एफओबी), लागत, बीमा और माल ढुलाई (सीआईएफ), लागत और माल (सी एंड एफ) आदि खर्चों के आधार पर करना चाहिए. निर्यात लागत निर्धारित करने का लक्ष्य अधिकतम लाभ मार्जिन के साथ प्रतिस्पर्धी मूल्य पर अधिकतम मात्रा में माल बेचना होना चाहिए. प्रत्येक निर्यात उत्पाद के लिए निर्यात लागत पत्रक तैयार करना उचित है.

11- खरीदारों से बातचीत

उत्पाद में खरीदार की रुचि, भविष्य की संभावनाओं और व्यवसाय में निरंतरता के बाद, उचित भत्ता / मूल्य में छूट देने की मांग पर विचार किया जाना चाहिए.

12- एक्‍सपोर्ट क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन के माध्यम से जोखिम को कवर करना

निर्यातक बनने की सोच रहे हर उद्यमी के लिए यह चरण बेहद जरुरी है. दरअसल अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में कई जोखिम होते है. जैसे खरीदार या उस देश के दिवालिया होने के कारण भुगतान अटक सकता है. एक्सपोर्ट क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन लिमिटेड की एक उचित नीति द्वारा इन जोखिमों को कवर किया जा सकता है. जहां खरीदार अग्रिम भुगतान किए बिना या क्रेडिट के शुरुआती पत्र के बिना ऑर्डर दे रहा है, वहॉं गैर-भुगतान के जोखिम से बचाने के लिए ईसीजीसी से विदेशी खरीदारपर क्रेडिट सीमा की खरीद करना उचित है. (इस बारे में वृस्तित जानकारी के लिए यहां क्लिक करें)

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