EV Supply Chain: इलेक्ट्रिक व्हीकल इंडस्ट्री में छोटे कारोबारियों के लिए सुनहरे अवसर

आजकल बढ़ रहे प्रदूषण और उनके प्रभावों को देखते हुए लोग पेट्रोल और डीजल से चलने वाली गाड़ियों की जगह Electric Vehicles (EVs) ले रहे हैं। भारत की ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में एक नया दौर लेकर आए हैं Electric Vehicles । सरकार की नीतियाँ, पर्यावरण को लेकर बढ़ती जागरूकता और कस्टमर्स की बढ़ती मांग ने इस बदलाव को और तेज कर दिया है।

आने वाले समय में EV इंडस्ट्री तेजी से बढ़ती हुई सेक्टर्स  में से एक होगी। सप्लाई चेन पर इस बदलाव का सबसे ज्यादा असर पड़ रहा है। Electric Vehicles के कारण कई सारे नए सेक्टर्स उभर रहे हैं, जैसे- इलेक्ट्रिक गाडियों को बनाने और चलाने के लिए बैटरी, चार्जिंग स्टेशन, सॉफ्टवेयर, स्पेयर पार्ट्स और रीसाइक्लिंग। ये MSMEs के लिए नए opportunities पैदा कर सकते हैं। 

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EV इंडस्ट्री में बढ़ते अवसर -

EV का सबसे महत्वपूर्ण पार्ट है। भारत मे आज EV बैटरियों की 70% जरूरत आयात पर निर्भर है। इसीलिए आने वाले समय में सरकार “Make in India” के तहत लोकल बैटरी मैन्यूफैक्चरिंग को बढ़ावा दे रही है। बैटरी असेंबलिंग, पैकिंग और छोटे स्पेयर पार्ट्स की सप्लाई करके छोटे Enterprises इस चेन का हिस्सा बन सकते हैं। 

 

EVs को बड़े पैमाने पर अपनाने के लिए चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर बहुत जरूरी है। इसलिए सरकार और प्राइवेट कंपनियाँ बड़े स्केल पर चार्जिंग स्टेशन्स लगा रहीं हैं। छोटे बिजनेसमैन लोकल चार्जिंग पॉइंट्स, बैटरी स्वैपिंग स्टेशन और चार्जिंग इक्विपमेंट सर्विसिंग में इंवेस्ट कर सकते हैं। छोटे शहरों और हाईवे किनारे की बहुत डिमांड को होगी। 

 

EV गाड़ियों को पेट्रोल/डीजल से चलने वाली गाड़ियों के मुकाबले कम पार्ट्स को यूज करके बनाया जाता है। EVs में मोटर, कंट्रोलर, सॉफ़्टवेयर चिप्स, वायरिंग हार्नेस और ब्रेकिंग सिस्टम की जरूरत होती है। छोटे Enterprises इन पार्ट्स की मैन्यूफैक्चरिंग और सप्लाई करने का काम कर सकती हैं। 

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एक EV गाड़ी की बैटरी की लाइफ 7-10 साल की होती है। इसके बाद उन्हें रीसाइक्लिंग की जरूरत होती है। तो भविष्य में बैटरी रिसाइक्लिंग और सेकंड-लाइफ बैटरी (स्टोरेज सिस्टम) का बिजनेस बड़ी opportunity होगी। छोटे Enterprises टेक्नोलॉजी कंपनियों के साथ पार्टनरशिप कर के बिजनेस शुरू कर सकते हैं।

 

चूँकि EVs पेट्रोल/डीजल से चलने वाली गाड़ियों से अलग होते हैं, इनकी मैन्युफैक्चरिंग उनसे अलग होती है, वैसे ही इनको रिपेयर करने के तरीके भी अलग होते हैं। इसके लिए स्पेशल स्किल और डिवाइसेज की जरूरत होती है। MSMEs EV सर्विस सेंटर, बैटरी हेल्थ चेक-अप और सॉफ़्टवेयर अपग्रेडिंग जैसी सर्विसेज दे सकता है। ऐसे सर्विसेज की डिमांड Tier-2 और Tier-3 शहरों में बहुत ज्यादा है। 

 

MSMEs को क्यों मिलेंगे ज्यादा मौके ?

EV सप्लाई चेन Components-Driven है मतलब इनमें छोटे-छोटे पार्ट्स की जरूरत होती है। हर कंपनी जो EV गाड़ियाँ बनाती हैं वो उनमें यूज होने वाले सभी पार्ट्स अलग-अलग जगहों से बनाती है। वे छोटे सप्लायर्स पर निर्भर रहते हैं। अगर MSMEs कम पैसों में अच्छी क्वालिटी के प्रॉडक्ट्स बनाएँ तो कंपनी उन्हें आसानी से अपना पाएँगी। सरकार MSMEs को बढ़ावा देने के लिए टैक्स में डिस्काउंट, सब्सिडी, और फंडिंग में बहुत सपोर्ट कर रही है।

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Digital Technology और EV सप्लाई चेन -

EV इंडस्ट्री में Digitalization बहुत तेजी से हो रहे हैं, ये प्रगति देखते बन रही है। IoT और Sensor का बैटरी परफार्मेंस और चार्जिंग स्टेशन मॉनिटरिंग में किया जा रहा है। EV सेक्टर में सॉफ्टवेयर सॉल्यूशन्स का Fleet Management, Battery Management System, EV Charging Software के लिए इस्तेमाल किया जाता है। E-commerce चैनल्स का स्पेयर पार्ट्स और चार्जिंग इक्विपमेंट्स की ऑनलाइन सेल के लिए इस्तेमाल किया जाता है। 

MSMEs इन डिजिटल टूल्स का यूज कर के अपना बिजनेस बहुत तेजी से आगे बढ़ा रहे हैं। 

 

चुनौतियाँ -

EV इंडस्ट्री में हाई-टेक्नोलॉजी की जरूरत होती है, इन्हें MSMEs को अपनाना होगा नहीं तो टेक्नोलॉजी गैप हो सकते हैं और Enterprise इस कॉम्पिटिटीव वर्ल्ड में पीछे छूट जाएँगे। फंडिंग की दिक्कत भी एक चुनौती है क्योंकि नई मशीनरी और टेक्नोलॉजी में इंवेस्ट करने के लिए पूँजी की जरूरत होती है। EV रिपेयर और बैटरी टेक्नोलॉजी में स्किल्ड वर्कर्स की जरूरत होती है, जिसकी कमी है। चीन और दूसरे देशों से इम्पोर्टेड प्रोडक्ट से कॉम्पिटिशन आसान नहीं होगा क्योंकि वो बहुत कम पैसों में चीजें provide करते हैं। 

 

सरकार का सहयोग -

सरकार EV इंडस्ट्री को सपोर्ट करने के लिए कई योजनाएँ चला रही हैं। जैसे- FAME-II (Faster Adoption and Manufacturing of Hybrid and Electric Vehicles) इस योजना का उद्देश्य EVs को अफोर्डेबल और प्रैक्टिकल बनाना है, fossil fuels पर निर्भरता कम करना है, डॉमेस्टिक EV मैन्यूफैक्चरिंग को तेज करना है जिससे एयर क्वालिटी इंप्रूव हो और stability बढ़े। 

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PLI स्कीम (Production Linked Incentive) योजना का उद्देश्य है डॉमेस्टिक मैन्यूफैक्चरिंग को बढ़ावा देना, एक्सपोर्ट्स को बढ़ावा देना, फाइनेंशियल सपोर्ट के लिए इन्वेस्टमेंट्स को आकर्षित करना है।

 

Startup India और MSME स्कीम्स का उद्देश्य innovative और टेक्नोलॉजी बेस्ड Enterprises को प्रमोट करना है। 

 

निष्कर्ष (Conclusion) -

EV इंडस्ट्री की पूरी सप्लाई चेन MSMEs के लिए बहुत सुनहरा अवसर है। बैटरी मैन्युफैक्चरिंग, चार्जिंग स्टेशन, स्पेयर पार्ट्स, रिसाइक्लिंग और डिजिटल टेक्नोलॉजी जैसे क्षेत्रों में छोटे बिजनेसमैन के लिए बहुत अवसर हैं। MSMEs सही प्लान्स, टेक्नोलॉजी, सरकारी योजनाओं के साथ EV लोकल मार्केट से ग्लोबल सप्लाई चेन का हिस्सा भी बन सकते हैं। 

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