विजय शेखर शर्मा, Paytm के संस्थापक हैं और भारत के डिजिटल रिवॉल्यूशन के सबसे बड़े चेहरे बन चुके हैं। उनकी कहानी सिर्फ एक कंपनी शुरू करने की नहीं है, बल्कि एक ऐसे इंसान की है जिसने भाषा, पैसे और हालात की सीमाओं को तोड़कर देश को मोबाइल से पेमेंट करना सिखाया।

  • शुरुआती जीवन और शिक्षा
  • विजय शेखर शर्मा का जन्म 8 जुलाई 1978 को उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले के एक छोटे से गांव में हुआ। उनके पिता एक स्कूल टीचर थे और मां गृहिणी। उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई हिंदी मीडियम सरकारी स्कूल से की, जहाँ अंग्रेज़ी बोलना तो दूर, समझना भी मुश्किल था। लेकिन विजय के भीतर कुछ अलग करने की आग थी।
  • जब वह इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए दिल्ली कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग (अब DTU) पहुँचे, तो उन्हें सबसे बड़ा झटका इंग्लिश भाषा से लगा। क्लास में पढ़ाई समझ नहीं आती थी, और किताबों की भाषा उनके लिए पहेली जैसी थी। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। उन्होंने खुद से इंग्लिश सीखना शुरू किया अखबार पढ़े, गाने सुने, और धीरे-धीरे खुद को तैयार किया।
  • पहला स्टार्टअप और शुरुआती संघर्ष
  • कॉलेज के दौरान ही विजय को टेक्नोलॉजी से प्यार हो गया। 1997 में उन्होंने XS Corps नाम की कंपनी शुरू की जो वेबसाइट्स बनाने का काम करती थी। उन्होंने अपने दोस्तों के साथ मिलकर एक कंटेंट मैनेजमेंट सिस्टम भी तैयार किया जो आज के WordPress जैसा था।
  • उस वक़्त उनके पास न लैपटॉप था, न पैसे। वे साइबर कैफे में घंटों बिताते थे और वहीं से कोडिंग करते थे। कई बार खाने के पैसे भी नहीं होते थे, लेकिन उन्होंने कभी शिकायत नहीं की। उन्हें भरोसा था कि वो कुछ बड़ा करेंगे।
  • Paytm की शुरुआत
  • साल 2000 में उन्होंने One97 Communications की शुरुआत की, जो बाद में Paytm की parent company बनी। इस कंपनी के जरिए वो मोबाइल वैल्यू एडेड सर्विसेज जैसे caller tunes और alerts देते थे। लेकिन असली क्रांति तब आई जब 2010 में उन्होंने Paytm (Pay Through Mobile) लॉन्च किया।
  • शुरुआत में Paytm सिर्फ मोबाइल रिचार्ज और बिल पेमेंट के लिए था। लेकिन विजय का सपना था कि लोग मोबाइल से हर चीज़ खरीदें चाय से लेकर फ्लाइट टिकट तक। उन्होंने Paytm Wallet लॉन्च किया और धीरे-धीरे हर दुकान, ऑटो और बिजनेस Paytm से जुड़ता गया।

बड़ी कामयाबी का दौर

Paytm को असली उड़ान मिली 2016 में जब नोटबंदी हुई। पूरे देश में कैश की किल्लत थी और लोग डिजिटल पेमेंट की ओर बढ़ने लगे। उस समय Paytm ने सबसे ज्यादा फायदा उठाया। उस एक साल में इसके करोड़ों नए यूज़र जुड़े और कंपनी की वैल्यू कई गुना बढ़ गई।

2017 में Paytm ने अपना खुद का बैंक लॉन्च किया Paytm Payments Bank। फिर Paytm Mall और PaytmMoney जैसी सेवाएं शुरू कीं। 2021 में कंपनी ने IPO (शेयर बाजार में लिस्टिंग) किया, जो भारत का सबसे बड़ा IPO बना।

मुश्किलें और आलोचनाएं

जैसे-जैसे कंपनी बड़ी होती गई, वैसे-वैसे मुश्किलें भी बढ़ती गईं। Paytm के IPO को शेयर बाजार में उतनी कामयाबी नहीं मिली जितनी उम्मीद थी। इसके बाद कंपनी को आर्थिक घाटा और यूज़र ट्रस्ट की चुनौतियाँ झेलनी पड़ीं।

विजय को पर्सनल तौर पर भी ट्रोल किया गया। उन्हें भावुक होते हुए प्रेस कॉन्फ्रेंस में रोते हुए देखा गया। लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। उन्होंने दोबारा रणनीति बनाई, टीम को मजबूत किया, और आज भी Paytm देश की सबसे बड़ी डिजिटल कंपनियों में से एक है।

Paytm का आज और कल

आज Paytm सिर्फ एक वॉलेट नहीं, बल्कि एक पूरा डिजिटल इकोसिस्टम है पेमेंट, बैंकिंग, इन्वेस्टमेंट, शॉपिंग, हर सेवा एक ही ऐप पर मिलती है। विजय का सपना है कि भारत पूरी तरह कैशलेस हो और Paytm उसमें अहम रोल निभाए।

                             Paytm की ग्रोथ (2010–2024)

यह ग्राफ़ साफ़ तौर पर दिखाता है कि किस तरह Paytm ने 2010 से 2024 तक अपने यूज़र्स की संख्या में जबरदस्त बढ़ोतरी की। नोटबंदी के बाद Paytm की ग्रोथ सबसे तेज़ रही और यह भारत के सबसे भरोसेमंद डिजिटल प्लेटफॉर्म्स में से एक बन गया।

विजय शेखर शर्मा की कहानी बताती है कि अगर आपके अंदर सपना देखने का हौसला है, तो आप किसी भी बाधा को पार कर सकते हैं। उन्होंने भाषा की दीवार तोड़ी, पैसों की कमी से लड़े, और लोगों का भरोसा जीता। आज वे सिर्फ एक कंपनी के मालिक नहीं, बल्कि भारत की डिजिटल पहचान के प्रतीक बन चुके हैं।

बड़ा बिज़नेस भी इसी सोच को आगे बढ़ाता है। हम छोटे व्यापारियों और नए उद्यमियों को पूरा सहयोग करते हैं ताकि मिलकर हम भारतीय अर्थव्यवस्था को और मजबूत बना सकें।