Tips for Optimizing your E-Commerce Business: ई-कॉर्मस साइट को इन टिप्स के जरिए करें ऑप्टीमाइज़ और बढ़ाएं उसकी रैंकिंग
बिज़नेस को बदलते जमाने के साथ आगे बढ़ाने के लिए सभी व्यापारी अपने व्यापार को ई-कॉमर्स साइट की ओर ले जाने का काम कर रहे हैं. ई-कॉमर्स बिज़नेस उभरते जमाने की सबसे बड़ी मांग है क्योंकि ई-कॉमर्स बिज़नेस ने लोगों के जीवन को काफी सरल और उनके समय को बचाने का भी काम किया है. रिसर्च बताती है कि यूएस में 79% कस्टमर्स ऑनलाइन सर्विस का उपयोग करते हैं और यह संख्या इसी तरह से लगातार बढ़ती जा रही है. क्या आप भी अपने ई-कॉमर्स बिज़नेस को आगे बढ़ाने के तरीकों की तलाश कर रहे हैं? क्या आप भी ई-कॉमर्स बिज़नेस की शुरुआत इसलिए नहीं कर पा रहे हैं क्योंकि आप सही रणनीतियों को नहीं जानते हैं. क्या आप जानना चाहते हैं कि कैसे ई-कॉमर्स साइट को सही तरीको के जरिए ऑप्टीमाइज़ किया जा सकता है? चलिए इस आर्टिकल में हम आपके इन्हीं सवालों का जवाब देने वाले हैं. बात करते हैं कि किस तरह से ई-कॉमर्स साइट की रैंकिंग की जाती है?
- टॉर्गेट की-वर्ड (Determine your Target Keywords): गूगल अपनी एक अलग एल्गोरिदम के अनुसार काम करता है. किसी भी कॉन्टेंट को उसके सही टॉर्गेट ऑडियंस तक पहुंचाने के लिए उन जरूरी की-वर्ड की तलाश बेहद जरूरी होती है, जिसका उपयोग कर कोई भी कस्टमर सर्विस या प्रोडक्ट को ख़ोजता है. की-वर्ड को बड़ी ही संजीदगी के साथ ख़ोजा जाता है. ध्यान देने वाली बात होती है, जब किसी भी की-वर्ड की तलाश की जाती है तो उसकी सर्च वॉल्यूम, रेलेवेंस, लोकेशन के आधार पर उसकी पोप्युलैरिटी और उसकी रैंकिंग का ध्यान रखा जाता है.
की-वर्ड की तलाश के लिए आपको की-वर्ड सर्च टूल का इस्तेमाल करना होगा. कुछ की-वर्ड टूल फ्री होते हैं तो कुछ को खरीदने की जरूरत होती है. अगर आप फ्री में की-वर्ड टूल चाहते हैं तो Google’s Keyword Planner का उपयोग किया जा सकता है, लेकिन अगर आप इस टूल को खरीदना चाहते हैं तो SEMrush जैसे की-वर्ड सर्च टूल को अपनाया जा सकता है.
ध्यान इस बात का भी रखें कि Low Competition Keywords को भी प्राथमिकता में जरूर रखा जाना चाहिए.
- कॉम्पेटीटर की स्ट्रैटेजी का अध्ययन (Study about your competitor’s Strategies): कई बार किसी दूसरे की स्ट्रैटेजी से हमें ज्यादा लाभकारी बातों की जानकारी मिल जाती है. इसीलिए अपने कॉम्पेटीटर की सभी रणनीतियों के बारे में आपको बारीकि से अध्ययन करना चाहिए. उनकी SEO Strategy, SEO Campaign,और उनकी वेबसाइट पर जाकर कॉन्टेंट की रणनीतियों के बारे में जरूर पढ़ना चाहिए.
- लॉन्ग टेल की-वर्ड (Use Long-tail Keywords): की-वर्ड, ई-कॉमर्स साइट के लिए सबसे जरूरी हिस्सा है. की-वर्ड्स की अलग-अलग कैटेगिरी होती है. उनमें से लॉन्ग टेल की-वर्ड भी एक है. वेबसाइट की रैंकिंग के लिए लॉन्ग टेल की-वर्ड भी अहम भूमिका निभाते हैं. लॉन्ग टेल की-वर्ड में दो से तीन शब्दों को एक साथ की-वर्ड के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है और यह वेबसाइट की रैंकिंग को बढ़ाने में अहम रोल अदा करता है.
- मेटा-डेटा का सही उपयोग (Write a Metadata for your web Page): मेटा-डेटा प्रोडक्ट या फिर सर्विस की शार्ट में जानकारी देने का काम करता है. जब भी मेटा-डेटा को लिखें तो ध्यान रखें ही वह शार्ट और क्रिस्पी हो. इसमें वर्ड्स लिमिट 160 होती है. इसलिए कम शब्दों में एक अच्छा मेटा-डेटा अपने वेबपेज के लिए जरूर लिखें.
- सही यूआरएल (Use Search-Engine Friendly URLs): सर्च इंजन हर की-वर्ड को रैंक नहीं कराता है और न ही वह वर्ड् को पहचानता है. यूआरएल ऐसा होना चाहिए, जो सर्च इंज़न और व्यक्ति दोनों के लिए ही पढ़ने में आसान हो. यूआरएल जितना आसान होगा, उतना ही कॉन्टेंट रैंक करेगा. इसलिए यूआरएल को बनाते वक्त किसी भी सिम्बल और अनचाहे नम्बर्स को उसमें न जोड़ा जाए.
अपने ई-कॉमर्स बिज़नेस या साइट को आगे बढ़ाने और उसे सफल बनाने के लिए दिए गए टिप्स को अपनाया जाना चाहिए. इन सभी तरीको को आज़मा कर किसी भी ई-कॉमर्स साइट को ऑप्टीमाइज़ किया जा सकता है और उसकी रैंकिंग बढ़ायी जा सकती है. बिज़नेस की शुरूआत कैसे की जाए और सही तरह से कैसे बिज़नेस को चलाया जाए इन सभी बातों को आप Everything About Entrepreneurship कोर्स के जरिए जान सकते हैं. आपको हमारा यह आर्टिकल कैसा लगा, इसके बारे में आप हमें कमेंट सेक्शन में कमेंट कर बता सकते हैं.