Business Motivation: अर्जुन की तरह अपने लक्ष्य पर करें फोकस, नहीं लगेगा कोई काम असंभव- पढ़ें महत्वपूर्ण टिप्स

Business Success Mantra (Photo Credits: Pixabay)

High Power Motivational Video: द्वापर युग में जब पांचों पांडव और कौरव पुत्र, गुरु द्रोणाचार्य से अपनी शिक्षा ग्रहण कर रहे थे. उन दिनों पांडव धनुर्विद्या का ज्ञान प्राप्त कर रहे थे. एक दिन गुरु द्रोणाचार्य ने उनकी परीक्षा लेने का विचार किया. परीक्षा के लिए गुरुदेव ने पांचों पांडव- युद्धिष्ठिर, भीम, अर्जुन, नकुल और सहदेव के साथ-साथ कौरवों को भी जंगल में बुलाया और एक पेड़ के सामने ले जाकर खड़ा कर दिया और कहा कि सामने पेड़ पर एक नकली चिड़िया लटकी है. सभी को एक-एक करके उस मछली की आंख के बीचों-बीच पुतली पर निशाना लगाना है. गुरु द्रोणाचार्य ने सबसे पहले युद्धिष्ठिर को निशाना लगाने के लिए बुलाया और तीर कमान उसके हाथों में थमाते हुए पूछा कि इस समय तुम्हे क्या-क्या दिख रहा है? इस पर युद्धिष्ठिर ने जवाब दिया कि गुरुदेव, आप, मेरे भाई, यह जंगल, पेड़, पेड़ पर बैठी चिड़िया व पत्ते आदि सब कुछ दिख रहे है. यह सुनकर द्रोणाचार्य ने युद्धिष्ठिर के हाथ से तीर कमान ले लिया. Best Motivational Speaker in India: जीवन में सकारात्मक ऊर्जा के संचार के लिए कैसे एक अच्छे मोटिवेश्नल स्पीकर की मदद लें

गुरु द्रोणाचार्य ने इसके बाद एक-एक करके भीम, नकुल, सहदेव को आगे बुलाया और उनके हाथों में तीर-कमान थमा कर वहीं सवाल किया. लेकिन उनके जवाब से गुरु द्रोणाचार्य असहमत हुए और धनुष-बाण वापस ले लिया. अंत में उन्होंने अर्जुन को बुलाया और धनुष-बाण देकर वहीं प्रश्न किया. तब अर्जुन ने निशाना साधते हुए कहा मुझे मछली की आंखों के सिवाय कुछ नहीं दिख रहा. जवाब सुनकर गुरु द्रोण समझ गये कि अर्जुन ही मछली की आंख पर सही निशाना साध सकते है, अंततः वही हुआ. दरअसल द्रोणाचार्य ने देख लिया था कि अर्जुन के सभी भाई लक्ष्य के बजाय अन्य चीजों पर ध्यान केंद्रित कर रहे थे, इसीलिए जब उनके पूछने पर अर्जुन ने बताया कि उनकी निगाहें केवल मछली पर है, तो द्रोणाचार्य समझ गये कि अर्जुन ने लक्ष्य को पकड़ लिया है इसलिए उनकी सफलता निश्चित है.

ठीक इसी तरह से जीवन के किसी भी क्षेत्र में अगर आपको कोई सफलता अर्जित करनी है तो आपको अपने लक्ष्य पर ही केंद्रित होना पड़ेगा. जीवन का आनंद तभी आता है, जब जीवन का कोई मकसद हो. आपका अस्तित्व, आपकी पहचान तभी कायम रहती है, जब आप किसी लक्ष्य को लेकर जीते हैं और मंजिल की ओर अग्रसर रहते हैं. लेकिन क्या हम सभी किसी लक्ष्य के साथ जिंदगी जी रहे हैं?

‘लक्ष्य’ का महत्व

आज बामुश्किल लोग हैं, जो अपने लक्ष्यों को हासिल करने के लिए अथक प्रयास करते हैं. बाकी लोग तो बस खाने-पीने और रूटीन कामों में मशरूफ रहकर जैसे-तैसे जीवन गुजारते हैं. सही मायनों में जीवन वही जीता है, जिसने कुछ हासिल करने के लिए जीवन में कुछ लक्ष्य निर्धारण कर रखा है, जिसे हासिल करने के लिए वह कुछ भी कर गुजरने को तैयार रहता है. वह अपने सपनों के लिये जीता है. अपने सपने के साधनों का खुद जुगाड़ करता है. उसकी हर पल यही कोशिश रहती है कि वह अपने लक्ष्य अपनी मंजिल को कैसे हासिल करें, ताकि दुनिया में उसकी अपनी पहचान स्थापित हो.

लक्ष्य से मिलती है सफलता

लक्ष्य का पूर्व निर्धारण होने से आप भटकते नहीं हैं, क्योंकि आपको पता रहता है कि आपको करना क्या है. आप हासिल क्या करना चाहते हैं. इस बात का अहसास होते ही लक्ष्य को पाने का सही मार्ग पता चल जाता है. इस प्रकार वह उन लोगों से काफी आगे निकल जाता है, जो बिना लक्ष्य के आगे बढ़ते रहते हैं. अंततः लक्ष्य को लेकर चलने वाले की जीत होती है.

लक्ष्य पर ध्यान कैसे केंद्रित करें

ऐसे लोगों की भी कमी नहीं है, जो अपने लक्ष्य के प्रति गंभीरता दर्शाते हैं, उसके बाद वे रूटीनी जीवन जीने लगते हैं. इस समस्या का समाधान कुछ इस तरह किया जा सकता है.

- आपने जो लक्ष्य तय किया है, उस पर कार्य करने के बाद उसे अपने कमरे में ऐसी जगह टांग दें, जहां हर सुबह आप जाते हों. कुछ दिनों के बाद आपको इसकी आदत-सी पड़ जायेगी.

- रात को सोते समय अपने, उस नोट को फिर से देखें, जिस पर आपने लक्ष्य लिखा हुआ है. इसके पश्चात आप स्वयं से पूछें कि इस लक्ष्य को लेकर आपने अब तक क्या किया है. ऐसा करने से आपकी अंतरात्मा आपको बार-बार अपने लक्ष्य का ध्यान दिलायेगी, और आप अंततः अपने लक्ष्य को पाने में कामयाब हो ही जाएंगे.

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