आईबीएम इंस्टिट्यूट ऑन ऑक्सफोर्ड इन इकॉनामिक्स के एक सर्वे के अनुसार 90% इंडियन स्टार्टअप पहले पांच साल में ही खत्म हो जाते हैं. 2015-16 की एशिया की रिपोर्ट देखें तो इंडिया ने केवल 1423 पेटेंट फाइल की है, कोरिया ने 14,600 चाइना ने 29,800 जबकि जापान ने 44,200 ज्यादा पेटेंट फाइल करके एशिया के स्टार्टअप में शिखर पर था. फोर्ब द्वारा जारी मोस्ट इनोवेटिव लिस्ट ऑफ कंपनी की सूची में 25 टॉप कॉर्पोरेट कंपनी के नाम निकाले, इसमें इंडिया की एकमात्र एशियन पेंट्स का नाम दर्ज है. जानकारों के अनुसार एक्चुअल डिस्क्रप्शन और एक्चुअल इनोवेशन भारतीय व्यापारियों में एक्जिस्ट नहीं करता. कुछ विशेष करने के लिए व्यवसाय को बढ़ाना आवश्यक है. अगर आप भी अपने व्यवसाय को सही ग्रोथ देना चाहते हैं तो ये छह सूत्र आपके लिए माइल स्टोन साबित हो सकते हैं. Business Startup For Students: स्टूडेंट्स इस तरह करें बिजनेस की शुरुआत, यहां पढ़ें क्या है जरूरी
व्यवसाय जगत में 2015 में इंडियन स्टार्टअप्स के इतने खराब अनुभव रहे कि 2016 में फंडिंग एकदम लुढ़क गयी. 2015 में इंडियन स्टार्टअप को मिली फंडिंग जहां 7.5 बिलियन डॉलर थी, 2016 में 3.5 बिलियन डॉलर तक सिमट कर रह गयी. लिहाजा आज इन्वेस्टर पैसा लगाना ही नहीं चाहते. दरअसल स्टार्टअप को विस्तार देना हमारे देश में अधिकतर को आता ही नहीं है.
मनी मेकिंग मॉडल (Missing Innvotaion Around Custermer Money Making Model)
हमारे अधिकांश नये व्यवसायी अपनी मनी मेकिंग मार्केट को कैलकुलेट करते हुए केवल यही देखते हैं कि उन्हें कहां सफलता मिलेगी या मिल सकती है. वे यह नहीं देखते कि उनके कस्टमर का मनी मेकिंग मॉडल क्या है, कस्टमर को कहां प्रॉफिट मिलेगा, उसकी प्राफिटबिलिटी, उसकी ग्रॉस मार्जिन, उसका ग्रोथ, उसका रेवेन्यू किस तरह ग्रो करेगा, जिस दिन उन्हें ये बातें समझ में आयेंगी तभी कस्मटर की नीड से उनकी ग्रीड पूरी होगी. वस्तुतः इंडियन स्टार्टअप कॉपी करने में बहुत तेज होते हैं, ऊबर आया तो ओला शुरु कर दिया. एयर बीएनबी आया तो ओयो ले आये, अमेजान के पीछे फ्लिप कार्ड लगा दिया. कस्टमर की नीड को समझने की कोशिश कर भी रहे हैं तो वह सीधी-सीधा अमेरिका के स्टार्टअप को कॉपी कर बैठते हैं.
निगेटिव कैश फ्लो (Negative Cash Flow Negative Working Capital)
स्टार्टअप के शुरु होने से पहले खत्म होने की यह एक बड़ी वजह हो सकती है, यानी इंडस्ट्री को चलानेवाला जो ब्लड होता है वह सूख जाता है. प्रॉफिट उतना ही जरूरी है जितना कैश जरूरी है. आपको दोनों की आवश्यकता है. जबकि दोनों अलग-अलग चीजें हैं. हो सकता है कि आपके बुक ऑफ एकाउंट में प्रॉफिट आ रहा हो, मगर कैश पेमेंट निरंतर देरी से हो रही है. कस्टमर से या मार्केट से पैसे की रिकवरी नहीं हो रही है, या बहुत स्लो है. इसे कहते हैं निगेटिव कैश फ्लो. किसी भी धंधे में कैश रनिंग बिजनेस के लिए वर्किंग कैपिटल में फंडिंग जरूरी होती है. आप कब तक फंडिंग एजेंसी के चक्कर काटते फिरेंगे. आपके एक लेबल में आने के बाद फंडिंग बंद भी हो सकती है. निगेटिव कैश फ्लो स्टार्टअप को बर्बाद करने की मुख्य वजह है. ऐसे ही कुछ इंडियन स्टार्टअप समय से पहले बंद हो गये, मसलन askme.com, Autoraja, Fashionara, Autoncab इत्यादि. ये सारे अच्छे फंडेड स्टार्टअप खत्म हो गये. आज इनका कोई नाम भी नहीं जानता. इसलिए पॉजिटिव कैश फ्लो बनाकर रखना चाहिए. माल बेचते हुए कोशिश करिये कि पेमेंट एडवांस में और समय पर लें.
ग्रॉस मार्जिन है जरुरी (Expansion With Negative Margin)
ग्रॉस मार्जिन नहीं होता है तो अधिकांश ग्रॉस स्टार्टअप सोचने लगते हैं कि मार्केट पर कब्जा करो. पूरे मार्केट को सस्ते में माल बेचना शुरु कर देते हैं. ध्यान दीजिये अगर शुरु से आप स्पष्ट नहीं है तो आपको प्रॉफिट कहां से आयेगा. यह बिजनेस चलाने के लिहाज से अच्छा नहीं है. पहले तैयार नहीं रहेंगे तो जिंदगी भर रिपेयर करते रह जायेंगे. परिणाम स्वरूप बाद में शटडाउन की स्थिति आ जायेगी.
प्रतिभाशाली कर्मचारियों की कमी (Lack of Talented Manpower)
अकबर की टीम विदेश से यहां आयी थी, मगर यहां के नवरत्नों के दम पर पूरी दुनिया पर राज किया. क्या आपने अपना व्यवसाय शुरु करने के लिए उच्च क्षमतावाले (High Potantial), उच्च प्रदर्शन वाले (High Performance), उच्च कौशल (High Skill), उच्च इच्छा शक्ति वालों (High Will) की टीम तैयार की है? क्या आपके पास ऐसे लोगों की टीम है जो आपके विजन को एग्जीक्यूट कर सकें? क्या आपके पास ऐसे लोग हैं, जो अपनी पूरी क्षमता के साथ काम कर रहे हैं?
नियमित आय वाला मॉडल (Scalability With Recurring Revenue Mode)
स्केलेबिलिटी और रिकरिंग रेवेन्यू दो अलग-अलग चीजें हैं. स्केलेबिलिटी का अर्थ बिजनेस में बड़ा होने का मॉडल क्या आपने ढूंढा? क्या आपने सोचा कि बिजनेस को कैसे बड़ा किया जाये? कुछ स्टार्टअप बड़े प्रॉफिटेबल होते हैं. कई स्टार्टअप में मार्जिन अच्छा होता है. कई स्टार्टअप अपने रीजन में अच्छा काम करते हैं, लेकिन उसे बड़ा कैसे किया जाये ताकि पूरी दुनिया में फैल सके. उसकी तैयारी पहले से नहीं करते, और बड़ा होने के क्रम में जो आपके कस्टमर हैं, क्या वे रेगुलर कस्टमर बन पा रहे हैं? क्या आपको कस्टमर रिकरिंग रेवेन्यू दे रहे हैं? कहने का आशय नियमित आय वाले तरीके को अपनाइये.
मिश्रित बाजार संकेत (Mixed Market Signal)
अधिकांश स्टार्टअप वालों को पता ही नहीं है कि अपने प्रोडक्ट को मार्केट में कैसे स्थित करना है? मार्केट में आपकी स्ट्रेटेजी क्या है? आपका परफेक्ट कस्टमर कौन है? और इम्पर्फेक्ट कस्टमर कौन है? आपका परफेक्ट प्रोडक्ट क्या है? इम्पर्फेक्ट प्रोडक्ट क्या है? आपका प्रोडक्ट ठीक से प्लान नहीं किया गया? या आपके कस्टमर का सेगमेंटेशन ठीक से नहीं किया गया? आप हर किसी को जाकर खरीदने के लिए नहीं कह सकते है. आप सिंगल सिग्नल ढूंढिये जिससे आपकी पहचान बनेगी.