केंद्र सरकार की Garib Kalyan Yojana से प्रवासियों को उनके गांव में ही मिल रहा रोजगार

नई दिल्ली: कोरोना वायरस ने देश की अर्थव्यवस्था को बुरी तरह से प्रभावित किया है, महामारी का असर समाज के हर वर्ग पर पड़ा है. जहां भारत विकास के रास्ते पर आगे बढ़ने के सपने बुन रहा था, वहीं कोरोना की वजह से विकास का पहिया ही मानों थम सा गया है. घातक वायरस ने लोगों की जान लेने के साथ ही आर्थिक तौर पर भी नुकसान पहुंचाया है. लोग बेरोजगार होने लगे हैं, ऐसे कठिन समय में मोदी सरकार गरीबों के हित के लिए हर संभव काम कर रही है. सरकार ने गरीबों के लिए राहत पैकेज भी जरी किया, ताकि उन्हें दो वक़्त की रोटी के लिए तरसना न पड़े.

कोरोना महामारी और लॉकडाउन का सबसे ज्यादा असर मजदूरों (Pravasi Mazdoor) पर देखने को मिला है. लॉकडाउन में बेरोजगार होने की वजह से शहरों से अपने-अपने  गांवों को जाने के लिए मजबूर हुए. ऐसे में मोदी सरकार ने गांवों में रोजगार को बढ़ाने के लिए  "गरीब कल्याण रोजगार मिशन" (PM Garib Kalyan Yojana) शुरू की हुई है. इस अभियान को 125 दिनों तक प्रवासी श्रमिकों (Migrant Workers) की सहायता के लिए चलाया जाएगा. जिससे प्रवासी मजदूरों की आमदनी जारी रहे.

गरीब कल्याण रोजगार मिशन-

Garib Kalyan Rojgar Abhiyaan Yojana के तहत सरकार शहर से अपने - अपने गांव लौटे प्रवासी श्रमिकों को सशक्त बनाने की कोशिश में लगी हैं. इस योजना की शुरुआत बिहार के खगड़िया जिले से की गई थी, इस अभियान को पीएम मोदी ने 20 जून को वर्चुलअल लॉन्चिंग के जरिए शुरू किया था. इस योजना के तहत मजदूरों को उनकी स्किल्स के आधार पर अलग-अलग प्रकार के काम करवाएं जा रहे हैं. प्रवासी मजदूरों से भारत नेट के फाइबर ऑप्टिक बिछाने, नेशनल हाइवे वर्क्स, पीएम ग्राम सड़क योजना आदि में काम दिया जा रहा है.

मज़दूरों को मिल रही ये सुविधाएं-

गरीब कल्याण रोज़गार अभियान के तहत गावों के विकास के लिए 50 हज़ार करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे हैं. केंद्र सरकार द्वारा शुरू किए गए इस अभियान के तहत कुछ गांव में गरीबों के लिए पक्के घर भी बनेंगे, तो कहीं वृक्षारोपण भी किया जायेगा. इसके अलावा जल जीवन मिशन को भी आगे बढ़ाने का काम जारी है.

इस अभियान के तहत गांव में ही हुनर की पहचान की जा रही है, ताकि लोगों के कौशल को देखते हुए  उन्हें काम मिल सके. मोदी सरकार लगातार इस कोशिश में लगी हुई कि महामारी के समय में मज़दूरों को गांव में रहने के बावजूद भी किसी से कर्ज न लेना पड़े. इस अभियान को शुरू करने के पीछे मोदी सरकार का मुख्य उदेश्य गांव में ही रोजगार दिलाना है.

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